हरियाणा में 5 वर्षों में बदलती चली गई सियासी हवा

10/29/2019 10:43:09 AM

डेस्कः हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणामों के बाद 2014 की तुलना में सीटों का गणित एकाएक बदल गया है। पांच वर्ष पहले भाजपा ने 47 सीटों पर जीत हासिल करते हुए बहुमत से सरकार बनाई थी। इसके बाद मेयर चुनाव, जींद उपचुनाव जीते। संसदीय चुनाव में भाजपा ने 10 संसदीय सीटों पर क्लीन स्विप किया और 58.21 प्रतिशत वोट हासिल किए। अब संसदीय चुनाव के पांच माह बाद ही भाजपा का मत प्रतिशत 21.72 प्रतिशत नीचे गिर गया है। गुरुवार को आए चुनावी परिणाम में भाजपा ने 33&.24 प्रतिशत मत हासिल करते हुए 40 सीटों पर जीत दर्ज की है।

वहीं पांच माह पहले तक संसदीय चुनाव में खाता न खोलने वाली कांग्रेस ने 28.08 प्रतिशत मत प्राप्त करते हुए 31 सीटों पर जीत दर्ज की है तो 10 माह पुरानी पार्टी जजपा ने 10 सीटों पर जीत दर्ज कर अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज करवाई है। गौरतलब है कि इस साल मई माह में हुए संसदीय चुनाव में भाजपा ने सभी 10 सीटों पर जीत दर्ज की थी और उस समय भाजपा को 90 विधानसभा सीटों में से 79 पर जीत मिली थी। 10 सीटों पर कांग्रेस जबकि 1 सीट पर जजपा को जीत हासिल हुई थी।     

कांग्रेस का वोट बैंक बढ़ा पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में कांग्रेस ने इस बार प्रभावी प्रदर्शन करते हुए अपने मत प्रतिशत में 7.57 फीसदी की वृद्धि की है। कांग्रेस ने 2014 के विधानसभा चुनाव में 20.61 प्रतिशत मत प्राप्त करते हुए 15 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस साल मई माह में हुए संसदीय चुनाव में कांग्रेस ने 28.51 प्रतिशत मत तो हासिल किए, पर उसे एक भी सीट पर जीत नहीं मिली थी। अब हाल में आए विधानसभा चुनाव परिणाम में कांग्रेस ने 28.08 प्रतिशत मत हासिल करते हुए 31 सीटों पर जीत दर्ज की है। 

इनैलो का वोट बैंक हुआ कम
वहीं 2014 के विधानसभा चुनाव के बाद से इंडियन नैशनल लोकदल के वोट बैंक में लगातार गिरावट आई है। अक्तूबर 2014 के विधानसभा चुनाव में इनैलो ने 88 में से 19 सीटों पर जीत हासिल करते हुए 24.73 प्रतिशत मत हासिल किए थे। इसके बाद जहां जींद उपचुनाव में पार्टी की जमानत जब्त हो गई, वहीं इस साल हुए संसदीय चुनाव में इनैलो को महज 1.9 प्रतिशत ही मत मिले। अब आए विधानसभा चुनाव परिणाम में इनैलो को 1 सीट पर जीत मिली है और करीब 2.44 प्रतिशत मत मिले हैं। 

जजपा के ग्राफ में आया उछाल
इस विधानसभा चुनाव में जननायक जनता पार्टी ने दमदार प्रदर्शन किया है। जजपा ने दस सीटों पर जीत हासिल की है जबकि 10 सीटों पर जजपा के उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे हैं। दस माह पहले अस्तित्व में आई जजपा ने लगातार अपने प्रदर्शन में सुधार किया है। जजपा ने सबसे पहले जींद उपचुनाव में दिग्विजय चौटाला को मैदान में उतारा। उस समय दिग्विजय चौटाला को करीब 38 हजार वोट मिले और वे दूसरे स्थान पर रहे। इसके बाद इसी साल मई माह में हुए संसदीय चुनाव में भी दूसरे क्षेत्रीय दलों से प्रभावी प्रदर्शन करते हुए जजपा ने 4.90 फीसदी मत हासिल किए। 10 सीटों के साथ प्रभावी प्रदर्शन करने वाली पार्टी जजपा के सत्ता में भागीदारी हो जाने के बाद अब पार्टी प्रदेश में और कितनी मजबूत हो पाती है यह आने वाला समय बताएगा। 

लोसुपा, आप व बसपा का प्रदर्शन निराशाजनक
गौरतलब है कि संसदीय चुनाव से जजपा के अलावा 2 सितम्बर 2018 भाजपा से बागी हुए राजकुमार सैनी ने लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी का गठन किया। जहां जजपा ने अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज करवाई, वहीं लोसुपा अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकी। पहले जींद उपचुनाव में लोसुपा को करारी हार मिली और उसके बाद संसदीय चुनाव में भी हार का सामना करना पड़ा। अब विधानसभा चुनाव में जहां लोसुपा के सभी उम्मीदवार पराजित हो गए, तो वहीं स्वयं राजकुमार सैनी भी गोहाना से चुनाव हार गए। इसके अलावा बसपा, आप सरीखे दलों का भी प्रदर्शन पूरी तरह से निराशाजनक ही रहा। 

Isha