राजनीति का खेल, फाइलों में उलझी रेल

4/1/2019 10:37:59 AM

सिरसा: लोकसभा चुनाव की आहट के साथ ही मुद्दों की फसल सियासी दलों के नेता काटने में जुट गए हैं। रेलवे कनैक्टिविटी सिरसा संसदीय क्षेत्र का सबसे हॉट व बड़ा मुद्दा है। इस संसदीय क्षेत्र के हिस्से फतेहाबाद जिला मुख्यालय के लोग सदियों से रेलवे की सीटी सुनने को बेताब हैं। प्रधानमंत्री से लेकर आधा दर्जन रेल मंत्रियों ने रेलवे लाइन का राग अलापा लेकिन सुर और ताल न मिलने से लय नहीं बनी। फतेहाबाद को जिला बने हुए 22 वर्ष का अर्सा हो गया है। इसके साथ ही इस संसदीय क्षेत्र में पंजाब व राजस्थान के लिए रेलवे सुविधा न के बराबर है। रेलवे को लेकर क्या स्थिति है और किस तरह की जरूरत है, पर आधारित यह रिपोर्ट:

वाजपेयी ने की थी घोषणा
इससे पहले 20 अगस्त, 1999 को फतेहाबाद में हुई रैली में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने फतेहाबाद में रेल लाइन बिछाए जाने की घोषणा की। साल 2015-16 के रेल बजट में एक बार फिर से इस रेलवे लाइन के सर्वे को लेकर पहलकदमी की गई। रेल मंत्रालय ने मार्च, 2018 में इस रेल लाइन के सर्वे की रिपोर्ट सबमिट करने संबंधी अधिसूचना जारी की परंतु अप्रैल, 2018 में नीति आयोग ने हरियाणा की इस महत्वपूर्ण परियोजना को रद्द कर दिया।

लोकसभा के सैशन में स्वयं रेल मंत्री पीयूष गोयल ने इस आशय की पुष्टि की थी। वजह बताई थी कि केंद्रीय रेल मंत्रालय के साथ हुए समझौते के बाद राज्य सरकार ने रेलवे संबंधी ऐसी योजनाओं पर 50 प्रतिशत की राशि खर्च करनी थी पर इस रेल लाइन के संदर्भ में हरियाणा सरकार की ओर से मंत्रालय को लिखित में नहीं दिया गया। ऐसे में यह बहुचॢचत एवं बहुप्रतीक्षित योजना एक बार फिर से सियासी लापरवाही की भेंट चढ़ गई। रेल मंत्रालय ने इस रेल लाइन के संदर्भ में जो परियोजना बनाई थी, उस कुल 93 किलोमीटर लाइन पर करीब 400 करोड़ रुपए की राशि खर्च होनी थी।

फतेहाबाद ही प्रदेश का एक ऐसा जिला है, जहां रेल लाइन नहीं है। हालांकि फतेहाबाद के भट्टू, जाखल व टोहाना कस्बे रेल लाइन से जुड़े हुए हैं। फतेहाबाद हिसार से अलग होकर 15 जुलाई, 1997 को जिले के रूप में अस्तित्व में आया था। यहां रेल सुविधा न होने के चलते सबसे अधिक परेशानी दैनिक यात्रियों को तो होती है वहीं दिल्ली सरीखे महानगरों में सामान लाने वाले मंझोले, छोटे एवं बड़े कारोबारियों को होती है। 

लालू ने भी किया था वायदा
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान हिसार के अग्रोहा में एक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने भी फतेहाबाद में रेल लाइन बिछाए जाने का वायदा किया था। इसके बाद यू.पी.ए.-2 के शासनकाल के दौरान तत्कालीन सांसद डा. अशोक तंवर के प्रयासों से हिसार-अग्रोहा-फतेहाबाद रेलवे लाइन का मामला रेलवे बजट में शामिल किया गया और इसके लिए सर्वे करने की सिफारिश की गई। 
 

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