चुनावों मेें दम के दावे भरने वाले राजनीतिक दल हुए गायब

12/21/2019 11:23:16 AM

करनाल (शर्मा): प्रदेश में इस साल लोकसभा तथा करीब 2 माह पहले हुए विधानसभा चुनाव दौरान लंबे-चौड़े दावे करने वाले राजनीतिक दल मौजूदा राजनीतिक नक्शे में हाशिए पर आ चुके हैं। दिलचस्प बात यह है कि इन दलों ने चुनाव में अपने प्रत्याशी भी उतारे और जमकर प्रचार भी किया लेकिन जनता द्वारा नकारे जाने के बाद उक्त राजनीतिक दलों की गतिविधियां न के बराबर हो गई हैं जिससे यह साफ है कि उनकी गतिविधियां केवल चुनावी मौसम तक ही सीमित रहती हैं। 

प्रदेश में हुए लोकसभा चुनाव दौरान भाजपा, कांग्रेस, इनैलो के अलावा जननायक जनता पार्टी व आम आदमी पार्टी गठबंधन तथा बहुजन समाज पार्टी व लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी ने गठबंधन के साथ चुनाव लड़ा था। सभी दलों द्वारा 10 की 10 लोकसभा सीटों पर प्रत्याशी उतारे लेकिन सत्ता की सीढ़ी केवल भाजपा ही चढ़ पाई। इसके बाद अक्तूबर माह दौरान हुए विधानसभा चुनाव दौरान चुनाव आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त एवं पंजीकृत 13 राष्ट्रीय व क्षेत्रीय दलों ने चुनावी रण में ताल ठोकी थी।

चुनाव के तत्काल बाद सक्रिय हुई कांग्रेस
वर्ष 2014 में 15 सीटों पर सिमटने वाली कांग्रेस को 28.8 प्रतिशत वोट के साथ कुल 31 सीटों पर जीत मिली है। चुनाव के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी शैलजा व नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस ने भाजपा-जजपा सरकार के सत्ता संभालने के एक सप्ताह बाद ही सड़कों पर प्रदर्शन शुरू कर दिए। कांग्रेस द्वारा दिल्ली में हरियाणा के दम पर एक रैली का भी आयोजन किया जा चुका है।
मौजूदा समय में भी कांग्रेस द्वारा भाजपा-जजपा सरकार को घेरने के लिए सड़क से सदन तक अभियान चलाया जा रहा है।

नए साल में नए रूप में दिखाई देगी इनैलो 
वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव दौरान विपक्षी दल के रूप में उभरी इनैलो हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव तक पूरी तरह से हाशिए पर आ गई। लोकसभा चुनाव में इनैलो दूर-दूर तक कहीं दिखाई नहीं दी और विधानसभा में भी केवल एक सीट पर सिमट गई। विधानसभा चुनाव के बाद इनैलो की गतिविधियां लगभग ठप्प हो गई हैं। अभय चौटाला ने अपने बल पर सत्तारूढ़ गठबंधन को मीडिया के माध्यम से घेरने का प्रयास तो किया लेकिन अब नए साल में 3 जनवरी से इनैलो द्वारा जिला स्तर पर फिर से कार्यकत्र्ताओं को लामबंद करने के लिए सम्मेलनों का आयोजन किया जाएगा। अभय चौटाला पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ नए साल में फील्ड में उतरेंगे।

अकाली दल ने न संगठन बनाया न जनता में उपस्थिति
लोकसभा चुनाव दौरान भाजपा पर दबाव बनाने तथा विधानसभा चुनाव दौरान भाजपा से अलग होकर अपने प्रत्याशी उतारने वाला शिरोमणि अकाली दल भले ही पंजाब में लंबे समय से सत्ता संभाल रहा हो लेकिन प्रदेश में पार्टी खड़ी नहीं हो पा रही है। अकाली दल पहले इनैलो के साथ मिलकर चुनाव लड़ता रहा है और गाहे-बगाहे पार्टी को एक सीट पर जीत भी मिलती रही है। हाल ही में अकाली दल ने हरियाणा में भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ अपने बल पर प्रत्याशी खड़े किए थे लेकिन उसको कामयाबी नहीं मिली। चुनाव के दौरान हरियाणा में आकर लंबे-चौड़े दावे करने वाले अकाली दल के नेता गायब हो चुके हैं। चुनाव से पहले हरियाणा में रैलियों का आयोजन करने वाले अकाली दल ने चुनाव के बाद न तो संगठन की सार ली है और न ही जनता में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है।

चुनाव दौरान ही शांत हो गई थी बसपा
प्रदेश में लोकसभा चुनाव से पहले सर्वाधिक सुॢखयां बटोरने वाली बहुजन समाज पार्टी की सक्रियता भी न के बराबर है। विधानसभा चुनाव के पहले इंडियन नैशनल लोकदल, लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी तथा जननायक जनता पार्टी के साथ गठबंधन करने वाली बहुजन समाज पार्टी राजनीति के मैदान में कहीं दिखाई नहीं दे रही है। लोकसभा चुनाव दौरान बसपा सुप्रीमो एवं यू.पी. की पूर्व मुख्यमंत्री कुमारी मायावती ने हरियाणा में कई राजनीतिक रैलियां भी कीं। विधानसभा चुनाव आते-आते बसपा अकेली रह गई और चुनाव में सत्ता की सीढ़ी नहीं चढ़ पाई। चुनाव के बाद बसपा का प्रदेश व केंद्रीय नेतृत्व हरियाणा को लेकर शांत हो चुका है।

‘आप’ कार्यकत्र्ताओं ने किया दिल्ली का रुख
आम आदमी पार्टी ने लोकसभा में जननायक जनता पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा तो विधानसभा में पार्टी ने अपने दम पर ताल ठोकने का प्रयास किया। ‘आप’ ने करीब 60 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे। ‘आप’ को आशातीत परिणाम नहीं मिल सके जिसके चलते विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी ने मंथन बैठकों का आयोजन करके अपनी गतिविधियों को विराम दे दिया। अब आम आदमी पार्टी के हरियाणा कार्यकत्र्ताओं का पूरा फोकस दिल्ली में है। दिल्ली में अगले साल चुनाव हैं जिसके चलते हरियाणा के कार्यकत्र्ता अभी से हरियाणा से सटे दिल्ली के इलाकों में पार्टी के प्रचार में जुट गए हैं।

Isha