भाजपा कुछ उम्मीदवारों को कर सकती है इम्पोर्ट, टिकट का बड़ा मापदंड होगा जीत की संभावना

3/12/2019 11:22:09 AM

अम्बाला (रीटा शर्मा/सुमन भटनागर): लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही हरियाणा के राजनैतिक दलों में चुनावी सरगरमियां बढ़ गई हैं और वे मजबूत उम्मीदवारों की तलाश में जुट गए हैं। माना जा रहा है कि संभावित टिकटार्थी आपने अपने राजनैतिक खूंटों के दरवाजे पर दस्तक देना शुरू करेंगे। हरियाणा की 10 संसदीय सीटों पर 12 मई को चुनाव होने हैं।

सभी दल इस बार उम्मीदवार की पार्टी के प्रति वफादारी, जातीय समीकरण और राजनीतिक कद की बजाय जीतने वाले प्रत्याशियों की तलाश में हैं। सभी दलों के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है। माना जा रहा है कि इस बार भाजपा, कांग्रेस व इनैलो के अपने कई पुराने दिग्गजों को आराम करने के लिए कह दें। भाजपा अपने तौर पर व आर.एस.एस. के जरिए हरियाणा के मौजूदा सांसदों व संभावित प्रत्याशियों का सर्वे करवा चुकी है।

भाजपा सूत्रों के मुताबिक गुरुग्राम व फरीदाबाद को छोड़कर ज्यादार संसदीय सीटों पर कद्दावर व जीतने वाले की तलाश जारी है। संभव है विपक्षी दल के किसी दिग्गज नेता या फिर समाज में अच्छा खासा रसूख रखने वाले किसी गैर-राजनीतिक व्यक्ति की लाटरी भी खुल जाए। 2-1 कैबिनेट मंत्रियों पर दांव खेला जा सकता है। रोहतक, हिसार, सिरसा व करनाल लोकसभा सीटें भाजपा के लिए इस बार सबसे अहम सीटें होंगी। भाजपा इस समय पूरी तरह से चुनावी मोड में है। मुख्यमंत्री व सभी मंत्रियों ने मतदाताओं को खुश करने के लिए अपनी सारी ताकत झोंकी हुई है। प्रदेश के सभी विधानसभा क्षेत्रों में मंत्री व विधायक थोक के भाव विकास कार्यों का शिलान्यास करने में लगे हुए हैं।

अरबों रुपए के विकास कार्यों की आधारशिलाएं पूरी राज्य में रखी जा रही हैं। मुख्यमंत्री भी कुबेर की तरह दोनों हाथों से हर जिले में परियोजनाओं के लिए पैसा बांट रहे हैं। समझा जा रहा है कि भाजपा सरकार इस बार विकास को मुख्य मुद्दा बनाकर चुनावी मैदान में उतारने का मन बना चुकी है। मुख्यमंत्री के बार-बार मना करने के बावजूद ज्यादातर विधायकों को आशंका थी कि विधानसभा चुनावों की घोषणा भी लोकसभा चुनावों के साथ हो जाएगी, जिसके चलते मंत्री व सत्ता दल के ज्यादातर विधायक अपने हलकों की विकास योजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास करने में युद्ध स्तर पर लगे रहे। इन दिनों भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला व संगठन सचिव सुरेश भट्ट के अलावा आर.एस.एस. ने भी अपनी पूरी ताकत झोंकी हुई है। संघ के सहयोगी संगठनों को भी जिम्मेदारियां सौंपने की रणनीति तैयार की जा रही है। 

Shivam