ब्लैक आऊट! अंधेरे में डूबा रहा क्षेत्र, अस्पताल में टार्च जलाकर किया मरीजों का इलाज

12/14/2019 10:41:32 AM

पानीपत(अनुज): शुक्रवार को सिविल अस्पताल की बत्ती गुल रही जिससे डाक्टर व मरीज दोनों परेशान रहे। बारिश के साथ ठंड बढऩे व बत्ती गुल होने का असर मरीजों की संख्या पर भी पड़ा। शुक्रवार को सिविल अस्पताल में 280 मरीज ही ओ.पी.डी. में पहुंचे। बता दें कि सिविल अस्पताल की प्रतिदिन की ओ.पी.डी. 800 से लेकर 1000 तक की है लेकिन बारिश व बिजली नहीं होने से जिन मरीजों को मशीनों से टैस्ट करवाना था। वे बिजली को न आता देख ही वापस लौट गए।

डाक्टरों ने बताया कि वे मरीजों को टार्च जलाकर देख रहे है। जिससे बीमारी का सही पहचान नहीं हुई। इसलिए जो उनके पास मरीज आए थे उनमें से 5 प्रतिशत मरीजों को शनिवार को दोबारा से बुलाया गया क्योंकि गलत दवाई देने से बीमारी अधिक बढ़ सकती है। इसके अलावा आई ओ.पी.डी. में मात्र 32 मरीजों का ही चैकअप हो सका। क्योंकि आई ओ.पी.डी. में आंख चैक करने के लिए मशीनों को प्रयोग में लाया जाता है। 

बिजली नहीं होने से बहुत कम ओ.पी.डी. रही। एक्स-रे विभाग में जहां प्रतिदिन 100 से अधिक एक्स-रे होते थे वहां पर आज एक्स-रे की संख्या आधी 53 रही। वहीं अल्ट्रासाऊंड मशीन भी बिजली के कारण बंद रही, जिस कारण मात्र 8 अल्ट्रासाऊंड ही हो सके। दंत रोग ओ.पी.डी., ई.एन.टी. ओ.पी.डी. में भी मरीजों को निराशा का सामना करना पड़ा। ब्लड सैंपल लेने में भी कर्मियों को परेशानी हुई। वहीं सैंपलिंग की रिपोर्ट देने में भी परेशानी हुई। क्योंकि बार-बार कटों से बीच-बीच में सैंपल की जांच करवाने वाली मशीन रूक रही थी। जिस कारण अधिकतर सैंपल फेल हो गए। 

इन्वर्टर के सहारे हुईं डिलीवरियां 
शुक्रवार सुबह से ही बिजली के बार-बार हर 10 से 15 मिनट के अंतराल में कट लग रहे थे, जिस कारण सिविल अस्पताल के डिलीवरी वार्ड में अधिकतर डिलीवरियां इन्वर्टर की बिजली के सहारे हुई। इस बारे में स्टॉफ नर्सों ने बताया कि जो बिजली होने के बाद रोशनी होती है। वो इन्वर्टर पर नहीं हो सकती है क्योंकि बिजली होने के बाद कक्ष में 6 लाइट जलती हैं। वहीं इन्वर्टर पर 2 लाइट जलती हैं जिससे थोड़ी बहुत तो परेशानी होती ही है लेकिन फिर भी डिलीवरी का काम चल रहा है। 

बिजली कट के कारण लिफ्ट रही बंद 
बिजली के बार-बार कट लगने के कारण सिविल अस्पताल प्रशासन ने लिफ्ट पूर्ण रूप से बंद कर दी जिससे सिविल अस्पताल में आने वाले मरीजों खासकर डिलीवरी पेशैंट को मुसीबत का सामना करना पड़ा। वहीं दूसरी ओर द्वितीय मंजिल पर बने डिलीवरी वार्ड से रोजाना निकलने वाला कचरे को भी स्वीपरों को रैम्प से रेहड़ी के माध्यम से लेकर जाना पड़ा जिससे कुछ कचरा रैम्प पर गिर गया। उन्हें भी परेशानी का सामना करना पड़ा।

Edited By

vinod kumar