32 ग्रामीण रूटों पर चलनी थी प्राइवेट बसें, चलने से पहले ही लग गया स्टे

3/7/2018 4:26:09 PM

करनाल(ब्यूरो): सरकार यात्रियों को बेहतर यातायात सुविधा देने में नाकाम होने के बाद अस्थायी तौर पर एक साल के लिए प्राइवेट पॉलिसी लेकर आई। अस्थायी पॉलिसी अनुसार जिला के 32 प्राइवेट रूटों पर कोई भी बस संचालक एक साल के लिए परमिट लेकर बस चला सकता है। परमिट लेने के लिए करनाल आर.टी.ए. कार्यालय में करीब 8 से 10 लोगों ने आवेदन भी कर दिया लेकिन सरकार द्वारा लाई गई पॉलिसी के विरोध में एक समिति संचालक ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसके कारण कोर्ट ने पॉलिसी पर स्टे कर दिया

जिस पर आगामी तिथि 7 मार्च है। अगर पॉलिसी के अनुसार ग्रामीण रूटों पर बसे चलती तो यह ग्रामीण क्षेत्रवासियों के लिए राहत की बात होती, क्योंकि इन क्षेत्रों में सरकार बसों की सुविधा उपलब्ध करवाने में नाकाम साबित हुई है। लोगों को 30 से 40 मिनट तो कभी-कभी एक-एक घंटे तक बसों का इंतजार करना पड़ रहा है। कई बार तो बसें आती नही, जिससे यात्रियों को अपने गंतव्य पर पहुंचने के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। 

हरियाणा सहकारी परिवहन सीमितियां कल्याण संघ हरियाणा प्रदेशाध्यक्ष राजबीर सिंह मोकल ने कहा कि पॉलिसी एक साल के लिए सरकार लेकर आई है, जो गलत है, अगर पॉलिसी लानी है तो स्थायी रूप से लेकर आए। कहा कि टैपरेरी पॉलिसी में रूटों पर बसों की संख्या निश्चित नहीं है, जबकि कई रूट तो ऐसे हैं जिन पर पहले ही प्राइवेट बसें चल रही हैं। पॉलिसी के विरोध में एक समिति संचालक कोर्ट में चला गया है। कोर्ट के फैसले बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी। 

क्या कहते हैं परिवहन विभाग के सहायक सचिव
परिवहन विभाग के सहायक सचिव राजकुमार राणा ने बताया कि सरकारी एक साल के लिए अस्थायी तौर पर एक पॉलिसी लेकर आई है लेकिन कई लोग पॉलिसी को लेकर कोर्ट में चले गए हैं। कोर्ट के निर्णय के बाद ही आगामी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।