मर गई इंसानियत! 9 घंटे तक निजी अस्पताल ने शव को ही बनाया बंधक, भटकता रहा परिवार...
punjabkesari.in Saturday, Sep 27, 2025 - 08:50 AM (IST)

सोनीपत (सन्नी मलिक): सोनीपत के पार्क निदान हॉस्पिटल से एक ऐसा मामला निकलकर सामने आया है। इसके बाद हम कह सकते हैं कि निजी अस्पताल प्रशासन की इंसानियत समाप्त हो चुकी है और निजी अस्पतालों को ना तो सरकार का डर है और ना ही खाकी का कोई खौफ हैं और इसी का नतीजा आज देखने को मिला।जब एक शख्स की इलाज के दौरान हॉस्पिटल में मौत हो गई और हॉस्पिटल प्रशासन के अंदर न तो इंसानियत नजर आई और ना ही कानून का कोई खौफ था ।
जय सिंह मजदूरी करता था और सोनीपत के बहालगढ़ में भी मजदूरी करने के लिए आया था, लेकिन उसे नहीं पता था कि रोगी को रोटी कमाने का यह लालच उसकी जिंदगी समाप्त कर देगा। सोनीपत के बहालगढ़ के पास वह एक निजी ढाबे के पास खड़ा था इस दौरान हरियाणा रोडवेज की बस ने उसे टक्कर मार दी। इसके बाद आसपास के लोगों ने रोडवेज बस चालक और परिचालक को पकड़ लिया और रोडवेज चालक उसे सोनीपत में स्थित पार्क निदान अस्पताल में इलाज के लिए एडमिट करवा कर फरार हो गया।
परिवार की शिकायत के आधार पर पुलिस ने रोडवेज बस चालक के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया.. इलाज के दौरान जय सिंह की मौत हो गई और फिर लाचारी ,बेबसी ओर दबगई का खेल शुरू हो गया। जय सिंह के परिवार का आरोप है कि अस्पताल प्रशासन ने इलाज के दौरान उन्हें मिलने तक नहीं दिया गया और उसकी सुबह ही मौत हो चुकी थी।
इसके बाद अस्पताल द्वारा 75 हजार रुपए की मांग की गई.. परिवार के पास पैसे नहीं थे लेकिन उन्होंने इकट्ठे करके 12 हजार रुपए इकट्ठे कर दे दिए, लेकिन कहा गया कि पैसे दे जाओ और शव ले जाओ। इसके बाद बालागढ़ थाना पुलिस और मुरथल थाना पुलिस मौके पर पहुंची और अस्पताल के डॉक्टर और प्रशासन से बात करने का प्रयास किया लेकिन अभी एक दूसरे पर बात टालते नजर आए और हद उसे समय हुई जब 8 घंटे के समय के बाद अस्पताल प्रशासन के सीईओ और पुलिस भी बाहर इंतजार करती रही और पुलिस को मिलने तक का समय नहीं दिया गया।
8 घंटे के समय के बाद अस्पताल प्रशासन पुलिस से बहस करता नजर आया और कहा कि 2:00 बजे वह मीटिंग में गए हैं । पहले तो सुबह हुए मौत से ही मना कर दिया गया और फिर पुलिस के सामने मन की मौत सुबह हुई थी और पुलिस ने फिर से लिखित में की बात कहते नजर आए और पुलिस के नोटिस के बाद अस्पताल प्रशासन ने अस्पताल प्रशासन ने शव परिवार को सौंप दिया।
इस पूरे मामले के बाद एक बात तो स्पष्ट है कि सरकार सिर्फ दावे ही कर रही है.. क्योंकि कोर्ट के आदेशों के बाद भी शव को 9 घंटे तक बधक बनाना ओर पुलिस को भी शव देने से इनकार करना इसे प्रमाणित करता है.. बहरहाल देखना होगा कि निजी अस्पतालों की दबंगई और मनमानी पर लगाम कब तक लगती है।