छात्रवृत्ति के लाखों रुपए की ग्रांट हड़पने के आरोप में निजी विश्वविद्यालय का चेयरमैन गिरफ्तार

9/8/2020 8:34:30 PM

यमुनानगर (सुरेंद्र मेहता): राजस्थान के चूरू में स्थित एक प्राइवेट विश्वविद्यालय के चेयरमैन को हरियाणा विजिलेंस ब्यूरो ने लाखों रुपए की धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया, जहां उसे 6 दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा गया है। यमुनानगर अदालत में पेश किए गया जोगिंदर सिंह जो राजस्थान के चूरू में स्थित एक प्राइवेट विश्वविद्यालय का चेयरमैन है। आरोप है कि यमुनानगर जिले के 41 अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति छात्रों को पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति प्रदान करने के नाम पर लगभग 24.51 लाख रुपये की धोखाधड़ी की। 

चेयरमैन जोगिंदर के अलावा, एफआईआर में अन्य आरोपियों में महेंद्रगढ़ जिले के नारनौल के जितेन्द्र यादव जो कि संबंधित विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार के रुप में नामित है। यमुनानगर के गुरदेव कौर और उनकी बेटी ऋतिक सिंह, गाजियाबाद के मयंक चौधरी और लाडवा के मुकेश कुमार भी विजलेंस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में आरोपी हैं। आरोपी जोगिंदर को यमुनानगर अदालत में पेश किया जहां 13 सितंबर तक उसका 6 दिन का पुलिस रिमांड मंजूर किया। जोगिंदर को रोहतक के सुनारिया जेल से प्रोडक्शन वारंट पर लाया गया है, जहां रोहतक विजलेंस द्वारा दर्ज किए गए मामले में भी वह आरोपी है।

विश्वविद्यालय के चेयरमैन जोगिंदर के वकील डीएस खुराना ने बताया कि जोगिंदर पर आरोप है कि उन्होंने एससी बीसी स्कॉलरशिप में गबन किया है, ऐसे पात्र पाए नहीं गए। उन्होंने कहा कि जोगिंदर सिंह को रोहतक में दर्ज विजिलेंस की एक एफ आई आर के तहत गिरफ्तार किया गया था। इस दौरान उनसे पूछताछ की गई उन्होंने कहा कि यह सब रंजिश व राजनीतिक कारणों से मुकदमे दर्ज करवाए गए हैं। जो आरोप लगाए गए हैं यह झूठे हैं। उन्होंने कहा कि जोगेंद्र सिंह ने मार्च 2015 में ही ओपीजेएस विश्वविद्यालय से इस्तीफा दे दिया था। साथ ही ट्रस्ट से भी इस्तीफा दे दिया था और जो आरोप लगे हैं वह 2017 2018 के दौरान लगे हैं। उन्होंने कहा कि विजिलेंस ने 10 दिन का रिमांड मांगा था लेकिन अदालत ने 6 दिन का रिमांड दिया अब 13 सितंबर को पेशी होगी।

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बता दें कि 10 जनवरी, 2020 को विजिलेंस की पंचकूला टीम ने यमुनानगर के सह-आरोपी गुरदेव कौर और उनकी बेटी रितिक सिंह को गिरफ्तार किया था, जिन्होंने एससी/एसटी से संबंधित 41 छात्रों के दस्तावेजों के लिए अपने एनजीओ को मोहरा बनाया था, और फिर उनके नाम पर बैंक खाते खोले और उन्हें संबंधित विश्वविद्यालय में प्रवेश दिखाने के बाद छात्रवृत्ति घोटाले के लिए दस्तावेजों का इस्तेमाल किया। अब देखना दिलचस्प होगा की अदालत की आगे की कार्रवाई क्या रहती है और बाकी आरोपियों की गिरफ्तारी कब होती है।

Shivam