सरकारी स्कूलों के लैक्चरार और हैडमास्टर्स को पदोन्नति या दंड?

12/17/2019 10:43:35 AM

चंडीगढ़(अर्चना): हरियाणा के सरकारी स्कूलों के लैक्चरार और हैडमास्टर्स को प्रिंसीपल की पोस्ट पर मिली पदोन्नति सजा साबित हो रही है। सालों से स्कूल के बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षकों को प्रोमोशन के नाम पर 90-90 किलोमीटर दूर के स्कूलों में ट्रांसफर कर दिया गया है। प्रिंसीपल बने इन शिक्षकों को हर रोज चार से पांच घंटे बसों व गाडिय़ों में ट्रैवलिंग करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। बहुत से प्रिंसीपल दूरदराज के स्कूलों में जाकर शिक्षण कार्य कर रहे हैं।

हरियाणा स्कूल शिक्षा विभाग ने एक नई पॉलिसी का निर्धारण किया है, जो कहती है कि ऐसे स्कूल जहां बच्चों की संख्या 350 या 400 से अधिक है, सिर्फ उन स्कूलों का संचालन प्रिंसीपल करेंगे, जबकि इससे कम बच्चों की संख्या वाले स्कूलों की देखरेख स्कूल के वरिष्ठ लैक्चरार संभालेंगे। शिक्षकों की मानें तो 200 से 250 बच्चों की संख्या वाले स्कूलों की देखरेख वरिष्ठ लैक्चरार (ड्राइंग एंड डिसबॄसग ऑफिसर) ही कर रहे हैं। हालांकि हरियाणा के विभिन्न जिलों में ऐसे कई स्कूल हैं जहां बच्चों की संख्या 250 या 200 होने के बावजूद उनका संचालन प्रिंसीपल ही कर रहे हैं। सूत्रों की मानें तो हाल ही में शिक्षा विभाग ने 128 लैक्चरार व हैडमास्टर को प्रिंसीपल की पोस्ट पर प्रोमोट किया है। 

प्रोमोशन के साथ ही पिं्रसीपल को 60 से 90 किलोमीटर दूर के स्कूलों में ट्रांसफर कर दिया है। ट्रांसफर के ये आदेश बहुत सी महिलाओं और ऐसे वरिष्ठ शिक्षकों पर भी लागू किए गए हैं जो एक साल के अंदर ही रिटायर होने वाले हैं, जबकि शिक्षा विभाग की ही दूसरी पॉलिसी कहती है कि ऐसे शिक्षक, जिनकी सेवानिवृत्ति नजदीक होती है, उन्हें गृह जिले से दूर नहीं किया जा सकता, क्योंकि शिक्षकों को सेवानिवृत्ति के बाद पैंशन या स्वास्थ्य सेवा से जुड़े कई लाभ लेने होते हैं और सेवानिवृत्ति के बाद उनके लिए दूरदराज के जिलों में आने-जाने में मुश्किल हो सकती है।

हर जिले के 25 से 30 स्कूलों में प्रिंसीपल की पोस्ट खाली
शिक्षा विभाग की नई पॉलिसी के बाद दूर के स्टेशन में ट्रांसफर किए गए प्रिंसीपल ने नाम न लिखे जाने की शर्त पर कहा कि मौजूदा समय में राज्य में 800 से 900 ऐसे स्कूल हैं जिनमें प्रिंसीपल की पोस्ट रिक्त है। प्रत्येक जिले में 25 से 30 ऐसे स्कूल हैं, जहां प्रिंसीपल की पोस्ट की जिम्मेदारी वरिष्ठ लैक्चरार संभाल रहे हैं। उनका कहना है कि शिक्षकों को पांच साल पहले प्रोमोशन मिलनी चाहिए थी परंतु विभाग ने शिक्षकों को प्रोमोशन नहीं दी थी, जबकि ऐसे कई शिक्षक भी थे जो प्रोमोशन के बगैर ही विभाग से रिटायर भी हो गए।

जब शिक्षकों की प्रोमोशन नहीं हो रही थी तो उन्होंने शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों से कई मुलाकातें कीं और कई राजनेताओं का दबाव डलवाया। कुछ शिक्षकों की 2017 में प्रोमोशन की भी गई थी परंतु सारे शिक्षकों को प्रोमोशन से वंचित रखा गया था। ऐसे में हो सकता है कि विभाग के उच्च अधिकारी शिक्षकों से नाराज हो गए और उन्होंने शिक्षकों को प्रोमोशन तो दे दी लेकिन उन्हें ऐसे स्टेशन्स पर पटक दिया है जहां का सफर ही प्रिंसीपल के लिए मुसीबत बन गया है। पहले शिक्षा विभाग ने ऐसी किसी पॉलिसी का गठन नहीं किया था, जिसमें 350 या 400 बच्चों की संख्या वाली कोई शर्त रखी गई थी।

कंवरपाल गुर्जर, शिक्षा मंत्री, हरियाणा ने कहा कि हरियाणा में प्रिंसीपल की संख्या कम है। ऐसे स्कूल जहां बच्चों की संख्या 350 से अधिक है वहां पिं्रसीपल लगाए गए हैं, ताकि काम बेहतर तरीके से चलाया जा सके। कम बच्चों की संख्या वाले स्कूलों की जिम्मेदारी वरिष्ठ लैक्चरार को सौंपी गई है। स्कूलों की संख्या के अनुपात में पिं्रसीपल हो जाएंगे वैसे ही पिं्रसीपलों को गृह जिले मिल जाएंगे। प्रिंसीपल से पहले बच्चों की शिक्षा की तरफ ध्यान देना ज्यादा जरूरी है। पिं्रसीपल की समस्या भी सुनी जाएगी।
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Edited By

vinod kumar