हरियाणा के कई शहरों में हुआ 'एलआईसी के निजीकरण' का विरोध, कर्मचारियों ने किया प्रदर्शन

2/4/2020 8:51:23 PM

ब्यूरो: एलआईसी जीवन के साथ भी और जीवन के बाद भी। इस टैग लाइन के साथ एलआईसी देश की आवाज, विश्वास और पहचान बन चुकी है। लेकिन अब एलआईसी की ये पहचान संकट में पड़ गई है। एलआईसी का आईपीओ लाने की घोषणा के साथ ही इसका विरोध भी तेज हो गया है। मंगलवार को यह विरोध हरियाणा के विभिन्न शहरों में भी देखने को मिला। जहां कर्मचारियों ने सरकार के निर्णय के विरोध में सांकेतिक हड़ताल की।

बहादुरगढ़ में एलआईसी ब्रांच के सभी कर्मचारियों ने लंच टाइम से ठीक पहले सवा बारह बजे से सवा एक बजे तक सभी कर्मचारियों ने काम बंद कर दिया। एलआईसी के सभी कर्मचारी काम बंद कर दफ्तर के बाहर एकत्रित हुए और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

कर्मचारियों का कहना है एलआईसी सरकार का सबसे अच्छा उपक्रम है जिस पर देश की जनता को पूरा भरोसा है। लेकिन सरकार एलआईसी के निजीकरण की तरफ बढ़ रही है, इसी मकसद से एलआईसी का आईपीओ लाने जा रही है। एलआईसी कर्मचारियों का कहना है कि एलआईसी सरकार को हर साल पैसा देती आयी है, लेकिन इस तरह एलआईसी को बेचना गलत है जो न तो पालिसी धारकों के हित में है और ना ही देश के हित में।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ की नारे बाजी 
देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से पेश किए गए बजट में एलआईसी के एक बड़े हिस्से को बेचने की प्रक्रिया पर एलआईसी कर्मचारियों ने गोहाना में धरना-प्रदर्शन कर विरोध दर्ज किया। कर्मचारियों ने कहा कि हम एलआईसी को किसी भी कीमत पर बिकने नहीं देंगे। एलआईसीआई के तीन प्रमुख ट्रेड यूनियनों के संयुक्त फोरम की ओर से एलआईसी के विनिवेश के लिए आईपीओ लाने के बारे में संसद में वित्त मंत्री के बजट भाषण के माध्यम से सरकार के फैसले का कड़ा विरोध किया। 

सरकार की नीयत शक के दायरे में
एनजेडएआई सचिव पंकज भल्ला ने बताया कि सरकार जो एलआईसी की सरकारी हिस्सेदारी बेचना चाह रही है, उसका हम सब विरोध किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि यह एक ऐसी संस्था है जो सरकार को प्रॉफिट देती है, इसके बावजूद इसे बेचा जा रहा है, जिससे सरकार की नीयत शक के दायरे में आ रही है। उन्होंने बताया कि इस भी नही कि ये संस्था घाटे में चल रही है बल्कि सरकार फंड नहीं होने का बहाना बना रही है। 

Shivam