जनता ने मुझे आशीर्वाद देकर विधायक बनाया, इसलिए मैं किसानों के साथ हूं : धर्मपाल गोंदर
1/11/2021 2:21:48 PM
चंडीगढ़ (धरणी) : किसान आंदोलन का प्रभाव भले ही केंद्र पर इतना पड़ा हो या न पड़ा हो, लेकिन हरियाणा सरकार की इस आंदोलन वापसी तक सांसे थमी हुई है। क्योंकि सरकार जे.जे.पी और आजाद विधायकों के कंधों पर खड़ी है। खाप पंचायतों का जे.जे.पी पार्टी पर दबाव और आजाद विधायकों के निजी हित कहीं ना कहीं सरकार को परेशान किए हुए हैं। वहीं विपक्षी सरकार को गिराने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं। पक्ष हो या विपक्ष, हर आम और खास व्यक्ति सभी के सभी जे.जे.पी और आजाद विधायकों पर टकटकी लगाए बैठे हैं।
कुछ समय पहले आजाद विधायकों की बैठकों ने प्रदेश की राजनीति का तापमान बढ़ा दिया था। अब आने वाले समय में आजाद विधायकों का स्टैंड क्या होने वाला है ? वह सरकार से कितने संतुष्ट हैं ? किसान आंदोलन को लेकर आजाद विधायकों का क्या स्टैंड है ? इन सब बातों को लेकर पंजाब केसरी ने आरक्षित सीट नीलोखेड़ी के आजाद विधायक धर्मपाल गोंदर से खास मुलाकात की। बातचीत के कुछ अंश आपके सामने प्रस्तुत हैं:-
प्रश्न : किसान करीब डेढ़ माह से सर्दी, बारिश और धुंध में भी धरने पर बैठे हैं। आपका इस बारे में क्या स्टैंड है ?
उत्तर : जनता भगवान का रूप है। हमें केवल चुनाव में ही जनता का सम्मान नहीं करना चाहिए। चुनाव के बाद भी करना चाहिए। अन्नदाता हमारे दुखी हैं तो केंद्र सरकार को जैसे भी हो इसका समाधान करना चाहिए।
प्रश्न : किसान हां कानूनों को वापस लेने की बात पर अड़े हैं ?
उत्तर : 2 साल पहले नोटबंदी हुई। देश की 90 प्रतिशत आबादी को कोई नुकसान नहीं हुआ। कुछ गिनती की आबादी जिनके पास अवैध धन था वह परेशान हुए। आम जनता, गरीब लोगों को फायदा ही हुआ। लेकिन आज जो यह सरकार ने कानून बनाए इसमें जो भी गलतियां रही, किसानों की मांगों पर इनमें संशोधन कर देना चाहिए। अगर संशोधन पर भी किसान सहमत नहीं होते तो मेरा मानना है कि कानून वापिस ले लेने चाहिए।
प्रश्न : धान की खेती में हरियाणा में आपका क्षेत्र सबसे अव्वल है। आप किसानों का प्रतिनिधित्व कैसे करते हैं ?
उत्तर : हमारा जिला करनाल भगवान की कृपा से हर हिसाब से सक्षम है। हम हमेशा यहां की जनता, यहां के किसानों के बीच में रहते हैं। मैंने आजाद चुनाव लड़ा और जनता ने आशीर्वाद देकर विजयी बनाया। हम किसानों के साथ हैं, उनका साथ दे रहे हैं और देते रहेंगे।
प्रश्न : आजाद विधायक कुछ समय पहले इकट्ठे हुए थे। क्या दोबारा मुख्यमंत्री से मिलने की कोई रणनीति है ?
उत्तर : हम कभी सरकार पर दबाव देने जैसे मुद्दे पर इकट्ठे नहीं हुए। हम आजाद थे और हम किसी पार्टी से नहीं है। हमारी शिष्टाचार मीटिंग होती रहती हैं। हम सभी विधायक आपस में पारिवारिक रूप से जुड़े हुए हैं। हम हर महीने कहीं ना कहीं इकट्ठे बैठते रहते हैं।
प्रश्न : कृषि कानूनों को लेकर निर्दलीय विधायकों ने मुख्यमंत्री से मीटिंग की थी। उसका क्या निचोड़ निकला ?
उत्तर : हमने मुख्यमंत्री के सामने अपनी बात जरूर रखी थी। लेकिन आपको भी और हमें भी सभी को पता है कि यह मुद्दा प्रदेश सरकार का मुद्दा नहीं है। केंद्र सरकार इसमें फैसला ले सकती है। मुख्यमंत्री के अधिकार क्षेत्र की बात न होने के बावजूद हमने उनसे बात की थी और उन्होंने केंद्र में बात करने का आश्वासन दिया था।
प्रश्न : निर्दलीय विधायकों की बैठक में आपके अहम मुद्दे क्या रहते हैं और ऐसी कौन-कौन सी आप ने सरकार से मांग की थी जो पूरी की गई ?
उत्तर : हमने सरकार से अपने क्षेत्र संबंधी बहुत सी मांगे की थी। जैसे स्कूल, कॉलेज, सड़कें इत्यादि या गांव संबंधी बहुत सी हम बात करते रहते हैं और हमें लगभग सभी का संतोषजनक जवाब मिलता है।
प्रश्न : स्कूली छात्र संबंधी आपने कोई बात रखी थी वह क्या थी ?
उत्तर : मैंने विधानसभा में माननीय स्पीकर के माध्यम से मुख्यमंत्री तक एक बात पहुंचाई थी कि प्राइवेट स्कूल वाले बच्चों के अभिभावक सक्षम हैं। वह स्मार्टफोन खरीद कर अपने बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा दिलवा सकते हैं। लेकिन सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले अधिकतर बच्चों के अभिभावक इस लायक नहीं है। कहीं इस कोरोना काल में इस ऑनलाइन शिक्षा के चक्कर में यह बच्चे प्राइवेट स्कूल के बच्चों से बिछड़ना जाएं। इसके लिए सरकार द्वारा कोई ना कोई बड़ा फैसला लिया जाना जरूरी है। इस पर अधिकारियों ने सभी बच्चों के लिए टैब देने की योजना बनाई थी। जिस पर लगभग 400 करोड़ का खर्च आना था। लेकिन इसके बाद का खर्च पंचायतों द्वारा वहन करने की बात की गई थी। लेकिन मैंने इस चीज का विरोध किया कि इससे गांव की राजनीति में भागीदार लोग ही इसका फायदा उठाएंगे और सरपंच अपने समर्थकों को ही इसका लाभ देगा और दूसरों को अनदेखा करेगा। इस पर मुख्यमंत्री महोदय ने मेरी बात को स्वीकार किया। अब मुख्यमंत्री ने इस खर्च को भी सरकार द्वारा उठाए जाने पर सहमति जता दी है।
प्रश्न : कृषि कानूनों को लेकर आपकी निजी सोच क्या है ?
उत्तर : किसान अन्नदाता है। डेढ़ महीने से इतनी कड़कड़ाती ठंड में, बारिशों में वह आंदोलनरत है। सरकार को उनकी मांगों पर तुरंत फैसला लेना चाहिए। अगर किसान संशोधन पर सहमत नहीं होते तो तुरंत इन बिलों को वापस लेना चाहिए।