खट्टर सरकार 13 अप्रैल को करने जा रही है पंजाबी सम्मेलन

4/11/2018 11:38:58 AM

चंडीगढ़(ब्यूरो): वर्ष 2019 में होने जा रहे लोकसभा व विधानसभा चुनावों के मद्देनजर हरियाणा के सभी राजनीतिक दलों भाजपा, कांग्रेस, इनैलो व ‘आप’ ने बैसाखी पर्व से जातीय सम्मेलनों की बिसात खुल कर बिछानी शुरू कर दी है। जातीय समीकरणों के अंदर हरियाणा में जाट व गैर-जाट की राजनीति का ध्रुवीकरण रहता है। गैर-जाट राजनीति में पंजाबी बनिया, ब्राह्मण, दलित व ओ.बी.सी. जातियों पर डोरे डालने का प्रयास हर बार चुनावों से पूर्व सभी वे राजनीतिक दल करते हैं जो 36 बिरादरी के दम पर राजनीति की हुंकार भरते है।

गैर-जाट राजनीति में पंजाबी वोट बैंक पर आधारित 30 के करीब विधानसभा सीटें हरियाणा में है। 18 के करीब वे विधानसभा की सीटें है। जहां पंजाबी वोटर किसी की भी जीत-हार में सहायक रहते है। पंजाबी वर्ग जो ज्यादातर भारत-पाक बंटवारे के बाद पलायन करके आया व इस बिरादरी ने अपनी मेहनत, लगन से छोटे-छोटे व्यापार को स्थापित कर बड़े व्यापार तक पहुंचाकर प्रांत को राजस्व देने में रीढ़ की हड्डी की भूमिका निभाई। इस बिरादरी से जुड़े कई बड़े चेहरे राजनीति में विभिन्न दलों में सत्ता तक भी पहुंचे।

भजन लाल, मनोहर लाल खट्टर जैसे चेहरे मुख्यमंत्री भी बने। भाजपा सीएम खट्टर की अध्यक्षता में 13 अप्रैल को पलवल में पंजाबी सम्मेलन करने जा रही है। इस पंजाबी सम्मेलन का मकसद पंजाबियों को यह संदेश देने की कोशिश करना है कि भाजपा पंजाबियों की ही पार्टी है।

इनैलो के पंजाबी नेता व प्रांतीय अध्यक्ष अशोक अरोड़ा ने कहा है कि 2014 में पंजाबी समुदाय ने भाजपा की झोली दिल खोल कर अपनी वोटों से भर दी मगर सत्ता में आकर भाजपा के रंग-ढंग ही बदल गए। हरियाणा उर्दू अकादमी के उपाध्यक्ष व पंजाबी नेता राणा ओबराय ने कहा कि मुख्यमंत्री खट्टर पंजाबियों के सच्चे हमदर्द व मददगार है। साथ ही उनमें 36 बिरादरियों को साथ लेकर चलने की खूबी है। पंजाबी बिरादरी से होने के नाते खट्टर ने सदैव हर परेशानी हल करने का प्रयास किया है।

Rakhi Yadav