1 अप्रैल से शुरू होगी गेहूं की सरकारी खरीद, समर्थन मूल्य में 110 रुपए की बढ़ौतरी

3/26/2018 2:14:46 PM

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): हरियाणा सरकार ने 1 अप्रैल से गेहूं की खरीद के लिए पुख्ता इंतजाम कर लिए हैं। इस बार सरकार 1735 रुपए प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद करेगी। यह जानकारी खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राम निवास ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए दी।

राम निवास ने सोमवार को चंडीगढ़ में प्रेस वार्ता कर सरकार द्वारा रबी सीजन 2018 की तैयारियों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा रबी सीजन 2018 के लिए 80 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद के लक्ष्य के अनुसार प्रबन्ध किए गए हैं। सरकार के पास किसानों को भुगतान के लिए धनराशि की कोई कमी नहीं है। किसानों को उनकी फसल का भुगतान नीति अनुसार 48 से 72 घण्टों में किया जाएगा। उन्होंने बताया कि खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा वित्त विभाग के माध्यम से रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया से 4900 करोड़ रुपए का प्रबन्ध किया गया है। राज्य की अन्य खरीद संस्थाएं भी बैंकों के माध्यम से अपने स्तर पर धनराशि का प्रबंध कर रही हैं।   

राम निवास ने बताया कि गेहूं खरीद के लिए सभी संस्थाओं को 383 मण्डियों का आवंटन किया जा चुका है। इस खरीद सीजन के दौरान हैफेड द्वारा 40 प्रतिशत, खाद्य व पूर्ति विभाग द्वारा 33 प्रतिशत, हरियाणा वेयरहाउसिंग कारपोरेशन द्वारा 15 प्रतिशत तथा भारतीय खाद्य निगम द्वारा 12 प्रतिशत गेहूं की खरीद की जाएगी। राज्य की खरीद संस्थाओं के पास कुल 81.20 लाख मीट्रिक टन गोदाम भण्डारण क्षमता उपलब्ध है। इस रबी सीजन में राज्य की खरीद संस्थाओं के पास 41 लाख मीट्रिक टन गोदाम भण्डारण क्षमता उपलब्ध होगी। इसके अतिरिक्त लगभग 10 लाख मीट्रिक टन गेहूं अन्य राज्यों को सीजन के दौरान भेजा जाएगा। इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा प्राइवेट गोदाम किराए पर लेने के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए हैं, इस प्रकार राज्य में भण्डारण की कोई समस्या नहीं है। इसके अलावा मण्डी में किसी प्रकार की असुविधा न हो, इसके लिए पीने के पानी की व्यवस्था, शौचालय तथा विश्राम स्थल का अवश्य प्रबन्ध किया जाएगा।

अतिरिक्त मुख्य सचिव ने बताया कि हरियाणा सरकार तथा इसकी खरीद संस्थाओं द्वारा चालू खरीफ सीजन 2017-18 के दौरान 59 लाख 24 हजार 235 मीट्रिक टन धान की खरीद की गई है जो पिछले वर्ष के मुकाबले 5 लाख 76 हजार 387 मीट्रिक टन धान अधिक है। उन्होंने कहा कि भौतिक जांच के दौरान करनाल की तरावड़ी मण्डी के एक राइस मिलर मैसर्ज फोर फ्रैश राइस मिल के पास धान न पाए जाने पर कानूनी कार्रवाई करते हुए विभिन्न धाराओं के तहत 9 लोगों के विरूद्ध मुकदमा दर्ज करवाया गया है। इसमें राइस मिल मालिक के अतिरिक्त इस मिल के गारन्टरों को भी एफ.आई.आर में शामिल किया गया है।

उन्होंने बताया कि राइस मिलर्ज द्वारा पिछले वर्षों 2013-14, 2014-15 तथा 2015-16 के दौरान विभाग का चावल नहीं दिया गया था और उनके विरूद्ध अभी तक कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई थी, अब सरकार द्वारा इन मिलों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करते हुए मकुद्दमें दर्ज करवाए गए हैं। जिसमें करनाल जिले से 13 राइस मिल शामिल हैं तथा वर्ष 2015-16 के दौरान कुरूक्षेत्र जिले में डिफाल्टर रहे 3 राइस मिलर के विरूद्ध भी मुकदमा दर्ज करवाया गया है। इससे न केवल गलत राइस मिलर हतोत्साहित होंगे अपितु मिलर्ज को यह संदेश भी जाएगा कि सरकार का चावल न देने पर उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कारवाई भी की जा सकती है। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा न केवल राइस मिलर्ज के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई है अपितु सभी जिम्मेवार अधिकारियों व कर्मचारियों के  खिलाफ भी कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई अमल में लाई जा रही है।

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