भाजपा को सड़कों पर ढाई महीने से बैठे किसानों से अधिक बंगाल चुनाव की चिंता: राजन राव

2/11/2021 4:00:15 PM

गुरुग्राम (गौरव): पिछले दो दिनों में कृषि कानूनों पर संसद के दोनों सदनों (राज्यसभा और लोकसभा) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वक्तव्य को हरियाणा प्रदेश कांग्रेस समिति की अध्यक्षा, कुमारी सैलजा के राजनैतिक सचिव व दक्षिण हरियाणा के प्रभारी राजन राव ने नौटंकी करार दिया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नौटंकी कर कृषि कानूनों पर देश को गुमराह कर रहे हैं। जब से कृषि कानून बनाए गए हैं तब से लेकर आज तक पूरी भाजपा किसानों के साथ देश को गुमराह कर रही है। 

राव ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने सारी सीमाएं ही तोड़ दी। कृषि कानूनों पर उनके दोनों सदनों में दिए वक्तव्य ही विरोधाभाषी हैं। पहले कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने सवाल किया कि इनमें काला क्या, अब प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि यह तो वैकल्पिक है। किसान जो चाहता है उस पर प्रधानमंत्री ने भी अपना रुख साफ नहीं किया। किसान एमएसपी को कानूनी रूप देने की मांग कर रहे हैं तो सरकार इस चुप क्यों है? 
उन्होंने कहा कि अगर कानून इतने ही सफेद है तो सरकार देश के लाखों करोड़ों किसानों को उनकी सफेदी दिखाने में नाकाम क्यों हो रही है? भाजपा के पास तो तकनीकी रूप से अच्छा खासा नेटवर्क भी है, फिर भी किसानों को कानूनों की अच्छाई समझा नहीं पा रही है। इससे साफ है तीनों कृषि कानून ही काले नहीं बल्कि इन्हें लागू करने की मंशा के पीछे की पूरी परिणीति ही काली है।

उन्होंने कहा कि बार-बार प्रधानमंत्री आंदोलनरत किसानों को आंदोलनजीवी कह कर संबोधित कर रहे हैं, इन्हें फर्जी किसान साबित करने की चेष्ठा की जा रही है। प्रधानमंत्री या सरकार का कोई भी नुमाइंदा एक बार आंदोलन स्थल पर जनसैलाब देखे। सिंघु बॉर्डर से टिकरी बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर पर जो जनसैलाब उमड़ा है वह भावनाओं का सैलाब है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को जिओ के टावर तोडऩे का दुख हो रहा है, इससे साफ है कि प्रधानमंत्री देश को अपने पूंजीपति मित्रों को गिरवी रख चुके हैं। 

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि को किसानों से बातचीत का इंतजार कर रहे हैं। उनके इस बयान पर आश्चर्य होता है। सत्ता के शीर्ष पर बैठा व्यक्ति यह बोल कर केवल देश को गुमराह करने का प्रयत्न कर रहा है। अगर सरकार को किसानों की जरा भी चिंता है तो प्रधानमंत्री को किसानों को बातचीत के लिए तत्काल आमंत्रित करना चाहिए। प्रधानमंत्री को स्वयं किसानों से बैठकर बात करनी चाहिए और समस्या का हल निकालना चाहिए। सरकार तीनों कृषि कानूनों को सस्पेंड करने पर राजी है, उनमें संशोधन को राजी है तो कानूनों को रद्द कर किसानों के साथ बातचीत नए सिरे से कानूनों का मसौदा तैयार करना चाहिए।

Content Writer

Shivam