किसान आंदोलन का हल निकालने को तैयार नहीं सरकार: राजन राव

3/4/2021 7:40:16 PM

गुरुग्राम (गौरव): हरियाणा कांग्रेस के नेता राजन राव ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार गांव, गरीब और किसानों की हितैषी होने का ढोंग करती है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण यही है कि सरकार किसान आंदोलन का हल निकालने को तैयार नहीं है। देश के सामने प्रधानमंत्री ने किसानों के साथ वार्ता की यह कहकर उम्मीद जगाई थी कि किसान आंदोलन का हल महज एक फोन कॉल दूर है। प्रधानमंत्री का यह बयान भी महज जुमला ही साबित हुआ। अभी तक किसानों से सरकार की ओर से बातचीत की पहल नहीं की गई। राजन राव ने प्रधानमंत्री के पूरे बयान और केंद्र सरकार के हर कदम को नौटंकी करार दिया है। 

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने नौटंकी कर कृषि कानूनों पर देश को गुमराह किया है। प्रधानमंत्री के साथ-साथ दूसरे संवैधानिक पदों पर बैठे भाजपा नेता भी प्रधानमंत्री की भाषा बोल रहे हैं। जब से कृषि कानून बनाए गए हैं तब से लेकर आज तक पूरी भाजपा किसानों के साथ देश को गुमराह कर रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने सारी सीमाएं ही तोड़ दी। किसान एमएसपी को कानूनी रूप देने की मांग कर रहे हैं तो सरकार इस पर चुप क्यों है? उन्होंने कहा कि अगर कानून इतने ही सफेद है तो सरकार देश के लाखों करोड़ों किसानों को उनकी सफेदी दिखाने में नाकाम क्यों हो रही है? सही मायने में भाजपा कृषि कानूनों पर केवल देश को गुमराह कर रही है। 

ये कानून किसानों को बर्बाद करने वाले हैं। यही कारण है भाजपा किसानों को कानूनों की अच्छाई समझा नहीं पा रही है। इससे साफ है तीनों कृषि कानून ही काले नहीं बल्कि इन्हें लागू करने की मंशा के पीछे की पूरी परिणीति ही काली है। प्रधानमंत्री या सरकार का कोई भी नुमाइंदा एक बार आंदोलन स्थल पर जनसैलाब देखे। सिंघु बॉर्डर से टिकरी बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर पर जो जनसैलाब उमड़ा है वह भावनाओं का सैलाब है। उन्होंने कहा कि प्रधानमन्त्री देश को अपने पूंजीपति मित्रों को गिरवी रख चुके हैं। 

राजन ने कहा कि प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि किसानों से बातचीत का इंतजार कर रहे हैं। उनके इस बयान पर आश्चर्य होता है। सत्ता के शीर्ष पर बैठा व्यक्ति यह बोल कर केवल देश को गुमराह करने का प्रयत्न कर रहा है। अगर सरकार को किसानों की जरा भी चिंता है तो प्रधानमंत्री को किसानों को बातचीत के लिए तत्काल आमंत्रित करना चाहिए। प्रधानमंत्री को स्वयं किसानों से बैठकर बात करनी चाहिए और समस्या का हल निकालना चाहिए। सरकार तीनों कृषि कानूनों को सस्पेंड करने पर राजी है, उनमें संशोधन को राजी है तो कानूनों को रद्द कर किसानों के साथ बातचीत नए सिरे से कानूनों का मसौदा तैयार करना चाहिए।

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Content Writer

vinod kumar