अधिकारियों व सरकार ने रचा चक्रव्यूह, जिसमें फंसकर जेल की सलाखों के पीछे हैं राम रहीम

8/29/2017 12:25:22 PM

चंडीगढ़(चंद्र शेखर धरणी): पंचकूला की सी.बी.आई. कोर्ट के आदेशों अौर पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट की लटकी तलवार में हरियाणा के बीच 25 अगस्त को डेरे से बाबा राम रहीम को बाहर निकालने के लिए बीजेपी की हरियाणा सरकार द्वारा रचे 'चक्रव्यूह' में आखिरकार राम रहीम फंस ही गए। अब वे जेल की सलाखों के पीछे हैं। हरियाणा में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव -राजेश खुलर, पुलिस विभाग के डी.जी.पी. बी एस संधू ,गृह सचिव राम निवास व सी.आई.डी. चीफ अनिल राव यह भली भांति जानते थे कि अगर 25 अगस्त को राम रहीम पंचकूला की सी.बी.आई. कोर्ट के आदेशों पर पेश न हुए तो कोर्ट गिरफ्तारी वारंट निकलेगी व रामपाल केस की तरह हरियाणा पुलिस के लिए आफत व् चुनौतियां बढ़ेंगी। यह सर्व विदित है कि रामपाल के मुकाबले राम रहीम के अनुयायियों की संख्या बहुतायत है व रामपाल से कहीं बड़ा किला राम रहीम का है। राम रहीम को उनके किले से निकालने में पुलिस को आर्मी की मदद व मृतकों की संख्या भी बढ़ने के खतरे का अहसास आला अधिकारियों को था।

राम रहीम ने जब सड़क मार्ग से आने की स्वीकृत्ति दी तो पूरे मार्ग पर उनके समर्थक कहीं कोई शरारत कर मार्ग अवरुद्ध कर राम रहीम को सी.बी.आई. की पंचकूला अदालत पहुंचने से न रोक दें- यह खतरा भी पुलिस प्रशासन के लिए चुनौती था। राम रहीम के सिरसा से डेरा बस्सी क्रास करने तक सभी अधिकारियों व सरकार की पूरी निगाहें इनके कारवां की तरफ ही थी। रूट भी बदला गया, जीरकपुर की तरफ से न लाकर फ्लाई ओवर क्रास करके चंडीगढ़ की तरफ से एंट्री करवाई गई। पंचकूला घुसते ही राम रहीम के काफिले की गाड़ियां कम करने का काम योजनाबंद तरीके से पुलिस करती गई।  

हरियाणा के आला अफसरों ने सरकार से अनुमति ले पूर्ण सुरक्षित प्लान तैयार किया व इस चक्रव्यूह में राम रहीम पंचकूला की सी.बी.आई. कोर्ट के अंदर आने को तैयार हुए। सबसे बड़ी चुनौती इन अधिकारियों के लिए राम रहीम के समर्थकों की पंचकूला में एकत्रित हो रही भारी भीड़ थी अगर इसे आने से यह रोकते तो नि:संदेह राम रहीम भी इनके चक्रव्यूह में न फंसते, उन्हें आने दिया गया। राम रहीम के साथ 25 अगस्त को कोर्ट क्या निर्णय सुना सकती है का इल्म किसी को नहीं था।

सबसे पहले कोर्ट को डेढ़ किलोमीटर के दायरे में सील किया गया मगर आबादी क्षेत्रों के साथ बने सरकारी भवनों व व्यवसायिक स्थलों की सुरक्षा में चूक हो ही गई। मीडिया को भी असुरक्षित स्थान से सुरक्षित स्थान पर नहीं भेजा गया। राम रहीम के समर्थकों का जहां सर्वाधिक जमावड़ा था वहीं यह तांडव हुआ। आज इसलिए अधिकारी यह पीठ भी थपथपा रहें हैं कि मृतकों या घायलों में एक भी स्थानीय वासी नहीं है। सभी राम रहीम के समर्थक व् पुलिस कर्मी ही हैं। निर्णय राम रहीम के खिलाफ आने के बाद मृतकों के नाम पुलिस ने सार्वजनिक नहीं किए, जिनकी शिनाख्त हो गई उन्हें उनके परिवार वालों के हवाले कर एक-एक रिजर्व बटालियन साथ भेज संस्कार तक की प्रक्रिया अपनाई गई ताकि किसी नाम चर्चा घर में शव रख कोई न्य ड्रामा न हो सके।