जेल में राम रहीम को मिली नई पहचान

8/26/2017 1:22:16 PM

पंचकूला (चंद्रशेखर धरनी):दोषी करार होने के बाद डेरा प्रमुख बाबा राम रहीम को जेल में नई पहचान मिली है। जेल में राम रहीम का नया नामकरण हुआ है, जिसके तहत उन्हें कैदी नंबर 1997 नाम दिया गया है। ये जानकारी हरियाणा के डीजी के.पी.सिंह ने दी। 

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उन्होंने मीडिया द्वारा गुरमीत राम रहीम को विशेष सुविधा दिए जाने की खबरों का भी खंंडन किया है। उन्होंने कहा कि गुरमीत राम रहीम को साधारण कैदी की तरह रखा गया है। राम रहीम को कोई विशेष सुविधा नहीं दी जा रही है। उनके साथ किसी सहायक को नहीं रखा गया है। उन्होंने कहा कि एतियातन के तौर पर उन्हें 2-3 कैदियों के साथ रखा गया है। जेल के नियमों के मुताबिक उन्हें सिर्फ कपड़े ले जाने की अनुमति दी गई है।

गौरतलब है कि पंचकूला की केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सी.बी.आई.) की विशेष अदालत ने कल उन्हें साध्वी बलात्कार मामले में दोषी ठहराया था, जिसके बाद उन्हें हेलिकॉप्टर से रोहतक लाया गया। राम रहीम को 28 अगस्त को सजा सुनाई जाएगी।  उन्हें दोषी ठहराए जाने के बाद कल उनके समर्थकों ने जो भीषण उत्पात मचाया था, उसे देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि राम रहीम को सजा के बारे में जानकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए या जेल में ही विशेष अदालत लगाकर सुनाई जा सकती है। 

राम रहीम को 3 धाराओं के तहत ठहराया दोषी 
सीबीआई अदालत ने राम रहीम को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की तीन धाराओं 376 (बलात्कार), 506 (डराने-धमकाने) एवं 509 (महिला की इज्जत से खिलवाड़)- के तहत दोषी ठहराया है। राम रहीम को कम से कम 7 साल सश्रम कारावास की सजा होनी तय है। निर्भया कांड के बाद पारित आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम 2013 के तहत बलात्कार के अपराधियों को कम से कम 7 साल के सश्रम कारावास और अधिक से अधिक आजीवन कारावास तथा जुर्माने के प्रावधान हैं। 

आई.पी.सी. की धारा 506 के तहत अधिकतम दो साल की सजा अथवा जुर्माना अथवा दोनों के प्रावधान हैं। वर्ष 2013 में किए गए संशोधन के अनुसार धारा 509 के तहत अधिकतम 3 साल की साधारण सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इससे पहले इस धारा के तहत एक साल के साधारण कारावास अथवा जुर्माना अथवा दोनों की व्यवस्था थी। नए संशोधन में कुछ ऐसे प्रावधान भी किए गए हैं, जिसके तहत बलात्कार के अपराधी को कम से कम 10 साल सश्रम कारावास एवं अधिक से अधिक आजीवन कारावास की व्यवस्था की गई है। इनमें पुलिस अधिकारी द्वारा बलात्कार, अभिरक्षा में बलात्कार, बार-बार बलात्कार, किसी न्यास और संस्था के प्रमुख द्वारा वहां रहने वाली महिलाओं के साथ बलात्कार आदि शामिल हैं।