राम रहीम को राहत दिलवाने के लिए सांसद-विधायकों पर बनाया था दबाव, चार्जशीट में खुलासा

1/24/2018 11:39:45 AM

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को सजा से राहत दिलवाने के लिए डेरे के राजनीतिक विंग ने भाजपा के कई सांसद-विधायकों पर दबाव बनाया था। डेरे के कार्यकर्ताओं ने विधानसभा चुनाव के दौरान समर्थन के बदले मदद की मांग की थी। पंचकूला दंगों की जांच कर रही एस.आई.टी. ने अपनी चार्जशीट में यह खुलासा किया है। इस रिपोर्ट में हरियाणा के कई जनप्रतिनिधियों के भी नाम हैं। गौरतलब है कि बीते साल सी.बी.आई. कोर्ट ने 25 अगस्त को डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को साध्वी यौन शोषण मामले में दोषी करार देते हुए सजा सुनाई थी।

इस घटनाक्रम के बाद डेरा प्रेमियों ने पंचकूला समेत पूरे हरियाणा में हिंसा व आगजनी की घटनाओं को अंजाम दिया था। इस पेशी से पहले हरियाणा सरकार तथा डेरा मुखी राम रहीम के बीच कई तरह के नाटकीय घटनाक्रम भी चले। डेरा मुखी को सजा सुनाए जाने से महज 10 दिन पहले हरियाणा के कैबिनेट मंत्री रामबिलास शर्मा ने बाकायदा डेरा में हुए कार्यक्रम में भाग लिया था। डेरा मुखी को सजा सुनाए जाने के बाद भी हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज खुलेआम डेरा प्रेमियों के समर्थन में बयान देते रहे हैं। कुछ ऐसे ही खुलासे एस.आई.टी. की रिपोर्ट में किए गए हैं।

एक निजी टी.वी. चैनल ने आज एस.आई.टी. की करीब 18 पन्नों की रिपोर्ट को सार्वजनिक करते हुए दावा किया है कि डेरे के राजनीतिक विंग के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने अपने-अपने क्षेत्र के जूनियर कार्यकर्ताओं को यह निर्देश दिए थे कि वह डेरा मुखी की पेशी से पहले 20 से 25 की संख्या में इकट्ठे होकर अपने-अपने क्षेत्र के विधायकों तथा सांसदों के साथ बातचीत करें। एस.आई.टी. ने अपनी रिपोर्ट में कुछ ऐसी फोन रिकार्डिंग का ब्यौरा देते हुए कहा है कि डेरा के राजनीतिक विंग के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने हरियाणा में ऐसे कई विधायकों और सांसदों के नाम अपनी बातचीत के दौरान लिए हैं। 

एस.आई.टी. ने अपनी रिपोर्ट में राजनीतिक विंग के पदाधिकारियों के हवाले से कथित तौर पर यह भी उल्लेख किया है कि डेरा प्रेमियों ने 25 अगस्त के घटनाक्रम से पहले आपस में यह भी चर्चा की थी कि विधानसभा चुनाव के दौरान डेरा प्रेमियों द्वारा भाजपा को खुलकर समर्थन किया गया है। इस बात का हवाला देकर सांसदों और विधायकों के माध्यम से मुख्यमंत्री तक यह संदेश पहुंचाते हुए उनसे मदद मांगी जाए। एस.आई.टी. ने अपनी रिपोर्ट में जिन लोगों का उल्लेख किया है उनमें से अधिकतर आपस में ही बातचीत कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट में कई नेताओं अथवा जनप्रतिनिधियों के नाम तो हैं लेकिन उनकी बातचीत का ब्यौरा अथवा रिकार्डिंग का ब्यौरा अभी तक सार्वजनिक नहीं हो सका है।