मानसून सत्र एक दिन का होने पर राव दान नाखुश, बोले- कई विकास के मुद्दे उठाने थे

9/9/2020 6:29:59 PM

चंडीगढ़ (धरणी): हरियाणा के महेंद्रगढ़ विधानसभा हल्के के बारे में कांग्रेस के विधायक व पूर्व संसदीय सचिव राव दान सिंह ने कहा कि लोकतंत्र का मजाक बनाया जा रहा है। मॉनसून सत्र एक दिन का बुलाया गया, इसमें कई विकास के मुद्दे उठाने थे। जबकि पिछले साढ़े पांच साल के दौरान यहां किसी तरह का विकास नहीं हुआ। 

रावदान सिंह ने बताया कि उनके हल्के में आईएमटी बनना था, जो नहीं बनी। उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि उनके हल्के में कृषि के साथ-साथ उद्योग भी स्थापित हों। इसके अलावा उनकी पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान वहां किसान मॉडल स्कूल बनाया जाना था। जिसका तब से महज ढांचा ही खड़ा है। इसके साथ उनके पिछली सरकार के दौरान शुरू करवाए गए विकास कार्यों को वहीं रोक दिया गया। कई विकास कार्य ठप पड़े है।

प्रस्तुत है राव दान सिंह से हुई एक्सक्लूसिव बातचीत के प्रमुख अंश-

प्रश्न- बरोदा उपचुनाव कोरोना काल में है क्या कहेंगे।
उत्तर- यह बात सत्य है कि उपचुनाव में चुनावी महाभारत कोरोनो काल में है। सब को अत्यंत सावधानी से बचाव कर चलने की जरूरत है। स्वर्गीय कृष्ण हुड्डा के बाद यह सीट खाली हो गई है। सभी पार्टियां अपने अपने प्रयास करेगीं। लेकिन यह बात मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि काग्रेंस बरोदा में वापसी करने जा रही है। भाजपा लोगों की आशाओं पर खरा नहीं उतरी। जिससे अब लोगों ने पूरी तरह से मन बना लिया है कि काग्रेंस ही ऐसी पार्टी है जो प्रदेश का सही विकास करवाने के लिए सक्षम है। इसलिए उपचुनाव का नतीजा हमारे ही पक्ष में रहने वाला है।

प्रश्न- कोरोना काल में सरकार को आपके सुझाव क्या हैं?
उत्तर- सुझाव उन्हें दिए जाते हैं जो मानें। कोरोना में सरकार इस मामले में पूरी तरह से फेल हुई है। सरकार अगर शुरूआत में इस वैश्विक महामारी की और ध्यान देती तो शायद हिन्दूस्तान को इस बिमारी से रूबरू न होना पड़ता। एका एक लॉकडाउन करने से मजदूर, व्यापारी, किसान गरीब सभी आमजन बहुत ज्यादा परेशान हुए। आर्थिक मंदी, बेरोजगारी जैसी बहुत सी समस्याएं आज देश के सामने खड़ी हैं। लॉकडाउन करने का भी सही समय सरकार तय नहीं कर पाई। जिससे देश का बहुत बड़ा नुकसान हुआ।

प्रश्न- आपके क्षेत्र से तो राव इंद्रजीत सिंह केंद्र में मंत्री हैं?
उत्तर- सांसद व केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत के बारे में उन्होंने कहा कि उन्होंने सत्ता में भागीदारी तो रखी, लेकिन विकास पर जोर नहीं दिया। जबकि अगर वहां विकास पर जोर दिया होता तो वहां का बुनियादी ढांचा काफी अच्छा होता। रावदान सिंह ने कहा कि राव इंद्रजीत के केंद्रीय मंत्री होने और इससे पहले राव नरबीर भी प्रान्त में मंत्री थे, ये लोग पिछली बार भी मंत्री थे। यहां विकास के काम नहीं हुए। यहां पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने खुद डिफेंस यूनिवर्सिटी की शुरुआत करवाई थी, लेकिन वो भी अब तक महज चार दिवारी ही खड़ी है । इसके अलावा रेवाड़ी में सैनिक स्कूल बनाया गया, लेकिन उसकी अपनी बिल्डिंग के अंदर आज तक बच्चों के बैठने की व्यवस्था नहीं है। वहीं सरकार प्रदेश के 1 हजार स्कूलों को बंद करने जा रही है, जिसमें सबसे अधिक उनके जिले में 122 स्कूल हैं।

प्रश्न- कांग्रेस क्या एक जुट होकर चुनाव लड़ेगी?
उत्तर- कांग्रेस पूरी तरह से एकजुट और कांग्रेस एक ताकत है और यह ताकत बनी रहेगी और कांग्रेस आज पूरी तरह से मजबूत स्थिति में है। भूपेन्द्र सिंह हुड्डा नेता प्रतिपक्ष है और बहन कुमारी शैलजा प्रदेश की अध्यक्ष। सभी मिलकर कांग्रेस को मजबूत करने में लगे हैं। हम सब एक हैं आपस में किसी प्रकार कोई मनमुटाव नहीं हैं। कांग्रेस एक जुट है। भजपा की गठबंधन सरकार के उम्मीदवार बुरी तरह पराजित होंगें।

प्रश्न- मॉनसून सत्र केवल एक दिन का रहा?
उत्तर- जी, इस बार तो कोरोना का बहाना था। वैसे भी हर सत्र में विपक्ष के सवालों का जवाब देने से सत्ता पक्ष बचता है। कानून व्यवस्था, शिक्षा, चिकित्सा, भवन निर्माण, सड़कों की खस्ता हालत, हर मोर्चे पर विपक्ष इस बार भी पूरी तैयारी से सदन में मौजूद था। लोकतंत्र का मजाक बनाया जा रहा है, मॉनसून सत्र एक दिन का बुलाना।

प्रश्न- आपने कौन से मूद्दे उठाने थे?
उत्तर- महेंद्रगढ़ के सबसे बड़े मुद्दे वहां ठप पड़े हैं। जबकि पिछले साढ़े पांच साल के दौरान यहां किसी तरह का विकास नहीं हुआ। रावदान सिंह ने बताया कि उनके हल्के में आईएमटी बनना था, जो नहीं बनने दिया गया। उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि उनके हल्के में कृषि के साथ-साथ उद्योग भी स्थापित हों। इसके अलावा उनकी पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान वहां किसान मॉडल स्कूल बनाया जाना था। जिसका तब से महज ढांचा ही खड़ा है। जबकि उनके पिछली सरकार के दौरान शुरू करवाए गए विकास कार्यों को वहीं रोक दिया गया। वहीं एक फोर लेन हाइवे का काम केवल महेंद्रगढ़ में रोक दिया गया। इसके अलावा भी वहां कई विकास कार्य ठप पड़े हैं।

प्रश्न- हरियाणा में कांग्रेस के सुर अलग अलग क्यों है?
उत्तर- ऐसा बिल्कुल नहीं है। कांग्रेस के सभी नेता व कार्यकर्त्ता एक जुट हैं। यह विपक्ष का दुष्प्रचार व षड्यंत्र के तहत मिथ्या प्रचार है।

प्रश्न- अहीरवाल रेजिमेंट पर आपका स्टैंड क्या है?
उत्तर- वहीं अहीरवाल रेजिमेंट की मांग को लेकर रावदान सिंह ने इस मांग को पूरी तरह से जायज बताया। क्योंकि हमारे बहु गिनती लोग सेना और अर्धसैनिक बलों में है। देश की आजादी से लेकर आज तक जितने भी युद्ध हुए हैं, उनमें अहीरवाल के लोगों की अहम भूमिका रही है। इसलिए उनकी यह मांग वाजिब है।

प्रश्न- ईज ऑफ डूइंग में हरियाणा 16 वें स्थान पर पहुंच गया है।
उत्तर- हरियाणा की ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस रैंकिंग में गिरावट के बाद हरियाणा तीसरे पायदान से 13 स्थान गिरकर 16 वें स्थान पर पहुंचना सरकार की सभी दावों की पोल खोलता है और लोगों के सामने साफ हो गया है कि हरियाणा बेरोजगारी में नंबर 1 के स्थान पर कैसे पहुंचा। भाजपा के 6 साल के दिशाहीन शासन ने प्रदेश में काम-काज और कारोबार की ऐसी हालत कर दी है कि नए उद्योग लगना तो दूर, चलते उद्योग भी प्रदेश छोड़कर जा रहें हैं। 

जहां एक और सरकार लाखों करोड़ों के निवेश का दावा कर रही है, वहीं सच यह है कि प्रदेश में काम कर रहे उद्योग भी सरकार की दिशाहीनता और प्रदेश में बढ़ते अपराध के कारण दूसरे प्रदेश में जा रहे हैं। 2015 हैपनिंग हरियाणा का आयोजन किया था और 5.87 लाख करोड़ के एमओयू साइन करने का दावा किया था। 2019 में दायर की गई आरटीआई में सरकार ने यह माना था केवल 4 प्रतिशत निवेश आया था, जिसमें अब भी कोई खास वृद्धि नहीं हुई है। 

निजी क्षेत्र की बुरी हालत और सरकारी क्षेत्र में छटनी के कारण हरियाणा बेरोजगारी में नंबर 1 पर पहुंच गया है और प्रदेश का युवा नाउम्मीद होकर घर बैठने को मजबूर है। इसके कारण प्रदेश में अपराध की संख्या बढ़ गई है जिससे कारण नशे में भी अभूतपूर्व बढ़ोतरी हुई है। गिरती साख का असर प्रदेश की आर्थिक हालत पर भी पड़ा है, जिसके कारण हरियाणा कर्ज के बोझ के तले दबता जा रहा है। उन्होंने कहा की इस चिंताजनक हालत पर प्रदेश सरकार को विचार करना चाहिए और रणनीति बनानी चाहिए।

प्रश्न- केंद्र के 3 अध्यादेश पर क्या स्टेंड है?
उत्तर- 3 कृषि अध्यादेशों के खिलाफ किसान आंदोलन के समर्थन का ऐलान कांग्रेस करती है। ये आंदोलन सिर्फ किसान का ही नहीं, इसमें मजदूर, आढ़ती और छोटे व्यापारी भी शामिल हैं। सभी का मानना है कि बिना एमएसपी के ये अध्यादेश किसान हित में नहीं हैं। अगर सरकार इन्हें लागू करना चाहती है तो सबसे पहले इसमें एमएसपी पर खरीद का प्रावधान शामिल करना चाहिए। या उसके लिए अलग से चौथा बिल लाना चाहिए। 

बिल में स्पष्ट प्रावधान हो कि अगर कोई एजेंसी एमएसपी से नीचे किसान की फसल खरीदती है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी। मौजूदा सरकार शुरुआत से ही एमएसपी विरोधी रही है। क्योंकि इन बिलों से पहले भी मौजूदा सरकार किसानों को एमएसपी देने में नाकाम थी। किसान को उसकी फसल का भाव देने के बजाय सरकार धान, चावल, सरसों और बाजरा ख़रीद जैसे घोटालों को अंजाम देने में लगी थी, लेकिन कांग्रेस ऐसा नहीं होने देगी। कांग्रेस कंधे से कंधा मिलाकर किसानों के साथ खड़ी है। सड़क से लेकर सदन तक, विधानसभा से लेकर संसद तक किसान की आवाज को उठाया जाएगा।

vinod kumar