कंगना के साथ मुंबई की सरकार का दमनकारी रवैया काफी दुखद है : सुनील बंसल

9/13/2020 12:39:19 PM

चंडीगढ़ (चन्द्र शेखर धरणी) : कंगना को पहली बार प्लेटफार्म देने वाले फैशन डायरेक्टर सुनील बंसल का कहना है कि कंगना से मेरी पहली मुलाकात 6 दिसम्बर 2003 को हुई थी। जिन्हें मैं चंडीगढ़ सेक्टर 17 स्थित अपने आफिस में मिला था। जबकि कंगना को देखते ही मैंने यह अंदाजा लगाया था कि वह प्रतिभावान है। मैं हर वर्ष फेस ऑफ द ईयर कार्यक्रम का आयोजन करता हूं जिसमें कंगना ने भाग लिया था। तब वह उम्र में बहुत छोटी थी और एक साधारण परिवार से संबंधित थी।

सुनील बंसल का कहना है कि 2003 में कंगना 17-18 साल का बच्चा थी। लेकिन मुम्बई जाकर फ़िल्मों में काम करने के दौरान तरह-तरह के प्रोफेशनल्स को मिलने के उपरांत उनकी ग्रूमिंग हुई, ट्रेनिंग हुई और कंगना की प्रोफेशनल कैपेबिलिटी और एक्सपोजर के साथ-साथ उनका तुजुर्बा भी बड़ा। ऐसा हर इंसान की जिंदगी में होता है और जिंदगी के हर मोड़ पर वह कुछ न कुछ नया सीखता है। कंगना ने भी अपनी मेहनत के बल पर बहुत अच्छी चीजें सीखीं। आज कंगना के अकेली के दम पर ही बॉक्स आफिस हिट होता है। कंगना का ऑफिस तोड़े जाना बड़ा दुखद है। जबकि उसके साथ वहां की पुलिस और पोलिटिकल रवैया काफी निंदनीय है। सुशांत सिंह राजपूत का एक अलग मामला है जबकि कंगना का अलग मामला है।जबकि कंगना के साथ मुंबई की सरकार का दमनकारी रवैया काफी दुखद है। प्रस्तुत है खास बातचीत के प्रमुख अंश :

प्रश्न : सबसे पहले मैं आपसे जानना चाहूंगा कि कंगना रनौत को आप पहली बार कैसे मिले और आज जिस प्रकार से कंगना ने एक सरकार के साथ सीधी टक्कर लेकर निडरता की अलग पहचान बनाई है उसे लेकर आप क्या कहना चाहेंगे? 
उत्तर :
कंगना से मेरी पहली मुलाकात 6 दिसम्बर 2003 को हुई थी।जिन्हें मैं चंडीगढ़ सेक्टर 17 स्थित अपने आफिस में मिला था।जबकि कंगना को देखते ही मैंने यह अंदाजा लगाया था कि वह प्रतिभावान है।मैं हर वर्ष फेस ऑफ द ईयर कार्यक्रम का आयोजन करता हु जिसमे कंगना ने भाग लिया था।तब वह उम्र में बहुत छोटी थी और एक साधारण परिवार से संबंधित थी।उस समय फैमिली के सपोर्ट न करने के चलते वह इस फील्ड में नही आना चाहती थी।लेकिन हमारी बात होने के बाद और कंगना के कॉन्फिडेंस बड़ा और तब उनका सफर हमारे साथ शुरू हुआ।

प्रश्न : वैसे तो बॉलीवुड औऱ पॉलीवुड में आपने कई अदाकारों को आप ट्रैंड और ग्रूम कर चुके हैं।आज जिस तरह की पर्सनालिटी कंगना की देखने को मिल रही है।जब आपकी कंगना से मुलाकात हुई थी तो क्या आपको लगा था कि कंगना में ऐसी निडरता ,ईमानदारी और नपोटिज्म के खिलाफ  आवाज़ उठाने वाली है?
उत्तर :
जहां तक नपोटिसम की बात है बॉलीवुड में यह लॉबी बहुत सालो से चल रही है।हर आदमी की अपनी लॉबी है और वह अपनी लॉबी के लोगों को ही प्रमोट करता है।जो नए टैलेंट के लिए गलत है।जबकि कंगना भी पूरी तरह से निडर,निर्भय थी और भगवान की उसपर पूरी कृपा थी।वह निडर और निर्भय होकर आगे बढ़ती गई और काम करके उसने अपनी एक ऐसी पहचान बनाई कि मैं तो यह कहूंगा कि हिंदुस्तान की कंगना ऐसी पहली अदाकार होगी जिसे शायद फ़िल्म चलने के लिए किसी हीरो की भी जरूरत नही थी। इसी के चलते वह आगे बढ़ी और लोगो के दिलो पर राज किया जबकि आगे बढ़ते -बढ़ते वे आज इस मुकाम  तक पहुंची। हमारे साथ कंगना करीब 6 से 8 माह तक जुड़ी रही ।जिसने हमारे साथ फैशन शो किये ,कई कैम्पेन भी की। जबकि उसकी प्रतिभा को देखकर इस बात का यकीन मुझे पहले ही दिन से था आने वाले समय मे कंगना को उसकी प्रतिभा के लिए लोग याद करेंगे।

प्रश्न : अब जिस तरीके का रवैया कंगना के साथ हो रहा है।जिस तरह से उनका आफिस बीएमसी की और से डेमोलिश किया गया।आप इस पुरे घटनाक्रम को किस तरह से देखते हैं?
उत्तर : 
कंगना का आँफिस तोड़े जाना बड़ा दुखद है।जबके उसके साथ वहां की पुलिस और पोलिटिकल रवैया काफी निंदनीय है। सुशांत सिंह राजपूत का एक अलग मामला है जबकि कंगना का अलग मामला है।जबकि कंगना के साथ वहां की सरकार का रवैया काफी दुखद है।

प्रश्न : कंगना ने कहा है कि अब वह अपने देश वासियों को जगायेगी आपको क्या लगता है कि सिस्टम में किस तरह की ख़ामियां हैं?
उत्तर : 
यह दुर्भागपूर्वक है कि जनता सो रही है जिसे वाक्य में जगाने की जरूरत है।बहुत से लोग है जो झूठी खबरों और जानकारियों को फॉलो करते हैं।जिसके लिए हर आदमी को जागरूक होने और सच बोलने वाले का साथ देने की जरूरत है।अगर आज कंगना लोगो को जागरूक करने की कोशिश कर रही है तो जहां तक मैं समझता हूं इसके पीछे कंगना के किसी भी तरह का पर्सनल ऑब्जेक्टिव नहीं है।उसका केवल इतना कसूर है कि वह सच के साथ खड़ी है।जबकि सच के साथ देने वालो को इसकी कीमत चुकानी पड़ती है लेकिन जो लोग सच के साथ खड़े होते है उन्हें ही युगों युगान्तर तक याद किया जाता है।

प्रश्न : 2003 में बाक़ायदा अपने कंगना को ट्रैंड किया। उस समय कंगना की जो पर्सनालिटी थी और आज की कंगना में क्या फर्क है?
उत्तर : 
2003 में कंगना 17-18 साल का बच्चा थी।लेकिन मुम्बई जाकर फ़िल्मो में काम करने के दौरान तरह-तरह के प्रोफेशनल्स को मिलने के उपरांत उनकी ग्रूमिंग हुई,ट्रेनिंग हुई और कंगना की प्रोफेशनल कैपेबिलिटी और एक्सपोजर के साथ-साथ उनका तुजुर्बा भी बड़ा।ऐसा हर इंसान की जिंदगी में होता है और जिंदगी के हर मोड़ पर वह कुछ न कुछ नया सीखता है।कंगना ने भी अपनी मेहनत के बल पर बहुत अच्छी चीजें सीखीं।आज कंगना के अकेली के दम पर ही बॉक्स आफिस हिट होता है।

प्रश्न : जब कंगना आपके साथ थी तो क्या आपको अंदाजा था कि वह नेशनल अवार्ड विनर और  एक दिन वह किसी भी हिट फिल्म की गारंटी बन जाएंगी?
उत्तर :
इस बात पर मुझे एक वाक्य याद आता है जब मैंने कंगना को यह कहा था कि कंगना तुम एक दिन हिंदुस्तान की नामी स्टार बनोगी।उसपर उन्होंने यह कहा था कि नही मैं तो इस इंडस्ट्री में बिल्कुल नई हुँ।मैं कैसे बनूँगी इतनी बड़ी स्टार।तो मैंने कहा था कि मैं आपके अंदर देख पा रहा हूँ कि आपको दुनिया की कोई भी ताकत बड़ी स्टार बनने से नहीं रोक सकती। शायद वो एक ऐसा दिन था कि कंगना के अंदर फीलिंग्स आयी और कॉंफिडेंट होकर वह आगे बढ़ी और बढ़ती चली गई।आज मुझे इस बात का बहुत फख्र है कि उसकी जर्नी हमारे पास से शुरू हुई।

प्रश्न : आप तो फ़िल्म इंडस्ट्री को बहुत अच्छे तरीके से समझते है ।वहां पर बहुत से लोग पहुंच तो जाते है लेकिन सर्वाइव करना तब तक मुश्किल होता है जितनी देर तक कोई गॉड फादर न हो। उसके बाद नम्बर वन तक पहुँचना  और बाद में वहां पर तमाम तरह की मुश्किलों का डटकर मुकाबला करना।इन तमाम खूबियों को आपने कैसे आंका था?
उत्तर : 
मैं इसका पूरा श्रेय कंगना रनौत को ही देना चाहुंगा कि उसकी इच्छाशक्ति इतनी मजबूत थी।वह अपनी मेहनत से खुद को सवांरती गई और भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में एक ऐसा मुकाम खड़ा कर दिया कि आज उसका कोई तोड़ नहीं है।

प्रश्न : क्या कंगना के बॉलीवुड में आने के बाद आपकी उनसे कोई मुलाकात हुई?
उत्तर : 
गैंगस्टर फ़िल्म की शूटिंग के दौरान मैं मुम्बई गया था।उस समय मुलाकात हुई थी।लेकिन उसके बाद कंगना के कांटेक्ट नम्बर चेंज हो गए।जिसके बाद 12 साल से मैं उनके साथ कांटेक्ट नहीं कर पाया। लेकिन हम हर समय यही दुआ मांगते है कि वह हमेशा तरक्की करे।

 

Manisha rana