पत्नी को तलाक दिए बिना दूसरी महिला के साथ रहना सही या गलत, हाईकोर्ट ने की टिप्पणी

punjabkesari.in Sunday, Sep 11, 2022 - 09:43 PM (IST)

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने यह साफ कर दिया कि पहली पत्नी को तलाक दिए बिना किसी अन्य महिला के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहना कामुक और व्यभिचारी कृत्य है। चाहे पत्नी अलग रह रही हो, लेकिन इसके बावजूद पति के दूसरी महिला के साथ रिलेशनशिप में रहने को मान्यता नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने कहा कि विवाह संबंधी मुद्दों के संबंध में हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 एक पूर्ण संहिता है, जो विवाह की प्रक्रिया के साथ-साथ तलाक की शर्तों को तय करता है। अपने जीवनसाथी से तलाक मांगे बिना पुरुष याची 19 वर्षीय युवती के साथ एक कामुक और व्यभिचारी जीवन जी रहा है व उसका जीवन खराब कर रहा है। याचिकाकर्ता द्वारा लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने के लिए लगाई गई याचिका को सुनवाई योग्य नहीं मानकर कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

 

 जस्टिस अशोक कुमार वर्मा ने कैथल जिले के एक जोड़े द्वारा दायर सुरक्षा याचिका को खारिज करते हुए यह भी कहा कि याचिकाकर्ताओं ने अपने जीवन की सुरक्षा और एक जोड़े के रूप में रहने की स्वतंत्रता के लिए इस कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिसे वर्तमान मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में  सही नहीं माना जा सकता है। हालांकि एक व्यक्ति के रूप में याचिकाकर्ता को अगर उन्हें अपने जीवन या स्वतंत्रता के लिए किसी भी तरह के खतरे की आशंका है तो वे अपनी सुरक्षा के लिए पुलिस से संपर्क करने के हकदार होंगे।

 

इस मामले में याचिकाकर्ता जोड़े ने लिव-इन-रिलेशनशिप में होने का दावा करते हुए अपने रिश्तेदारों से अपने जीवन की रक्षा के लिए हाई कोर्ट से निर्देश जारी करने की मांग की थी। याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि पुरुष याचिकाकर्ता पहले से शादीशुदा है। उनका 2014 से अपनी पत्नी के साथ वैवाहिक विवाद चल रहा है।  दोनों याचिकाकर्ता पिछले कई सालों से एक-दूसरे को जानते हैं। इसलिए दोनों ने एक साथ रहने का फैसला किया है। वे बिना किसी दबाव के अपनी मर्जी से लिव-इन-रिलेशनशिप में हैं।

 

याची पक्ष की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि उनकी जान व स्वतंत्रता को खतरा है। कोर्ट  के सवाल पर   पुरुष याची की वैवाहिक स्थिति के बारे में बताया गया कि वह और उनकी पत्नी लंबे समय से अलग रह रहे हैं और उनकी कोई संतान नहीं है। हालांकि उन्होंने तलाक नहीं लिया है। इस पर कोर्ट ने कहा कि तलाक न होने के चलते कानून की नजर में अभी भी पुरुष याची का विवाह कानूनी वैध है। ऐसे में कैसे किसी दूसरी महिला के साथ लिव-इन-रिलेशनशिप रहा जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 एक पूर्ण संहिता है और विवाह की शर्तों के साथ-साथ तलाक की प्रक्रिया का भी इसमें प्रावधान है। हिंदुओं के लिए विवाह और तलाक हिन्दू विवाह अधिनियम में निर्धारित प्रक्रिया द्वारा शासित होते हैं। कोर्ट ने याची की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि उसकी पत्नी अलग रह रही है। कोर्ट ने कहा कि इस रिश्ते को मान्यता  नहीं दी जा सकती। इसी टिप्पणी के साथ हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज करने का फैसला दिया।

 

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Content Writer

Gourav Chouhan

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