Bye Bye 2019: रोडवेज को इस साल नहीं मिली एक भी नई बस, घाटा 950 करोड़ पार

12/31/2019 11:28:42 AM

डेस्क(विजय गौड़)-वर्ष 2019 में परिवहन विभाग एक भी नई बस नहीं खरीद पाया। नतीजा यह रहा कि एक बार फिर अधिकारी डिपार्टमैंट को करोड़ों के घाटे से उबारने में पूरी तरह नाकामयाब रहे। यही नहीं,जिन घोटालों की वजह से विभाग की किरकिरी हुई थी उनमें से बड़ी मछलियों को भी आसानी से बचा लिया गया। इस वजह से रोडवेज के कर्मचारी वर्ग को कई बार विरोध प्रदर्शन करना पड़ा। दूसरी ओर लाखों लोगों के लिए कोई ऐसा बड़ा प्रोजैक्ट भी नहीं आ पाया जिसे अधिकारी उपलब्धि बता पाएं।

साल का अंत होते-होते सैंकड़ों की संख्या में चालक व परिचालकों के तबादले से कर्मचारियों में एक बार फिर रोष है। इस साल भी सही समय पर फैसले न लिए जाने से विभाग का घाटा कम नहीं हो पाया। इसके विपरीत जो घाटा 2 साल पहले 467 करोड़ था वह अब बढ़कर लगभग 950 करोड़ तक पहुंच गया। इतना अधिक घाटा होने के बावजूद न किसी अधिकारी की जिम्मेदारी तय की गई और न ही ऐसे प्रयास किए जिससे उसे कम किया जा सके।

नई बसों के लिए मिलता रहा केवल आश्वासन
पूर्व परिवहन मंत्री कृष्ण लाल पंवार साल के शुरुआत से आश्वासन देते रहे कि बसों की संख्या को 6,000 तक किया जाएगा। साल गुजरने वाला है लेकिन विभाग अभी तक एक भी बस नहीं खरीद पाया। मौजूदा समय में विभाग के बेड़े में 3,800 बसें हैं,जिनमें से लगभग 1000 बसें लाइफ पूरी कर चुकी हैं। खास बात यह है कि 2014 में 4,200 बसें थीं जबकि मौजूदा समय में ट्रांसपोर्ट सिस्टम बेहतर बनाए रखने के लिए 10 हजार बसों की जरूरत है। हालांकि वर्तमान परिवहन मंत्री मूल चंद शर्मा ने कुछ दिन पहले आश्वासन दिया कि 1000 बसों की खरीद का प्रोसैस शुरू हो चुका है। ये बसें भी खरीदी गई तो रूट्स में अगले साल ही उतर पाएंगी।


घोटालों से बचे बड़े अधिकारी
कुछ वर्षों से जिन घोटालों की वजह से विभाग की जमकर फजीहत हुई उनमें से बड़े अधिकारियों को सफाई से बचा लेने के मामले भी चर्चा का विषय बने रहे। कर्मचारी वर्ग ने भी आरोप लगाए कि जिन अधिकारियों के फैसलों से किलोमीटर स्कीम व  फर्जी टिकट घोटाले हुए थे उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। जिम्मेदार निचले कर्मचारियों को ठहराकर मामले दबा लिए गए।

ट्रांसफर से कर्मचारी फिर हुए नाराज
साल का अंत होने तक एक बार फिर अधिकारियों के फैसलों से कर्मचारी वर्ग विरोध प्रदर्शन करने की तैयारी कर रहा है। लगभग 650 चालक व परिचालकों की ट्रांसफर
से कर्मचारी नाराज हैं। अधिकारियों का कहना है कि विभाग को घाटे से उबारने के लिए फैसला लिया है। दूसरी ओर कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि नई भर्ती व बसों की खरीद की बजाय स्टाफ को तंग किया जा रहा है।



ओवरलोङ्क्षडग पर नहीं कसी जा सकी नकेल
विभाग द्वारा ओवरलोड वाहनों पर नकेल कसने के दावे इस साल भी खोखले साबित हुए। नतीजा यह  हुआ कि सड़कों पर धड़ल्ले से चल रहे अवैध वाहन पूरे  साल यात्रियों के लिए खतरा बने रहे। दूसरी ओर ओवरलोडिड वाहनों के चालान न करने पर कई जिलों के रीजन ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी के भी नाम सामने आए। जिन पर केवल दिखावे की कार्रवाई कर दी गई।

Isha