RSS विचारधारा को बढ़ावा दे रही खट्टर सरकार: चौटाला

7/7/2017 11:11:53 AM

चंडीगढ़:हरियाणा विधान सभा में विपक्ष के नेता चौधरी अभय सिंह चौटाला ने मनोहर लाल खट्टर सरकार पर राज्य की स्वर्ण जयंती उत्सव की आड़ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आर.एस.एस.) और भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) नेता ने आज यहां जारी एक बयान में मुख्यमंत्री को 16 जून को लिखे पत्र का हवाला भी दिया है। उन्होंने कहा कि समाचार पत्रों में छपी खबरों के अनुसार उस दिन के कार्यक्रम में माननीय राज्यपाल और मुख्यमंत्री द्वारा पंडित दीनदयाल उपाध्याय की मूर्ति को राजभवन में स्थापित और अनावरण करना भी शामिल था। इस कार्यक्रम को जिस गुप-चुप तरीके से आयोजित किया गया उससे वह संदेह के दायरे में आता है।

चौटाला ने सवाल किया है कि यदि मुख्यमंत्री को इस बात का विश्वास था कि पंडित उपाध्याय का सार्वजनिक जीवन का योगदान इतना महत्वपूर्ण था कि उनकी मूर्ति का अनावरण मुख्यमंत्री एवं राज्यपाल करें तो उस आयोजन में मुख्यमंत्री की पार्टी और समान विचारधारा वाले महानुभावों को छोडकर किसी भी अन्य को आमंत्रित क्यों नहीं किया गया? चौटाला ने यह भी कहा कि मूर्ति की स्थापना और अनावरण को मुख्यमंत्री निश्चित रूप से राज्य का कार्यक्रम मानते थे इसी कारण उसका आयोजन राजभवन के परिसर में किया गया। 

चौटाला ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई कि राज्य सरकार ने एक राजनीतिक दल से संबंधित व्यक्ति की मूर्ति को राजभवन के परिसर में स्थापित किया। उन्होंने कहा कि वह यह बात मानने के लिए तैयार नहीं कि मुख्यमंत्री को यह नहीं पता कि राजभवन पर न तो मुख्यमंत्री और न ही उनके दल का कब्जा है। यदि आज उनकी पार्टी का कोई प्रतिनिधि वहां बैठा है तो उसका कारण देश में स्थापित प्रजातांत्रिक व्यवस्था एवं चुनावी प्रक्रिया है जो बड़े-बड़े पेड़ों को उखाड़ फेंकती है और अनजान लोगों को भी सत्ता के गलियारे में खड़ा कर देती है। इसके अतिरिक्त राजभवन हमेशा ही दलगत राजनीति से ऊपर रहा है और इसका राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अतीत में कई सरकारें आई भी हैं और गई भी हैं लेकिन कभी किसी ने इस प्रकार राजभवन का राजनीतिकरण नहीं किया। 

नेता विपक्ष ने मुख्यमंत्री को यह भी याद दिलाया कि चंडीगढ़ ऐसा शहर है, जहां सार्वजनिक स्थलों पर मूर्तियों की स्थापना वर्जित है। राजभवन निश्चित रूप से, राज्यपाल का निवास स्थान अवश्य है लेकिन वह उनकी निजी संपत्ति न होकर सार्वजनिक सम्पत्ति है। चौटाला ने कहा कि मुख्यमंत्री और उनकी पार्टी को पूरा अधिकार है कि वह अपने राजनीतिक दर्शन का प्रचार एवं प्रसार करें। किन्तु महत्वपूर्ण विचार कभी भी सत्ता की बैसाखियों के मोहताज नहीं होते। संसार में मार्क्सवाद या महात्मा गांधी के सत्याग्रह का प्रचार और अनुसरण किसी सत्ता के सहारे नहीं हुआ था। यदि पंडित उपाध्याय के विचारों में दम होगा तो वह भी बिना सत्ता के जीवित भी रहेंगे और उनका पालन भी होगा। परंतु इस कसौटी पर यदि वह खरे नहीं उतरते तो सत्ता के साथ ही उनकी विचारधारा भी इतिहास बन जाएगी।