खुलासा: कांग्रेस के मुकाबले भाजपा शासनकाल में RTI कानून हुआ कमजोर, पढें फुल रिपोर्ट(VIDEO)

1/20/2020 5:49:41 PM

चंडीगढ़ (धरणी): भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरैंस का दावा करने वाली हरियाणा की भाजपा सरकार के पांच वर्ष के शासन काल में कांग्रेस शासन काल के मुकाबले आरटीआई कानून निरन्तर कमजोर हुआ है। प्रदेश में जनसूचना अधिकारी पहले तो आरटीआई में सूचना नहीं देते और जब राज्य सूचना आयोग इन पर जुर्माना लगाता है तो अधिकारी ठेंगा दिखाते हुए जुर्माना भी जमा नहीं कराते। कुल 2.27 करोड़ रूपये की जुर्माना राशि 1726 डिफाल्टर सूचना अधिकारी वर्षों से दबाए बैठे हैं।

सूचना आयोग के आदेशों के बावजूद जुर्माना जमा ना कराने वाले डिफाल्टरों की सूची में कई एचसीएस व अन्य बड़े अधिकारी शामिल हैं। पिछले 14 वर्षों में आयोग में दर्ज कुल 77,342 अपील केसों में से 73, 871 केसों का निपटारा हुआ। जबकि 3471 अपील केस सुनवाई के लिए लम्बित हैं। लम्बित केसों की संख्या में लगातार होती वृद्धि का खामियाजा सूचना लेने वाले आवेदकों को भुगतना पड़ रहा है।



आरटीआई एवं श्रमिक अधिकार कार्यकर्ता पीपी कपूर ने बताया कि उन्होंने गत 3 जनवरी को राज्य सूचना आयोग में आरटीआई लगाकर जुर्माना राशि जमा ना कराने वाले अधिकारियों की सूची व ब्यौरा मांगा था। इस पर राज्य सूचना आयोग के अवर सचिव यज्ञ दत्त चुघ ने 10 जनवरी के पत्र द्वारा बताया कि सूचना आयोग के वर्ष 2006 में गठन से 31 दिसम्बर 2019 तक कुल 3,50,54,740 जुर्माना सूचना ना देने के दोषी 2974 अफसरों पर लगाया था। इसमें से मात्र 1,23,12,216/- रूपये ही वसूल हुए हैं। जबकि 1726 डिफाल्टर जनसूचना अधिकारियों ने कुल 2,27,42,524/- की जुर्माना राशि जमा नहीं कराई।

कपूर ने कहा कि प्रदेश में आरटीआई कानून का भ_ा बैठ चुका है। अधिकारी राज्य सूचना आयोग के आदेशों व आरटीआई एक्ट की परवाह नहीं करते। उन्होंने डिफाल्टरों से जुर्माना राशि ब्याज सहित वसूल करने व आरटीआई एक्ट को सही ढंग से लागू करने की सरकार से मांग की है। जुर्माना की बकाया वसूली के लिए सूचना आयोग में जुर्माना वसूली (एन्फोर्समेंट) प्रकोष्ठ के तत्काल गठन की गंभीर आवश्यकता है। इसके इलावा लम्बित अपील केसों को विशेष अभियान चलाकर निपटाने की आवश्यकता है।

कांग्रेस शासन काल के मुकाबले भाजपा शासनकाल में आरटीआई कानून हुआ कमजोर

तुलनात्मक स्थिति में जहां भाजपा शासन काल में डिफाल्टर जन सूचना अधिकारियों का औसत 64 प्रतिशत रहा व जुर्माना राशि मात्र 28.62 प्रतिशत वसूली जा सकी। वहीं कांग्रेस शासन काल में सूचना ना देने के डिफाल्टर जनसूचना अधिकारियों का औसत 46 प्रतिशत रहा व इनसे जुर्माना वसूली का औसत 72.15 प्रतिशत रहा। कुल बकाया जुर्माना राशि में से 85 प्रतिशत जुर्माना राशि भाजपा शासन काल की है।

कांग्रेस के 9 वर्ष के शासनकाल (वर्ष 2006 से 2014 तक) कुल 984 डिफाल्टर जन सूचना अधिकारियों पर कुल 78,56,750/- रूपये जुर्माना ठोंका गया। इसमें से 530 अधिकारियों ने 44,04,950/- रूपये जुर्माना जमा करा दिया। शेष 454 डिफाल्टर जन सूचना अधिकारियों ने 34,51,800/- रूपये जुर्माना राशि जमा नहीं कराई।

जबकि भाजपा शासन के 5 वर्ष के शासन काल (वर्ष 2015-2019 तक) में सूचना ना देने के दोषी कुल 1990 अधिकारियों पर कुल 2,71,97,990/- रूपये जुर्माना लगाया गया। इसमें कुल 718 डिफाल्टरों से ही मात्र 78,90,866/- रूपये वसूले जा सके। जबकि शेष 1272 डिफाल्टर जनसूचना अधिकारियों ने राज्य सूचना आयोग के आदेशों को ठेंगा दिखाते हुए कुल 1,93,07,124/- रूपये की जुर्माना राशि जमा नहीं करवाई।

जुर्माना ना देने वाले प्रमुख डिफाल्टर अधिकारी
1. बिजेन्द्र हुड्डा तत्कालीन एसडीएम चरखी दादरी (50,000), 2. सतिन्द्र सिवाच एसडीएम अम्बाला (5,000), 3. प्रशांत इशकान एसडीएम बरवाला (75,00), 4. सतबीर सिंह झांगू, एसडीएम लोहारू (25,000), 5. कुमारी शालिनी चेतल सिटी मैजिस्ट्रेट हिसार (25,000), 6. वीएस मान एस.ई. यूएचबीवीएनएल पानीपत (12,500),

7. डा0 सुमन दलाल चेयरपर्सन आईटीटीआर खानपुर कलां (60,000), 8. भारत भूषण गोगिया एस्टेट ऑफिसर हुडा गुरूग्राम (25,000), 9. अशोक छिक्कारा बीडीपीओ करनाल (50,000), 10. विकास सिंह तहसीलदार सोनीपत (50,000), 11. ईशम सिंह सूचना अधिकारी, नगर निगम गुरूग्राम (65,000।

Shivam