11 से 14 वर्ष की आयु वर्ग की किशोरियों को सुविधा एवं शिक्षा प्रदान करने के लिए (एसएजी) योजना

5/15/2018 8:13:33 PM

चंडीगढ़ (धरणी): हरियाणा सरकार ने स्कूल न जाने वाली 11 से 14 वर्ष की आयु वर्ग की किशोरियों को सुविधा एवं शिक्षा प्रदान करने तथा सशक्त बनाने के लिए राज्य के सभी जिलों में किशोरियों के लिए (एसएजी) योजना लागू करने का निर्णय है। यह योजना आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से आईसीडीएस योजना की आंगनवाड़ी सेवाओं के मंच का उपयोग करते हुए लागू की जाएगी। महिला एवं बाल विकास मंत्री  कविता जैन ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के इस संबंध में एक प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दीेहै। यह योजना पूरी तरह से किशोरी शक्ति योजना (केएसवाई) को प्रतिस्थापित करेगी।

श्रीमती जैन ने कहा कि आरंभ में एसएजी को किशोरियों के लिए राजीव गांधी योजना (सबला) के नाम से पायलट आधार पर राज्य के छ: जिलों नामत: अंबाला, यमुनानगर, रोहतक, रेवाड़ी, कैथल और हिसार में शुरू किया गया था। अब इस योजना के दायरे का विस्तार करते हुए राज्य के सभी जिलों में एसएजी को लागू करने का निर्णय लिया गया है। सभी जिला कार्यक्रम अधिकारियों (डीपीओ) को भारत सरकार के निर्देशानुसार और निर्धारित प्रारूप में आधारभूत सर्वेक्षण करने और लाभार्थियों की संख्या के बारे जानकारी देने को कहा गया है ताकि केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को इस बारे सूचित किया जा सके। 

उन्होंने कहा कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य किशोरियों  को शिक्षित और सशक्त बनाना है ताकि वे आत्मनिर्भर और जागरूक नागरिक बन सकें। इस योजना के अन्य उद्देश्य किशोरियों  को स्वयं के विकास और सशक्तिकरण के योग्य बनाना, उनके पोषाहार और स्वास्थ्य की स्थिति को सुधारना, स्वास्थ्य, स्वच्छता, पोषाहार के बारे जागरूकता उत्पन्न करना, स्कूल न जाने वाली किशोरियों को बाहर के समर्थन से सफलतापूर्वक औपचारिक स्कूली शिक्षा या ब्रिज लर्निंग एवं कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना, उनके गृह आधारित कौशल और जीवन कौशल को सुधारना, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, ग्रामीण अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, डाकघर, बैंक और पुलिस स्टेशन जैसी मौजूदा सार्वजनिक सेवाओं के बारे में जानकारी देना और मार्गदर्शन करना है। 

उन्होंने कहा कि योजना 11 से 14 वर्ष की आयु वर्ग में स्कूल न जाने वाली लड़कियों के लिए होगी। ये लड़कियां इस योजना के तहत पूरक पोषाहार की हकदार होंगी। इसके अलावा, उन्हें जीवन कौशल शिक्षा, पोषाहार और स्वास्थ्य शिक्षा, सामाजिक-कानूनी मुद्दों एवं विद्यमान सार्वजनिक सेवाओं के बारे में जागरूक भी किया जाएगा। इस योजना का उद्देश्य स्कूल न जाने वाली लड़कियों  को औपचारिक स्कूलों में जाने या व्यासायिक या कौशल प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करना भी है।

श्रीमती जैन ने कहा कि यह योजना समेकित बाल विकास योजना (आईसीडीएस) के तहत मौजूदा आंगनवाड़ी केन्द्रों के माध्यम से  लागे की जाएगी जिसके तहत किशोरियों को सेवाएं के पैकेज दिए जाएंगे। ये सेवाएं तैयार करते समय किशोरियों की शारीरिक, मानसिक और स्वास्थ्य आवश्यकताओं को ध्यान में रखा गया है। उन्होंने कहा कि इस योजना के दो घटक, पोषण और गैर-पोषण हैं।

Shivam