चार माह से नहीं मिला वेतन, अब पड़े खाने की लाले

7/18/2021 8:35:56 PM

गुडग़ांव, (ब्यूरो): प्रदेश की नगर निगमों में प्रोपर्टी सर्वे का कार्य करने वाली याशी कंसलटेंसी पर कर्मचारियों ने पिछले चार माह से वेतन नहीं देने का आरोप लगाया है। कंपनी की तरफ से कर्मचारियों को वेतन नहीं देने के कारण 20 से ज्यादा कर्मचारियों को अब दो वक्त के खाने के लाले भी पड़ गए हैं। इसके साथ ही कंपनी की तरफ से मिला कमरा भी कंपनी खाली करने के लिए कह दिया है। कर्मचारियों का आरोप है कि भर्ती के समय कंपनी ने बड़े-बड़े दावे किए थे वह अब सब हवाहवाई हो गए हैं। कंपनी इस लापरवाही के कारण अब वह सडक़ों पर रात गुजारने को मजबूर हैं, लेकिन सरकार ने जिस चहेती कंपनी को यह टेंडर दिया है वहीं कंपनी अब कर्मचारियों का शोषण कर रही है।

बता दें कि याशी कंसलटेंसी कंपनी को शहरी स्थानीय निकाय विभाग की तरफ से पूरे हरियाणा के नगर निगम, नगर परिषदों में प्रोपर्टी सर्वे के लिए सरकार ने अपने चहेती एजेंसी को यह टेंडर दिया था।  नगर निगम गुरुग्राम में भी कंपनी ने करीब 2018 में प्रोपर्टी सर्वे का कार्य शुरू किया था। कंपनी ने सर्वे के लिए शहर में करीब 150  से 200 कर्मचारियों को भर्ती किया था, जिनमें से अधिकतर कर्मचारी यूपी व बिहार से भर्ती किए गए थे। कर्मचारियों का आरोप है कि भर्ती  के समय कंपनी ने  वेतन के साथ रहने व खाने का खर्चा देने की बात कहीं थी। पीछले दो वर्षों से कंपनी ने वेतन भी दिया और रहने व खाना भी दिया, लेकिन अब जब सर्वे पूरी होने को है तो कंपनी मार्च माह से बीस ज्यादा कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया है। श्रम उपायुक्त को दी शिकायत में कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि अब कंपनी की तरफ से मिला कमरा भी कंपनी ने खाली करने के लिए बोल दिया है। ऐसे में अब उनके पास  ना तो रहने को जगह है और ना ही खाने के लिए राशन। कर्मचारियों ने बताया कि कंपनी की तरफ से वेतन नहीं मिलने के कारण उनके पास अब घर जाने के लिए किराया भी नहीं है।

कंपनी की लापरवाही से निगम को हो चुका है करोड़ों का नुकसान

निगम सूत्रों के अनुसार याशी कंसलटेंसी कंपनी को नगर निगम दायरे में 2020 में सर्वे पूरी करनी थी, लेकिन कंपनी ने लापरवाही करते हुए अभी तक सर्वे पूरी नहीं की है। कंपनी की इस लापरवाही के कारण नगर निगम को अब तक करोड़ों रुपयों के राजस्व को नुकसान हो चुका है। यदि कंपनी अपने तय समय पर सर्वे पूरी कर दी होती तो नगर निगम में नई प्रोपर्टी आईडी निगम में शामिल हो जाती, जिससे नगर निगम को 2020-21 में करोड़ों रुपयो प्रोपर्टी टैक्स जमा हो जाता।

प्रोपर्टी टैक्स के बिल बांटने में भी हुआ था 55 लाख का घोटाला

निगम सूत्रों के अनुसार नगर निगम में प्रोपर्टी टैक्स के बिल बांटने का कार्य भी एक एजेंसी को दिया हुआ था, जिसमें निगम के कुछ अधिकारी भी उसमें शामिल थे। आरोप है कि नगर निगम अधिकारियों की मिलीभगत के चलते निगम ने बिना बिल बांटे ही कंपनी को करीब 55 लाख रुपये के बिलों को भुगतान कर दिया था। इस मामले को कुछ स्थानीय पार्षदों ने भी उठाया था, लेकिन उन बिलों की आज तक कोई जांच नहीं हुई है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि नगर निगम में प्रोपर्टी टैक्स के लिए सर्वे और बिल बांटने में किस प्रकार के घोटालों को अंजाम दिया जा रहा है।

तीन वर्ष के बाद भी कंपनी डकार गई पीएफ और एसआई का पैसा

कंपनी कर्मचारियों का आरोप है कि कंपनी ने सभी कर्मचारियों का आज तक कोई पीएफ व एसआई का पैसा तक नहीं दिया है, कंपनी ने 200 कर्मचारियों का पीएफ फंड भी डकार गई है। कर्मचारियों ने कंपनी के खातों की विजिलेंस जांच करवाने की भी मांग उठाई है।

वर्जन-

कंपनी के कर्मचारियों ने अगर कोई शिकायत वेतन नहीं मिलने की दी है तो इसका कंपनी की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता, कंपनी के वकील अपने आप मामले को हैंडल कर लेंगे। गुरुग्राम में कंपनी ने सर्वे पूरी करी या नहीं करी है इसकी कोई जानकारी नहीं है, इसकी जानकारी गुरुग्राम की टीम ही दे सकती है। संजय गुप्ता, एमडी, याशी कंसलटेंसी, चंडीगढ़

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Gaurav Tiwari