इस लड़की के जज्बे को सलाम- चार साल से जारी रखी शिक्षा की लड़ाई

1/12/2019 7:01:29 PM

फतेहाबाद(रमेश): हरियाणा के जिले फतेहाबाद के एक छोटे से गांव दौलतपुर की मात्र 16 साल की लड़की अंजू के जज्बे को जानकर हर कोई सैल्यूट करता है। अगर अंजू को हरियाणा की मलाला का नाम दिया जाए तो वह गलत नहीं होगा। अंजू पिछले 4 वर्षों से अपने आस-पास के बच्चों को शिक्षा और हकों को दिलवाने के लिए संघर्ष कर रही है। अंजू के इस संघर्ष का यह निकला है कि उसके गांव के लोग अपने बच्चों को खेतों में काम न करवा कर स्कूलों में पढऩे के लिए भेज रहे हैं।



अंजू सिर्फ अपने ही गांव में नहीं बल्कि  आस-पास के कई ऐसे गांव और शहरी क्षेत्र हैं, जहां एक छोटी सी बच्ची लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बनी हुई है। अंजू खासकर ऐसे परिवारों को प्रेरित करने के लिए टारगेट करती है, जिसमें मां-बाप अपने बच्चों खासकर लड़कियों को स्कूल नहीं भेजते हैं। अंजू उनको अपनी बातों और तर्कों से उनकी मानसिकता बदल कर उनके बच्चों को स्कूल ले जाती है।



अंजू खुद मलिन बस्तियों में जाकर उनके बच्चों को खुद पढ़ाती है। मलिन बस्तियों के बच्चों को एकत्र कर उन्हें तथा उनके अभिभावकों को प्रेरित कर शिक्षा का बताती है और खुद उनके बच्चों को मुफ्त में पढ़ा रही है। फिलहाल, अंजू ने 11वीं पूरी कर कर ली है, जो घुंमतू जाति, सड़क किनारे की झोपड़ी में रहने वाले परिवारों के बच्चों को अंजू और उसकी उड़ान टीम शिक्षित कर रही है।



वहीं इस मुहिम को उड़ान देने वाली अंजू ने बताया कि जब उन्होंने यह अभियान शुरू किया तो वह अपने घर से माता-पिता को यह कहकर जाती थी कि वह दादा- दादी या रिश्तेदार के यहां जा रही है, लेकिन वह अपने मुकाम को पूरा करने व लोगों को जागरूक करने के लिए अलग-अलग गांव व ढाणियों में जाती थी। वह करीब 500 ड्राप आउट बच्चों को वह अपनी टीम के साथ मिलकर स्कूलों में दाखिला करवा चुकी है। 



अब अंजू ने इस मुहिम को बुलंद उड़ान मुहिम का नाम दिया है और बुलंद उड़ान के नाम से अपनी संस्था बना ली है, जिसमें अलग-अलग गांव के लड़के-लड़कियों को अपने साथ जोड़ा। यही कारण है कि अब राजस्थान, पंजाब व हरियाणा में उनकी टीम ड्राप आउट बच्चों के भविष्य को संवारने में लगी हुई है। अंजू नेशनल स्तर बनी संस्था अशोका यूथ वेलफेयर में भी सेलेक्ट हो चुकी है, जिसमें उन बच्चों को चुना जाता है जो कुछ अलग करने में लगे होते हैं। उसका टॉप 5 में सेलेक्शन हुआ है। वहीं बुलंद उड़ान की टीम बच्चों के लिखने-पढऩे के लिए जो सामान चाहिए होता है उसे वे अपनी जेबखर्च से उपलब्ध कराते हैं।

Shivam