जज्बे को सलामः हादसे में खोए दोनों हाथ, अब पैरों से खींच रहे नई 'लकीर'

7/10/2018 12:54:37 PM

पलवल(गुरुदत्ता गर्ग): पलवल के हिम्मती दिव्यांग किसान धर्मबीर ने पने दो खेतों में बोए  ढेंचा की ट्रेक्टर से जुताई करके उर्वरा शक्ति से भरपूर हरी खाद बनाने का काम किया है। धर्मबीर ने अपने  दोनों हाथ कट जाने के बावजूद हिम्मत नहीं हारी और कुछ वर्षों के बाद खुद खेती करना शुरू कर दिया। खेती का सारा काम वे खुद करते हैं। 55 वर्षीय दिव्यांग धर्मबीर को ट्रेक्टर चलाते हुए देख लोग दांतों तले उंगली दबा लेते हैं। 

पलवल के कोंडल गांव का दिव्यांग किसान के सर से छोटी सी उम्र में ही पिता का साया उठ गया था। जब वे कुछ बड़ा हुआ और दुनियादारी का होश सम्भाला तो उसकी हसरत थी आर्मी में जाकर देश की सेवा करुं, लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था। वर्ष 1981 में जब वह नौवी कक्षा में पढता था तब उसके दोनों हाथ गेंहू काटने की मशीन से कट गए। दो साल बाद जाकर हाथों की पट्टियां होनी बंद हुई। 

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धर्मबीर का हाथ कटने के बाद पढाई तो छूट चुकी थी , तो उसने पेरों से लिखने का प्रय़ास किया। खुद कपड़े  पहनना , खाना बड़ी चुनौती थी लेकिन धर्मबीर ने हिम्मत नही हारी थी ये काम बड़ी आसानी से खुद करने शुरू किये तो उड़ीसा से जीवन साथी लाकर अपनी घर गृहस्थी बसा ली। धर्मबीर दो बेटे और दो बेटियों का पिता बना उनके भी शादी ब्याह का काम खुद किया। 
 

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लेकिन धर्मबीर ने अपने मन और शरीर को कठोर बनाया और अपने जीवन को दूसरों के लिए चुनौती के रूप में तैयार करके उसी तरह से ढाल लिया। उसने अपने जीवन की रोजमर्रा के सभी काम अपने आप खुद करने शुरु किए। धीरे -धीरे खेती शुरू की , मां और पत्नी की मदद से पशु रखे तो पेरों से पशुओं का चारा काटने का काम किया। खेत में फावड़े से पानी लगाने का काम किया और खेतों में नराई और मांझा खींचने का काम भी खुद किया। 

धर्मवीर को इस बात का मलाल
इतना कुछ होने के बावजूद धर्मबीर को मलाल है तो अपनी डेढ़ एकड़ जमीन को बेचने का है जो दो बहनों और एक भाई की शादी के कर्ज को चुकाने में गवानी पड़ी। भाई के बच्चों को आधा हिस्सा देने के बाद धर्मबीर के पास अब मात्र साढे़ तीन एकड़ जमीन हैं जिसमें बार बार कुछ न कुछ नया करके अपने परिवार का पालन पोषण कर रहा है।

धर्मबीर ने बताया की हरी खाद बनाने के लिए दो महीने पहले ढेंचा बोया था , जिसे ट्रेक्टर से जोत दिया है। धर्मबीर हरी खाद से अपने खेतों की उर्वरा शक्ति को बढा़ने हुए बिना यूरिया और डी ए पी आदि रासायनिक खाद डाले ही हर साल अधिक फसल लेने का लाभ प्राप्त करता है। बताया की ढेंचा के अंदर नाइट्रोजन तथा पोटेशियम की बहुतायता होती है जिससे अन्य रासायनिक खाद डालने की जरूरत नहीं पडती, हरी खाद से रासायनिक खादों से होने वाले नुक्सान से भी बच जाते हैं और खेत की उर्वरा शक्ति भी बढती है और खेत दुफसली होने से बचता है। 

Deepak Paul