सोनीपत पशुपालन विभाग में गड़बड़झाला, सीएम फ्लाइंग टीम की जांच में सच आया सामने(VIDEO)

punjabkesari.in Thursday, Jan 30, 2020 - 10:09 PM (IST)

सोनीपत(पवन राठी): सोनीपत के पशुपालन विभाग को गड़बडिय़ों का विभाग कहा जाए तो इसमें कोई दोहराए की बात नहीं होगी। क्योंकि पशुपालन विभाग से दो ऐसे मामले सामने आए जिसे देखकर लगता है कि यहां बस खामियां ही खामियां है, अधिकारी यहां बस अपने निजी स्वार्थ के लिए काम कर रहे हैं। जब इन खामियों की जांच सीएम फ्लाइंग ने की तो सब सच सामने आया। इसके बाद सीएम फ्लाइंग की टीम ने सिटी थाने में दो अलग अलग एफआईआर दर्ज कराई। 

3 लाख रुपये से अधिक का गबन 
पहला पशुपालन विभाग में पर्ची फीस के गबन का मामला सामने आया है। मामले में विभाग के तत्कालीन पांच एसडीओ समेत नौ लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है। आरोप है कि जिले के पशुपालन अस्पतालों में कृत्रिम गर्भाधान को लेकर काटी जाने वाली पर्चियों की राशि सरकारी खजाने में जमा ही नहीं करावाई गई। इसमें 3 लाख रुपये से अधिक का गबन किया गया। 

नौ आरोपियों पर गबन का मुकदमा दर्ज
मामले का खुलासा ऑडिट टीम आने पर हुआ था। जिसके बाद मामले में एक आरोपी को ही जांच दी गई। जिसके बाद नवंबर 2018 में करीब 70 हजार रुपये जमा करवा दिए गए। मामले को लेकर पशुपालन विभाग की चिकित्सक ने एडीजीपी सीआईडी को शिकायत भेजी तो उसकी जांच के बाद अब चिकित्सक के बयान पर नौ आरोपियों पर गबन का मुकदमा दर्ज हुआ है। 

फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर डिग्री की हासिल
वहीं दूसरे मामले में पशुपालन विभाग की महिला चिकित्सक डा. रितू ने एडीजीपी सीआईडी को भेजी शिकायत में आरोप लगाया कि उनके विभाग के उपनिदेशक डा. जसवंत सिंह ने सामान्य श्रेणी से होते हुए अनुसूचित जाति जनजाति का फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर बीवीएससी एएच (पशु चिकित्सक) की डिग्री हासिल की है। उसी डिग्री के आधार पर हरियाणा सरकार में नौकरी पाई है। उन्होंने मामले में हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के तत्कालीन रजिस्ट्रार की भूमिका की भी जांच की मांग की। 

आरटीआई में हुआ खुलासा
डा.रितू ने आरोप लगाया कि डा. जसवंत सिंह ने सामान्य जाति से होते हुए धोखाधड़ी कर फर्जी तरीके से अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र बनाया था, इसका खुलासा आरटीआई में हुआ है। उन्होंने बताया कि बीवीएससी एएच (पशु चिकित्सक) की डिग्री लेने के लिए सामान्य श्रेणी के छात्र के 12वीं में 50 फीसदी अंक होने चाहिए। जबकि डा. जसवंत के अंक कम थे। जिस पर उन्होंने जून 1986 में फर्जी कागजात देकर फर्जी अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र बनवा लिया। जिसके आधार पर उन्होंने दाखिल ले लिया था।

1993 में एमवीएससी की डिग्री ली
उन्होंने 1991 में डिग्री प्राप्त कर ली थी। बाद में 1993 में एमवीएससी की डिग्री भी ले ली। उनके खिलाफ 1996 में एक शिकायत दी गई थी। जिस पर रजिस्ट्रार कार्यालय के स्टाफ ने मिलभगत कर उनका बचाव कर लिया था। महिला चिकित्सक ने कहा कि मामले की जांच की जाए। अगर सामान्य श्रेणी के होते हुए अनुसूचित जाति का प्रमाण से डिग्री कर नौकरी पाई है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। 
जिस पर सीआईडी व सीएम फ्लाइंग ने जांच कर मुकदमा दर्ज करने के लिए सिटी थाना पुलिस को भेज दिया। अब पुलिस ने मामले में डा.जसंवत के खिलाफ भादसं की धारा 120बी, 201, 420, 467, 468 व 471 के तहत मुकदमा दर्ज किया है। 

इन दोनों मामलो में सोनीपत सिटी थाना पुलिस अब जांच करने जा रही है। इस संबंध में डीएसपी डॉक्टर रविंद्र ने बताया कि सीएम फ्लाइंग ने मामले की जांच कर उनके पास भेजा है। जिस पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। मामले की गहनता से जांच कर कार्रवाई की जाएगी। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Edited By

vinod kumar

Recommended News

Related News

static