एक स्कूल ऐसा भी, यहां ‘बुझे’ चिरागों में रोशन होती है ज्ञान की लौ

2/7/2020 11:06:48 AM

जाखल (हरिचंद) : जब इच्छाशक्ति ही समाजसेवा की हो तो वहां धन-दौलत मायने नहीं रखती। फतेहाबाद के कस्बा जाखल में सामाजिक संस्था से जुड़े युवा इस कथन को चरितार्थ सिद्ध कर रहे हैं जो विगत 2 वर्षों से शिक्षा की ज्योति जला, आर्थिक रूप से अक्षम झुग्गी-झोंपडिय़ों के निरक्षर नौनिहालों का भविष्य संवार रहे हैं। हम बात कर रहें है शहर की श्याम जूता सेवादल संस्था की जो उन गरीब बच्चों के लिए मसीहा बनी है जो शिक्षा के प्रकाश से दूर थे।

संस्था के युवाओं का एकमात्र उद्देश्य है कि शहर में झुग्गी बस्ती का प्रत्येक बच्चा शिक्षा ग्रहण करें एवं उसे पेटभर खाना मिले। इस उद्देश्य को लेकर युवाओं द्वारा दो वर्ष पूर्व शहर में झुग्गी बस्ती के समीप स्थित एक किराए के भवन में स्कूल स्थापित किया गया था, जहां इन झुग्गी बस्ती के बच्चों को प्रतिरोज शाम के वक्त 2 घंटे, नियमित रूप से शिक्षा का पाठ पढ़ाया जा रहा है। शहर में वैसे तो बहुत से बड़े शिक्षण संस्थान हैं, अपितु ये गुरुकुल इन सब से भिन्न है जहां शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चे भी अलग हैं अथवा गुरुजन भी।

संस्था के महज 3 युवा शंटी बांसल, नवीन कुमार व प्रदीप कुमार स्कूल का पूरा तंत्र स्वयं के बूते चला रहे हैं। जहां झुग्गी बस्ती के लगभग 3 दर्जन गरीब नौनिहालों को नि:शुल्क शिक्षा का ज्ञान बांटा जा रहा है। साथ ही बच्चों के खाने की व्यवस्था भी संस्था द्वारा की जाती है। ये तमाम कार्य बिना किसी बाहरी आॢथक मदद के संस्था सदस्य स्वयं के खर्च से कर रहे हैं। ये सामाजिक संस्था कुछ युवाओं का समूह है जो सेवाभाव मन से, स्वयं के खर्च पर गरीब बच्चों के जीवन सुधार हेतु कार्य कर रहे हैं।

Isha