15 अगस्त के प्रदर्शन की तैयारी को देख बौखलाई सरकार, लोगों की कर रही गुमराह: किसान नेता

8/12/2020 4:32:09 PM

चंडीगढ़ (धरणी): भारतीय किसान यूनियन हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सरदार गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने भारतीय किसान यूनियन हरियाणा की बैठक के बाद  केन्द्र सरकार ने 3 नए अध्यादेश जारी किए हैं, जिससे देश का किसान और मंडियां तो बर्बाद होंगे ही उसके साथ पूरे देश के नागरिकों को दाल और प्याज की तरह खाद्य पदार्थों की कालाबाजारी का सामना करना पड़ सकता है और यह तीनों अध्यादेश देशहित में ना होकर पूंजीपतियों का ही हित साध रहे हैं, जिसका विरोध करने के लिए किसान संगठनों ने 15 अगस्त को काले झंडों के साथ प्रदर्शन करके जिला मुख्यालय पर इन काले अध्यादेशों की प्रतियां जलाने का फैसला किया है।

गुरनाम सिंह ने कहा कि किसानों के 20 जुलाई के ट्रैक्टर प्रदर्शन और 15 अगस्त के प्रदर्शन की तैयारी को देखकर सरकार बौखला गई है और उन्होंने इन अध्यादेशों के पक्ष में लोगों को गुमराह करना शुरू कर दिया है। नेता लोग कहते फिर रहे हैं कि मंडिया नहीं टूटेगी और एमएसपी जारी रहेगा लेकिन मंडियां तोडऩे का षड्यंत्र साफ नजर आता है। पहले कानून के तहत व्यापारी मंडी से बाहर फसल नहीं खरीद सकता था ताकि मंडी में प्रतिस्पर्धा कराया जाए और किसान को फसल का ज्यादा से ज्यादा दाम मिल सके। दूसरी ओर देहात की डिवेलपमेंट के लिए टैक्स लगाया गया था लेकिन अब मंडी से बाहर फसल खरीदने पर पूरा टैक्स फ्री कर दिया गया है और मंडी में टैक्स ज्यों का त्यों रहेगा जिससे मंडिया ख़त्म होनी तय हैं।

गुरनाम सिंह ने कहा कि सरकार को चाहिए कि मंडी में भी फसल खरीद पर भी टैक्स फ्री कर दिया जाए वरना मंडिया किसी भी सूरत में नहीं बचेगी। चढ़ूनी ने बताया कि पूर्व कृषि मंत्री ओम प्रकाश धनखड़ जी ने कहा है कि पहले जो रेल चल रही है वह ऐसे ही चलेगी अब बराबर में एक नई बस और चलाई गई है, लेकिन हम धनखड़ से पूछना चाहते हैं कि अगर नई बस में किराया फ्री कर दिया जाए और पुरानी बस में किराया लगे तो पुरानी चलनी अपने आप बंद हो जाएगी, यही हाल मंडियों का होगा। 

चढ़ूनी ने धनखड़ के दूसरे बयान को लेकर कहा कि धनखड़ साहब ने कहा है कि पहले किसान बाहर नहीं बेच सकता था तो यह सफेद झूठ है। 1977 से किसान पूरे देश में कहीं भी ले जाकर अपनी फसल बेचता है। अब किसान सड़क के किनारे बैठ कर भी बेच सकता है, वह पहले भी उपभोक्ता को सीधे बेच सकता था केवल व्यापारी के लिए पाबंदी थी कि वह मंडी के बाहर से नहीं खरीद सकता ताके भोले किसान को लूट ना जा सके।

चढ़ूनी ने कहा कि सरकारी नेता कह रहे हैं कि 15 अगस्त आजादी का दिन है, इस दिन प्रदर्शन करना शहीदों का अपमान है और कुछ नेताओं ने तो हमें देशद्रोही तक कह डाला। हम बता देना चाहते हैं कि हमारे शहीदों ने कुर्बानीयां केवल कारपोरेट, नेता, अधिकारी और राजनीतिक पार्टियों को आजाद कराने के लिए नहीं दी थी, उनका सपना तो देश के हर नागरिक को समान अधिकार दिलाना था, लेकिन हमारे राजनेताओं और कारपोरेट ने हमारी आजादी को छीन लिया। आज देश का कोई बड़ा अधिकारी या नेता बीमार होता है तो करोड़ों रुपया सरकार के खाते से जाता है, लेकिन यहीं पर लाखों गरीब नागरिक बिना इलाज के मर जाते हैं।

गुरनाम सिंह ने कहा कि हमारे देश के 45 प्रतिशत बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। देश में 37 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन गुजार रहे हैं, बहुत से लोगों की आमदनी 30 रुपए प्रति व्यक्ति से नीचे है, क्या यह समान अधिकार है अगर नहीं तो इसके लिए केवल राजनेता ही जिम्मेदार है। यहां पूंजीपतियों का अरबों खरबों रुपया कर्जा माफ कर दिया जाता है। अरबों खरबों रुपए की टैक्स में छूट दे दी जाती है लेकिन दूसरी तरफ पिछले 20 सालों में लाखों अन्नदाता कर्ज की वजह से आत्महत्या कर चुके हैं। क्या इस देश का सपना हमारे शहीदों ने देखा था शहीदों के सपनों के देश को मौजूदा राजनेताओं ने टुकड़े टुकड़े करके बेचना शुरू कर दिया है। यही राजनेता आज हमें देशद्रोही बता रहे हैं जो खुद देशद्रोही कर रहे हैं।

Shivam