जिले के 15 गांव में लिंगानुपात 2 हजार के पार

8/25/2019 2:07:16 PM

जींद (जसमेर): 14 लाख से ज्यादा की आबादी वाले जिले के 15 गांव लिंगानुपात  के मामले में दूसरे गांवों को राह दिखा रहे हैं। यह 15 गांव लिंगानुपात के मामले में एक तरह से रोल मॉडल बनकर उभरे हैं। इन गांवों का लिंगानुपात 2 हजार के पार है। जिले में कुछ ऐसे गांव भी हैं, जिनका लिंगानुपात 400 से भी कम है। इन गांवों में लिंगानुपात में सुधार के लिए बड़े कदम उठाने की जरूरत है।  लिंगानुपात के मामले में जिले में हालात 2013 में बहुत खराब थी। तब जिले में एक हजार लड़कों के पीछे 831 लड़कियां जन्म लेती थी और जींद को लिंगानुपात के मामले में सबसे खराब स्थिति वाले जिलों में शुमार किया जाता था। बाद में जिले में लिंगानुपात को लेकर हालात बदले और जिले का लिंगानुपात सुधरने लगा। सिविल सर्जन के रूप में डा. संजय दहिया की जिले में नियुक्ति के दौरान लिंगानुपातमें खासा सुधार दर्ज किया गया।

हरियाणा सरकार ने बेटियों को बचाने की जिम्मेदारी साल 2015 से स्वास्थ्य विभाग को सौंपी और जिला स्तर पर बेटियां बचाने के लिए हर जिले के सिविल सर्जन को अपने-अपने जिले में बेटियों को बचाने की कमान दी गई। सिविल सर्के पद पर 3 साल तक जींद में अपनी नियुक्ति के दौरान डा. संजय दहिया ने पी.एन.डी.टी. के डिप्टी सिविल सर्जन डा. प्रभुदयाल को उन लोगों पर खुलकर कार्रवाई के लिए कहा, जो गर्भ में पल रहे भू्रण की ङ्क्षलग जांच कर बेेटियों को जन्म देने से पहले ही मरवा देने का सारा सामान कर देते थे। इसका नतीजा यह रहा कि 2015 से इस साल अब तक जींद के स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जिला जींद में ही नहीं बल्कि दूसरे जिलों और दूसरे राज्यों में 50 रेड कन्या भ्रूण हत्या रोकने के सिलसिले में की हैं। इससे जींद में अब लिंगानुपात 940 का आंकड़ा पर कर गया है। इस साल जुलाई महीने के अंत तक जिले का लिंगानुपात 944 तक पहुंच गया है। 

यह कहते हैं प्रभारी डिप्टी सिविल सर्जन
जिले में लिंगानुपात में पिछले 4 साल के दौरान हुए सुधार को लेकर पी.एन.डी.टी. के प्रभारी डिप्टी सिविल सर्जन डा. प्रभुदयाल का कहना है कि 2018 में जिला जींद के ङ्क्षलगानुपात में पिछले वर्ष की तुलना में 29 अंकों का उछाल आया और हरियाणा में जींद लिंगानुपात में वृद्धि के मामले में प्रदेश में नंबर वन पर रहा था। इसके लिए केंद्र सरकार जींद के तत्कालीन डी.सी. अमित खत्री को 5 लाख रुपए का विशेष पुरस्कार दिया था। तत्कालीन सिविल सर्जन डा. संजय दहिया के बाद अब वर्तमान सिविल सर्जन डा. शशिप्रभा अग्रवाल के मार्ग दर्शन में जिले में पी.एन.डी.टी. एक्ट को प्रभावी बनाने और कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए तमाम जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। 

गर्भवती महिलाओं के अल्ट्रासाऊंड टैस्टों की रिपोर्ट और फार्म का मैडीकल ऑडिट हो रहा है। तमाम अल्ट्रासाऊंड सैंटरों का नियमित निरीक्षण किया जा रहा है। हर माह जिले के सभी ब्लॉकों के लिंगानुपात की समीक्षा कर सबसे कम लिंगानुपात वाले गांवों पर विशेष निगरानी रखने और इन गांवों में निगरानी कमेटियों का गठन कर लड़कियों के कम जन्म लेने के कारणों का पता लगाया जा रहा है। इसके अलावा आशावर्कर, आंगनबाड़ी वर्कर और गांव की प्रजनन योग्य महिलाओं के बीच बैठक करवाकर ऐसी महिलाओं को यह बताया जा रहा है कि आज बेटे और बेटी में कोई फर्क नहीं है। इससे ङ्क्षलगानुपात सुधारने में मदद मिल रही है। 

Isha