CM खट्टर के ‘हिटलरशाही हुक्मनामे’ के खिलाफ ‘आखिरी सांस’ तक लड़ेंगे: कांग्रेस

5/27/2020 4:03:15 PM

फतेदाबाद(रमेश): खट्टर सरकार की नादरशाही अब सब हदें पार कर गई है जिसे लेकर कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सुरजेवाला और कुमारी शैलजा ने सरकरा को अपने निशाने पर ले लिया है। उन्होंने कहा कि  9 मई, 2020 को एक ‘हिटलरशाही हुक्मनामा’ जारी कर खट्टर सरकार ने रतिया (जिला फतेहाबाद), सिरसा (जिला सिरसा), गुहला चीका - सीवन (जिला कैथल), शाहबाद - बबैन - इस्माईलाबाद - पीपली (जिला कुरुक्षेत्र) में धान की खेती पर पाबंदी लगा दी है (Annexure A1)। अब उपरोक्त 8 ब्लॉक्स में किसान की व्यक्तिगत मल्कियत वाली 4,44,659 एकड़ भूमि में धान लगाने पर रोक लगा दी गई है।

25 मई को रतिया के हजारों किसान सैकड़ों ट्रैक्टरों के साथ ‘धानबंदी की नादरशाही’ के खिलाफ संघर्ष व विरोध प्रदर्शन करने पहुंचे। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री, श्री दुष्यंत चौटाला ने सरेआम झूठ बोलकर उन्हें बरगलाया व कहा कि निजी भूमि पर धान लगाने का कोई प्रतिबंध नहीं है। पर यह प्रतिबंध तो रतिया से शुरू कर पीपली तक उनकी खुद की सरकार द्वारा 9 मई, 2020 को लगाया गया है। किसानों को बरगलाने व गुमराह करने की खट्टर-चौटाला सरकार की साजिश साफ है। उन्होंने कहा कि वे इस हिटलरशाही हुक्मनामे के खिलाफ आखिरी सांस तक लड़ेंगे।

रतिया - सिरसा - कैथल - कुरुक्षेत्र जिले के किसान के खिलाफ षडयंत्र का ताना-बाना इस प्रकार हैः-
1.​फतेहाबाद जिला के रतिया ब्लॉक व सिरसा जिला के सिरसा ब्लॉक में किसान धान की खेती नहीं कर सकता। यही पाबंदी कुरुक्षेत्र जिला के शाहबाद, पीपली, बबैन, इस्माईलाबाद तथा कैथल जिला के गुहला चीका व सीवन में लगाई गई है। धान की खेती पर रोक लगाई गई उपरोक्त ब्लॉक्स की किसान के मल्कियत वाली कुल जमीन 1,79,951 हैक्टेयर या 4,44,659 एकड़ है। अकेले रतिया में किसान की मल्कियत वाली जमीन, जिसमें धान उत्पादन पर रोक लगाई गई है, वो है, 41,136 हैक्टेयर या 1,01,647 एकड़। सिरसा ब्लॉक में किसान की मल्कियत वाली 30,501 हैक्टेयर यानि 75,368 एकड़ भूमि पर धान लगाने पर रोक लगाई गई है। 9 मई, 2020 के आदेश के मुताबिक हरियाणा का किसान इस 4,44,659 एकड़ भूमि में से 2,22,330 एकड़ भूमि पर धान की खेती नहीं कर सकता।
2.​रतिया सहित उपरोक्त ब्लॉक्स में अगर किसान ने 50 प्रतिशत से अधिक भूमि में धान की खेती की, तो किसान को बिजली, खाद व बीज सहित सरकार की सब तरह की सब्सिडी से इंकार होगा व किसान का धान भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नहीं खरीदा जाएगा (Clause vii, Annexure A1)।
3.​यही नहीं फतेहाबाद और जाखल ब्लॉक्स में पंचायती भूमि में धान की खेती पर भी रोक लगा दी गई है (Annexure A1)।
4.​अब सबसे ताजा तुगलकी फरमान यह है कि 50इीच की मोटर वाले ट्यूबवेलों का कनेक्शन काटा जाएगा। लाखों नए ट्यूबवेल का कनेक्शन तो दे नहीं रहे, उल्टा किसान के मौजूदा ट्यूबवेल कनेक्शन को काटने की तैयारी कर ली है (Annexure A2)।  
पिछले साल भी खट्टर सरकार ने धान की फसल की जगह मक्का पैदा करने के लिए ‘जल ही जीवन’ स्कीम 7 ब्लॉक में शुरू की थी। इन इलाकों में धान की जगह मक्का की खेती करने के लिए 2000 रु. प्रति एकड़ कैश, 766 रु. प्रति एकड़ बीमा प्रीमियम व हाईब्रिड सीड देने का वादा किया था व 50,000 हेक्टेयर यानि 1,37,000 एकड़ में धान की बजाए मक्का की खेती होनी थी। परंतु न तो किसान को प्रति एकड़ मुआवज़ा मिला, न बीमा हुआ, हाईब्रिड सीड फेल हो गया और पूरी स्कीम केवल एक कागजी पुलिंदा बनकर रह गई। अब नाम बदलकर रतिया-सिरसा-कैथल-कुरुक्षेत्र के किसान की रोजी रोटी पर हमला बोलने के लिए खट्टर सरकार ‘मेरा पानी, मेरी विरासत’ स्कीम (A1) ले आई है, जो पूरी तरह नादरशाही है।

ये मांगें कर रही कांग्रेस:-
1.​9 मई, 2020 (Annexure A1) का धान की खेती पर पाबंदी लगाने वाला हिटलरशाही हुक्मनामा फौरन खारिज हो।
2.​खट्टर सरकार का पंचायती जमीन पर धान की खेती पर रोक लगाने वाला किसान विरोधी आदेश फौरन वापस करे।
3.​किसान के 50bhp की मोटर वाले ट्यूबवेल कनेक्शन काटने का आदेश फौरन खारिज किया जाए।
4.​किसान की सब्सिडी वापस लेने व अन्नदाता किसान को परेशान करने वाले भिन्न भिन्न आदेश फौरन वापस हों।

Isha