श्रीवंती एनर्जी पर ED का शिकंजा, 1500 करोड़ के कर्ज में 228 करोड़ की हेराफेरी

punjabkesari.in Tuesday, Dec 30, 2025 - 10:30 PM (IST)

गुड़गांव, (ब्यूरो): प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने श्रवंती एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड (SEPL) और उसके प्रमोटर डीवी राव के खिलाफ एक बड़े वित्तीय घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है। जांच में सामने आया है कि प्रमोटर ने अपने कर्मचारियों और रिश्तेदारों के साथ मिलकर बैंकों और निवेशकों को चूना लगाते हुए करीब 228.21 करोड़ रुपए की राशि शेल कंपनियों (फर्जी कंपनियों) में डायवर्ट की है।

गुरुग्राम की ताजा खबरों के लिए लिंक https://www.facebook.com/KesariGurugram पर टच करें। 

 

ससुर की कंपनी को 75 लाख प्रति माह की 'परामर्श फीस'

ED की जांच में सबसे चौंकाने वाला खुलासा हैदराबाद स्थित एक शेल कंपनी 'मेसर्स वर्सेट टेक्नोलॉजीज' को लेकर हुआ है। यह कंपनी डीवी राव के ससुर के नाम पर पंजीकृत थी, जिसका न तो कोई कार्यालय था और न ही कर्मचारी। इसके बावजूद, SEPL द्वारा इसे कई वर्षों तक 75 लाख रुपए प्रति माह 'कंसल्टेंसी फीस' के रूप में दिए जा रहे थे। इस फर्जीवाड़े के जरिए 2016 से 2025 के बीच लगभग ₹89 करोड़ ठिकाने लगाए गए।

 

100 से अधिक फर्जी फर्में और जाली बिलिंग

जांच एजेंसी ने कंपनी के ठिकानों से 100 से अधिक फर्जी फर्मों की मुहरें और खाली लेटरहेड बरामद किए हैं। बिना किसी माल की सप्लाई के करोड़ों के बिल बुक किए गए। उत्तराखंड स्थित पावर प्लांट में तैनात कर्मचारियों की मदद से फर्जी 'मटेरियल रिसीव्ड नोट' (MRN) तैयार कराए गए ताकि कागजों पर लेन-देन को असली दिखाया जा सके। इस प्रक्रिया से निकाले गए ₹139.21 करोड़ अंततः प्रमोटर डी.वी. राव द्वारा व्यक्तिगत अवैध लाभ के लिए नकद के रूप में प्राप्त किए गए।

 

बैंकों को लगाया 1500 करोड़ का चूना

दस्तावेजों के अनुसार, श्रवंती एनर्जी (SEPL) स्थापना के समय से ही घाटा दिखा रही थी। बैंकों के एक समूह से लिया गया 1500 करोड़ रुपए का ऋण मार्च 2014 में ही एनपीए (NPA) घोषित हो चुका था। एक तरफ कंपनी कर्ज न चुका पाने के कारण ऋण-पुनर्गठन (Debt Restructuring) का सहारा ले रही थी, वहीं दूसरी ओर प्रमोटर अवैध गतिविधियों के माध्यम से धन को अपने और अपने परिवार के निजी इस्तेमाल के लिए निकाल रहे थे।

 

नई FIR दर्ज करने की सिफारिश

ED ने हरियाणा पुलिस के आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को पत्र लिखकर इस मामले में डी.वी. राव और उनके सहयोगियों (एन. गुरुमूर्ति, संदीप गांधी, जी. अंजनेयुलु आदि) के खिलाफ नई एफआईआर दर्ज करने का अनुरोध किया है। निदेशालय ने स्पष्ट किया है कि यह केवल एक ऋण धोखाधड़ी नहीं, बल्कि आपराधिक विश्वासघात और खातों के मिथ्याकरण की एक गहरी साजिश है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Pawan Kumar Sethi

Related News

static