अब हरियाणा में होगा सिल्क का उत्पादन, खेती के लिए चुने गए ये 3 जिले

6/4/2017 5:36:57 PM

चंडीगढ़:अब दुनिया चीन या देश के दूसरे राज्यों के साथ-साथ हरियाणा के सिल्क को भी अपने पहनावे का हिस्सा बनाएगी। हरियाणा अब पूरी तरह नए प्रयोग, रेशम उत्पादन की तरफ कदम बढ़ाने की तैयारी में है। इसके लिए वैज्ञानिकों की पड़ताल शुरु हो चुकी है और शुरुआती अनुमान किसानों के लिए नई राह खोलते दिखाई दे रहे हैं। रेशम का कीड़ा केवल किसानों की माली हालत को सुधारने में ही नहीं बल्कि प्रदेश के लगातार बिगड़ रहे पर्यावरण को सुधारने में बहुत बड़ा मददगार होगा। रेशम की खेती एेसी जमीन पर होगी जिनका इस्तेमाल अमुमन खेती के लिए नहीं होता है। यानि प्रदेश की बेकार पड़ी जमीन भी नई फसल से लहलहाएगी।

तीन जिलों पर होगा उत्पादन
उत्तरी हरियाणा के तीन जिले पंचकूला, अंबाला और यमुनानगर रेशम के उत्पादन के लिए सबसे मुनासिब जगह माने गए हैं। शिवालिक की तलहटी के आस-पास बसे इन जिलों की जलवायु, मिट्टी और वातावरण को लेकर शुरु हुई शुरुआती स्टडी ने हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के एच.ए.आर.एस.ए.सी. (हरसक) के वैज्ञानिकों का हौंसला बढ़ा दिया है और वे अगले डेढ़ साल तक इस पर काम करेंगे। वैज्ञानिकों का मानना है कि राज्य में रेशम उत्पादन की सही-सही तस्वीर अगले 6 महीनों के भीतर भी सामने आ सकती है। इसके बाद राज्य में रेशम उत्पादन का काम औपचारिक रूप से शुरु हो जाएगा।

हरसक के सहायक वैज्ञानिक (फॉरेस्ट्री) रितेश कुमार के अनुसार यह प्रोजेक्ट सेंट्रल सिल्क बोर्ड का हिस्सा है और हरियाणा में रिमोट सेंसिंग और ज्यॉगराफिक इनफॉर्मेंशन सिस्टम के जरिए स्टडी शुरु हो गई है। रितेश कुमार के अनुसार पंचकूला, अंबाला और यमुनानगर जिलों में पिछले 10 साल के दौरान बारिश की स्थिति, जलवायु, तापमान, जमीन के इस्तेमाल, बरसाती पानी की निकासी और वेस्ट लैंड की मैपिंग की जाएगी। उन्होंने बताया कि भौगोलिक दृष्टि से इन तीनों जिलों में बरसाती पानी एक जगह नहीं ठहरता और यही रेशम के उत्पादन के लिए सबसे उपयुक्त है क्योंकि रेशम का उत्पादन लो लाइन यानि एेसी जगह नहीं हो सकता जहां पानी ठहर जाता हो। रेशम का कीट शहतूत (मलबरी) के पेड़ पर रहता है। वैसे ओक तसर व उष्णकटिबंधीय तसर, मूंगा, ऐरी भी किस्में हैं लेकिन, हरियाणा में मलबरी पर ही यह प्रोजेक्ट चलेगा।

रेशम यानि सिल्क हमेशा डिमांड में रहता है और इस कारण इसकी कीमत बहुत ज्यादा रहती है लेकिन, इसके मुकाबले उत्पादन कम है। यह विश्व के कुल वस्त्र उत्पादन का मात्र 0.2% है। इसका उत्पादन सबसे ज्यादा एशिया में होता है जो विश्व के कुल उत्पाद का 95% है। विश्व के सिल्क मैप में 40 देश आते हैं, यह सबसे ज्यादा चायना में होता और इसके बाद भारत का नंबर है। भारत में यह कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, जम्मू व कश्मीर तथा पश्चिम बंगाल में किया जाता है जबकि गैर-शहतूत रेशम का उत्पादन झारखण्ड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा तथा उत्तर-पूर्वी राज्यों में होता है ।