कहीं कांग्रेस की लंका न ढहा दें पार्टी के ‘विभीषण’

10/4/2019 8:11:42 AM

अम्बाला (बलराम सैनी): पौराणिक कहावत है ‘घर का भेदी लंका ढहाए’, क्योंकि भगवान राम और रावण के बीच हुए युद्ध दौरान लंका की सेना को हरवाने के लिए एक ही ‘विभीषण’ काफी था,लेकिन हरियाणा विधानसभा के चुनावी दंगल में उतरी कांग्रेस में तो विभीषणों की लम्बी फेहरिस्त है।  प्रदेशाध्यक्ष से लेकर पूर्व मंत्रियों तक,ऐसे दिग्गजों की कमी नहीं जो टिकट आबंटन को लेकर पार्टी नेतृत्व के निर्णय के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर बगावत ही नहीं कर रहे, बल्कि पार्टी प्रदेशाध्यक्ष पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों की बौछार भी कर रहे हैं।


कई नेता दूसरी पार्टियों की टिकट पर अथवा निर्दलीय के तौर पर चुनावी दंगल में ताल ठोकने को भी तैयार हैं। इन बागियों का राजनीतिक भविष्य क्या होगा,यह तो 24 अक्तूबर को चुनाव परिणाम बताएंगे,लेकिन इतना तय है कि कांग्रेस में टिकट आबंटन को लेकर मचे घमासान से पार्टी की चुनावी रणनीति तार-तार हो जाएगी। इसका पार्टी की चुनावी संभावनाओं पर भी प्रतिकूल असर होगा।

हर चुनाव में तमाम बड़ी पार्टियों के नेताओं के बीच टिकट आबंटन को लेकर तनाव उत्पन्न होना सामान्य बात है। फिर टिकट कटने पर कई नेता बगावत भी करते हैं। इनमें से कुछ दूसरे दलों की टिकट पर तो कुछ निर्दलीय चुनाव लड़ते हैं। यह भी सामान्य बात है। वर्तमान चुनाव की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी, जननायक जनता पार्टी, इंडियन नैशनल लोकदल, बहुजन समाज पार्टी, लोक सुरक्षा पार्टी समेत तमाम राजनीतिक पार्टियां टिकट आबंटन को लेकर तनाव एवं बगावत की चुनौती का सामना कर रही हैं,लेकिन कांग्रेस के लिए स्थिति इसलिए कुछ अलग देखी जा रही है,क्योंकि यहां हाई-वोल्टेज सियासी ड्रामे दौरान पार्टी नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगाने वाले आम नेता नहीं, बल्कि कुछ महीने पहले तक प्रदेश कांग्रेस की कमान संभालने वाले नेता थे। 

Isha