राव की चुप्पी टूटने के बाद दक्षिण हरियाणा की राजनीति में खलबली

5/29/2018 8:58:29 AM

अम्बाला(वत्स): दक्षिणी हरियाणा यानी अहीरवाल में करीब एक दर्जन विधायकों को साथ रखने वाले राव इंद्रजीत सिंह ने अपनी शैली के अनुसार आखिर सी.एम. मनोहर लाल खट्टर को अपने तेवर दिखा ही दिए। साथ ही उन्होंने यह संकेत भी दे दिए कि हुड्डा सरकार की तरह अगर इस सरकार ने भी उन्हें उपेक्षित रखा तो वह अपनी लड़ाई खुद ही लडऩे में सक्षम हैं। फिलहाल दक्षिणी हरियाणा की राजनीति में खलबली सी मची हुई है।

हुड्डा के कार्यकाल में भी राव इंद्रजीत सिंह केंद्र में मंत्री थे। उस समय वह लगातार प्रदेश सरकार पर दक्षिणी हरियाणा की उपेक्षा के आरोप लगाते थे। साथ ही वह हुड्डा पर यह भी आरोप लगाते थे कि हुड्डा उन्हें बिल्कुल भी सम्मान नहीं देते हैं। राव ने उस समय पार्टी हाईकमान तक के समक्ष भी यह मामला उठाया था लेकिन हुड्डा की हाईकमान पर मजबूत पकड़ होने के कारण राव को कोई महत्व नहीं मिला था। इसके बाद  हुड्डा ने उन्हें पूरी तरह नकार दिया था। 

आलम यह हुआ कि इंद्रजीत ने कांग्रेस पार्टी को अलविदा कहते हुए इंसाफ मंच का गठन कर लिया था। उन्होंने इस मंच के साथ बड़ी संख्या में अपने करीबी लोगों को जोड़ लिया था। लोकसभा चुनावों से ठीक पहले इंद्रजीत ने भाजपा ज्वाइन कर ली थी। भाजपा में लोकसभा का चुनाव जीतने के बाद इंद्रजीत को केंद्र में मंत्री तो बना दिया लेकिन इंद्रजीत ने खुद को प्रदेश की राजनीति में पूरी तरह सक्रिय रखा हुआ है।

विधानसभा चुनावों में इंद्रजीत ने इस क्षेत्र के लगभग सभी भाजपा प्रत्याशियों को जिताने के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी। इन प्रत्याशियों की नैया भी पार लग गई थी। राव व उनके समर्थकों की इच्छा थी कि इस बार प्रदेश का नेतृत्व इस क्षेत्र को ही मिले। भाजपा हाईकमान ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया। अभी भी इंद्रजीत समर्थक यह चाहते हैं कि वह प्रदेश के सी.एम. बनें। प्रदेश सरकार को करीब 4 साल हो गए हैं। 

इस दौरान कभी भी इंद्रजीत ने प्रदेश सरकार और सी.एम. की न तो खुलकर आलोचना की और न ही कभी कोई सराहना। पूरे जाट आंदोलन के दौरान इंद्रजीत ने सिर्फ एक बार चुप्पी तोड़ी थी। इसके बाद वह लगातार शांत बने हुए थे। राजनीतिक गलियारों में चर्चा होने लगी थी कि राव हाईकमान के दबाव में चुप्पी साधे हुए हैं। उन्होंने कुछ दिन पूर्व ही महेंद्रगढ़ के दौंगड़ा अहीर में अपनी बड़ी रैली की थी। उस रैली में भी उन्होंने प्रदेश सरकार के खिलाफ खुलकर कुछ नहीं बोला।

Rakhi Yadav