कांग्रेस आलाकमान के फैसले को लेकर राजनीतिक विशेषज्ञों से खास बातचीत, पढ़िए किसने क्या कहा

4/28/2022 5:47:03 PM

चंडीगढ़ (चंद्रशेखर धरणी):  हुड्डा खेमे के युवा प्रदेशाध्यक्ष दिव्यांशु बुद्धिराजा के बाद उदयभान बने प्रदेश अध्यक्लंबे समय से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए चल रही लड़ाई में आखिरकार हुड्डा गुट ने विक्ट्री हासिल कर ली। दो- दो हाथ में आखिरकार भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पहले तंवर और अब शैलजा को पटखनी दे दी। 5 साल 8 माह प्रदेश अध्यक्ष रहे तवर और ढहाई साल तक प्रदेश अध्यक्ष रही कुमारी शैलजा के लिए समय-समय पर हुड्डा मुश्किलों के पहाड़ खड़े करते रहे। लंबी खींचतान के बाद हाईकमान को हुड्डा पर पूरी तौर पर भरोसा करना पड़ा और हुड्डा गुट के चार बार होडल से विधायक रहे उदयभान को प्रदेश अध्यक्ष चुन लिया गया।

कुमारी शैलजा गुट की इस मामले में पूरी तरह से अनदेखी नजर आई। प्रदेश अध्यक्ष के साथ-साथ 4 नए कार्यकारी अध्यक्ष श्रुति चौधरी, रामकिशन गुर्जर, जितेंद्र भारद्वाज और सुरेश गुप्ता चुने गए। लेकिन इस पूरे प्रकरण में एक बड़ा झटका कुलदीप बिश्नोई को भी बड़ा झटक लगा। मंगलवार को संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल और प्रदेश प्रभारी विवेक बंसल के साथ हुई अलग-अलग बैठकों मेंं बिश्नोई ने भी अपनी परफॉर्मेंस रखी। लेकिन हुड्डा गुट अपनी बात हाईकमान को समझाने में पूरी हद तक कामयाब रहा और पंजाब कांग्रेस में की गई मनमानी का उदाहरण देकर सरकार बनाने के लिए उन पर भरोसा करने के लिए उदयभान के नाम पर मोहर लगवा दी गई।

इसके साथ-साथ हुड्डा ने 2019 में उनकी मर्जी से टिकट बटवारा ना होने के कारण सरकार नहीं बनने की बात भी हाईकमान के सामने रखी है यानि यह भी तय है कि विधानसभा चुनाव 2024 में अधिकतर टिकटें हुड्डा खेमे की झोली में जाना तय है। प्रदेश अध्यक्ष पद से पहले हुड्डा अपनी टोली के दिव्यांशु बुद्धिराजा को युवा प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव भी जितवा चुके हैं यानि कांग्रेस हाईकमान द्वारा हरियाणा पार्टी यूनिट में किए गए इस बदलाव से यह तो तय है कि प्रदेश कांग्रेस का पूरा दारोमदार हुड्डा के कंधों पर है।

कांग्रेस हाईकमान के इस फैसले के बाद अब जहां हुड्डा का कद कहीं अधिक बड़ा हो गया है, वहीं पार्टी को मजबूत स्थिति में लाकर सरकार बनाने तक का दारोमदार हुड्डा के कंधों पर आ गया है। जिस प्रकार केंद्रीय कांग्रेस गांधी  परिवार के इर्द-गिर्द खड़ी नजर आती है इसी प्रकार अब प्रदेश कांग्रेस हुड्डा परिवार के आसपास दिख रही है। कांग्रेस आलाकमान के इस फैसले को लेकर राजनीतिक विशेषज्ञों का तजुर्बा क्या कहता है आइए जानते हैं:-

कंवरपाल गुर्जर, वन- शिक्षा एवं पर्यटन मंत्री
कांग्रेस एक ऐसी पार्टी है जहां पार्टी से ऊपर व्यक्ति के बारे सोचा जाता है। यह डूबती हुई नौका है। उदयभान एक सीनियर आदमी है उनको मेरी शुभकामनाएं।

जेपी दलाल,  कृषि मंत्री
जब कोई जहाज डूबता है तो उसमें अतन्तोष तथा अव्यवस्था फैलती है। सभी कांग्रेसी नेताओं को पता चल चुका है कि कांग्रेस का जहाज डूब चुका है। कांग्रेस का आज कमजोर नेतृत्व है। जनता में उसकी स्वीकृति नहीं है, जनता से वोट मिलेगा नहीं। किसानों के कंधे पर रखकर जो उन्होंने वोट पाने की कोशिश की, उसकी असफलता का नमूना उतर प्रदेश का चुनाव रहा है। यहां पर भी कांग्रेस बुरी तरह धराशाही होगी।

अनिल विज, गृह -स्वास्थ्य मंत्री
यह कांग्रेस का अंदरूनी मामला है। पंजाब मॉडल की तरह हरियाणा में भी इसी प्रकार का एक एक्सपेरिमेंट किया गया है और पंजाब से बुरी दुर्दशा कांग्रेस की हरियाणा में होने वाली है। पंजाब में आम आदमी पार्टी लुभावने सपने दिखाकर सत्ता पर काबिज हुई और सत्ता में आने के बाद जनता वह केवल निराशा पैदा हुई है। पंजाब की जनता निरउत्साहित है।

मूलचंद शर्मा, खनन एवं परिवहन मंत्री
यह कांग्रेस का वैसे तो अंदरूनी मामला है। उनका अपना संगठन है। किसको विदा करना है और किसको बनाना है यह उनका अधिकार है। लेकिन मैं यही कहना चाहता हूं कि जिसको बनाया है उसे मत हटाना। जिसे जिम्मेदारी सौंपी है उसे बरकरार रखना। यह कार्यकारी अध्यक्ष चाहे दो बनाएं या चार। भाजपा प्रदेश में पूरी तरह से मजबूत है और हर पार्टी अपनी रणनीति के हिसाब से काम करती है। भाजपा अपना काम कर रही है। हमारा संगठन पूरी तरह से जनता के बीच में जाकर भाजपा सरकार की नीतियों को रख रही है।


रणजीत चौटाला, बिजली एवं जेल मंत्री
जब कोई लीडरशिप कमजोर होती है तो सभी सूबेदार बन जाते हैं। कमजोर लीडरशिप के दौरान हर जगह बगावत का माहौल होता है। ऐसा ही माहौल आज कांग्रेस में बना हुआ है। कांग्रेस की मजबूत लीडरशिप के वक्त किसी की हिम्मत नहीं होती थी आलाकमान के सामने बोलने की। लेकिन आज जो जाता है वही धमकाकर आता है। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की हालत के बाद बिल्कुल रुतबा खत्म हो गया है। इंदिरा गांधी द्वारा कई डिसीजन ऐसे लिए गए कि कांग्रेस मात्र एक परिवार तक सीमित हो गई। उसके बाद राहुल गांधी द्वारा बहुत हल्के हल्के स्तर के व्यक्तियों को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी जानी बेहद नुकसानदायक साबित हुआ। कांग्रेस द्वारा चौधरी चरण सिंह, शरद कुमार, डी पी मिश्रा, चौधरी देवी लाल, चौधरी बंसी लाल, चौधरी भजन लाल, नाथूराम मिश्रा जैसे लोगों को साइडलाइन किया गया। उसके बाद यह लोग कांग्रेस को छोड़कर चले गए। जिन लोगों ने कांग्रेस की दरी और चादर बिछाई वह नेता बना दिए गए और जो पकड़ और आधार वाले व्यक्ति थे उन्हें कांग्रेस ने काट दिया। इस कारण से कांग्रेस की आज यह स्थिति बनी है। देश में दो राष्ट्रीय पार्टियां हैं कांग्रेस और भाजपा।कांग्रेस परिवारवाद की राजनीति करती है। लेकिन भाजपा हमेशा सक्षम और काबिल व्यक्तियों को आगे लाती है। अटल बिहारी वाजपेई प्रधानमंत्री बने, उनके पीछे कोई राजनीतिक पारिवारिक बैकग्राउंड नहीं था, ऐसे ही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं।

केवल ढींगरा, पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा के मीडिया सलाहकार:
नवनियुक्त प्रधान उदयभान चार बार विधायक रहे, वह एक कर्मठ नेता है। जिस प्रकार से प्रदेश में लूट मचाई जा रही है, सरकारी संपत्तियां बेची जा रही हैं, भ्रष्टाचार, महंगाई, बेरोजगारी और अपराध चरम पर है भर्तियां की नहीं जा रही, इससे निजात दिलवाने के लिए पूरी कांग्रेस एकजुट है। कुमारी शैलजा को बदलना रूटीन प्रोसेस है। वह हमारी वरिष्ठ नेता हैं। कांग्रेस प्रदेश में सरकार बनाने को आतुर है। हम इलेक्शन के दौर में है। तीन-चार महीने में हम प्रदेश का संगठन खड़ा कर लेंगे। कांग्रेस सदस्य बनाने की प्रक्रिया में है। इस साल के अंत तक एक मजबूत टीम कांग्रेस की खड़ी हो जाएगी। कांग्रेस में कोई गुटबाजी नहीं है। कांग्रेस में दरकिनार करने की परंपरा नहीं है।कुमारी शैलजा, सुरजेवाला, कुलदीप बिश्नोई, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, उदयभान सभी मिलकर एकजुट होकर सरकार लाने का काम करेंगे और कांग्रेस से गए सभी नेता वापिस कांग्रेस में आएंगे। क्योंकि हरियाणा में अगली सरकार कांग्रेस की है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कद पहले भी बड़ा था, आज भी बड़ा है। वह सांसद रहे, प्रधान रहे, मुख्यमंत्री रहे और आज सीएलपी के नेता है।

 

 

 

 

Content Writer

Isha