जलवायु परिवर्तन पर राज्य स्तरीय स्टीयरिंग कमेटी ने जलवायु परिवर्तन पर संशोधित राज्य कार्य योजना बनाई
punjabkesari.in Monday, Jun 10, 2024 - 07:17 PM (IST)
चंडीगढ़ (चंद्र शेखर धरणी): जलवायु परिवर्तन पर राज्य स्तरीय स्टीयरिंग कमेटी ने जलवायु परिवर्तन पर संशोधित राज्य कार्य योजना बनाई है। पिछले कुछ वर्षों में मौसम में बहुत ज्यादा बदलाव देखने को मिला है। कभी लगातार बारिश तो कभी अचानक तेज ठंड पड़ने लगती है। कभी ओले गिरने लग जाते हैं तो कभी कोहरा गिरता है। वर्तमान की बात करें तो मई के मध्य से ही लगातार लू और भीषण गर्मी ने लोगों के पसीने छुड़ाए हुए है। सिरसा में विगत 28 मई को तापमान 50.3 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया था, जो रिकार्ड है।
यह सब हो रहा जलवायु परिवर्तन के कारण। जलवायु परिवर्तन की गंभीर समस्या से निपटने के लिए प्रदेश सरकार ने एक्शन प्लान तैयार किया है, जिसे केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद लागू किया जाएगा। योजना के अनुसार वर्ष 2030 तक 400 जलवायु स्मार्ट गांव स्थापित किए जाएंगे। पराली (धान के फसल अवशेष) में आग लगाने के मामलों को समाप्त करने का लक्ष्य है। इस दौरान वृक्ष आवरण को 10 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए प्रयास किए जाएंगे।
जलवायु परिवर्तन को लेकर सतत जीवन शैली, स्वच्छ आर्थिक विकास, सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को कम करने, गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली की हिस्सेदारी बढ़ाने, कार्बन सिंक (वन) अनुकूलन को बढ़ाने, वित्त और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण व क्षमता निर्माण पर फोकस रहेगा। परंपरागत डीजल-पेट्रोल वाहनों की बजाय इलेक्ट्रानिक वाहनों के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके अलावा कोयला उत्पादित बिजली की जगह सौर ऊर्जा तथा सूक्ष्म सिंचाई को प्रोत्साहित किया जाएगा।
जलवायु परिवर्तन पर राज्य स्तरीय स्टीयरिंग कमेटी ने जलवायु परिवर्तन पर संशोधित राज्य कार्य योजना बनाई है। 10 वर्षों में विभिन्न गतिविधियों के लिए 39 हजार 372 करोड़ रुपये का बजट तैयार किया गया है। संशोधित कार्ययोजना में अनुकूलन और मिटिगेशन श्रेणी के तहत विभिन्न सेक्टरों को अलग-अलग कार्य समूहों में जोड़ा गया है। अनुकूलन श्रेणी के तहत इन पांच कार्य समूहों में सतत कृषि, जल संसाधन, वन एवं पर्यावरण सहित जैव विविधता, रणनीतिक ज्ञान और कौशल विकास तथा पर्वतीय पारिस्थितिक तंत्र शामिल हैं। मिटिगेशन श्रेणी के लिए तीन कार्य समूहों में ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देना, सौर मिशन, सतत आवास और उद्योग शामिल हैं।
जलवायु स्मार्ट गांवों की यह होगी विशेषता
जलवायु स्मार्ट गांवों में कई विशेषताएं होंगी। इन गांवों में कोई फसल अवशेष नहीं जलाएगा। किसानों को क्लाइमेट स्मार्ट खेती के तौर-तरीके सिखाए जाएंगे कि कैसे अवशेषों का सदुपयोग कैसे किया जा सकता है और अवशेषों का निस्तारण कर उनसे कैसे आमदनी ली जा सकती है। प्राकृतिक संसाधनों के दोहन को कम करने के साथ ही उन्हें प्रशिक्षण दिया जाएगा कि पानी, ऊर्जा, कार्बन व तकनीक का कैसे स्मार्ट तरीके से बेहतर प्रयोग कर सकते हैं। जलवायु परिवर्तन की रोकथाम के लिए गंभीर नहीं हुए तो अगले 50 साल में गेहूं की उपज 12 से 27 प्रतिशत तक कम हो सकती है।
विश्वविद्यालयों में शोध कार्यों को किया जाएगा प्रोत्साहित
जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय स्थिरता के लिए विश्वविद्यालयों में भी शोध कार्य को प्रोत्साहित किया जाएगा। विभिन्न विश्वविद्यालयों में जल, वायु, पृथ्वी, जंगल और ऊर्जा क्षेत्र के अंतर संकाय शोध केंद्र स्थापित किए जाएंगे। एक अन्य अंतर विषय केंद्र कचरे को उपयोगी उत्पादों में बदलने की प्रक्रिया और प्रौद्योगिकी पर अनुसंधान करेगा। शोध के जरिये कृषि और जीवनयापन के साधनों पर पड़ रहे जलवायु परिवर्तन के अप्रत्याशित प्रभाव से निपटा जाएगा। शोध कार्य के लिए विश्वविद्यालयों का चयन प्रतिस्पर्धा के आधार पर किया जाएगा।
अधिकतम और न्यूनतम तापमान में एक से डेढ़ डिग्री सेल्सियस की वृद्धि
हरियाणा के जलवायु रुझानों में अधिकतम और न्यूनतम तापमान में लगभग एक से डेढ़ डिग्री सेल्सियस की वृद्धि देखी गई है। औसत वार्षिक वर्षा में सदी के मध्य तक लगभग 63 मिमी (तीन प्रतिशत) की मामूली कमी और सदी के अंत तक लगभग 347 मिमी (17 प्रतिशत) की वृद्धि होने का अनुमान है। हरियाणा राष्ट्रीय ग्रीनहाउस गैसों (जीएचजी) का लगभग दो प्रतिशत उत्सर्जित करता है, जबकि 2011 की जनगणना के अनुसार यह देश की आबादी का 2.09 प्रतिशत योगदान देता है।