प्रदेश के लाल गुंबद, कुतुब खान की मस्जिद और पलवल की छतरी का होगा संरक्षण

11/11/2019 9:49:17 AM

चंडीगढ़(अर्चना सेठी): गुरुग्राम की लाल गुंबद, कुतुब खान की मस्जिद और पलवल की छत्तरी, इन ऐतिहासिक धरोहरों को सहेजने की जिम्मेदारी हरियाणा के पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग को मिल गई है। ऐतिहासिक स्मारकों में दरारें और जर्जर व दयनीय हालत को सहेजने का काम अब जल्द शुरू कर दिया जाएगा। पुरातत्व विभाग ने इन तीनों स्मारकों को भी अपने संरक्षण में ले लिया है। हाल ही में विभाग के विशेषज्ञों ने गुरुग्राम और पलवल में धरोहरों का निरीक्षण किया तो पाया कि तीनों स्मारकों की हालत बिगड़ चुकी है और मुरम्मत व संरक्षण से ही बचाकर रखा जा सकेगा।

विशेषज्ञों की मानें तो गुरुग्राम की सोहना तहसील में मौजूद लाल गुंबद लोधी काल से जुड़ी निर्माणकला से संबंधित प्रतीत होती है। गुंबद मेवात के खानजादों द्वारा बनाए गुंबदों से भी मेल खाती है। दो गुंबदों की ऊंचाई और संरचना दिल्ली के कई स्मारकों में इस्तेमाल कला को भी दर्शाता है। इतिहास और पुरातत्व विषयों की पढ़ाई करने वालों को यहां का इतिहास सिर्फ एक कागज पर लिखा मिलेगा। उनका कहना है कि स्थानीय लोगों का कहना है कि गुंबद का संबंध मुसलमानों से माना जाता है। कुछ लोगों ने मस्जिद बनाकर नमाज पढऩे का प्रयास भी किया था। लाल और बफ के पत्थर से बना स्मारक की जमीन अष्टकोण और छत गुम्बजनुमा है।



16वीं शताब्दी की निर्माणकला को दर्शाती है मस्जिद
गुरुग्राम की सोहना सड़क के नजदीक बसा गांव सांप की नंगली कई ऐतिहासिक स्मारकों से सटा हुआ है, जिनमें से एक है कुतुब खान की मस्जिद। इसे 16वीं शताब्दी से संबंधित माना जाता है। सोहना तहसील में बने दूसरे ऐतिहासिक स्मारक लाल गुंबद के साथ भी कई लोग कुतुब खान की मस्जिद को जोड़ देते हैं। इस आयातकार मस्जिद के तीन दरवाजे हैं और अंदर लाल पत्थर का इस्तेमाल किया गया है। गुंबदनुमा मस्जिद की जमीन भी अष्टकोण में है जबकि बाहरी हिस्सा एक तरफ धनुष पैनलनुमा आकार में तैयार किया गया है। हालांकि निर्माता के बारे खास जानकारी नहीं मिली परंतु निर्माण में इस्तेमाल कला 16वीं शताब्दी से जुड़ा बताती है।

ग्रेनाइट और क्वार्टजाइट पत्थरों से बनी मस्जिद के आंतरिक व बाहरी अग्रभाग गुफानुमा प्रतीत होते हैं। लाल, काले और रंग-बिरंगे पत्थरों से बनी मस्जिद में कई जगह छोटी और कहीं बड़ी व गहरी दरारें आ चुकी हैं। जर्जर हालत को छिपाने के लिए कुछ साल पहले गांव के लोगों ने रंग रोगन भी करवा दिया था। मस्जिद की गुंबद पर देवनागरी भाषा में धुंधले अवशेष अभी भी हल्के-हल्के दिखाई देते हैं। कुछ लोग मस्जिद को मंदिर के रूप में बदलना चाहते थे परंतु विरोध के बाद नहीं किया जा सका।



भरतपुर के महाराजा सूरजमल ने करवाया था निर्माण
पलवल जिला के उपमंडल होडल में सती दादी मंदिर स्थित है, जिसमें महिलाएं पूजा अर्चना करती हैं। पास ही महल और छत्तरी भी बनी हुई है। कहा जाता है कि 15वीं शताब्दी में भरतपुर के महाराजा सूरजमल जब दिल्ली पर कूच कर रहे थे तब वह गांव पहुंचे थे और यहां की एक युवती से विवाह किया। उसके बाद ही महल, तालाब और छत्तरी का निर्माण किया था। मंदिर के निर्माण के बाद ही छत्तरी का निर्माण किया गया था। छत्तरी के निर्माण में 16 पिल्लरों का इस्तेमाल किया गया है और फूलों से जुड़े सुंदर चित्र उकेरे गए हैं। ऊपरी हिस्से जमीन के मुकाबले ठीक हैं परंतु मुरम्मत और संरक्षण की जरूरत है ताकि आने वाले समय में इसके जरिए ईको टूरिज्म को बढ़ावा दिया जा सके।

संरक्षण से बचेंगी हरियाणा की ऐतिहासिक धरोहरें
डा. बनानी भट्टाचार्य, डिप्टी डायरैक्टर, हरियाणा पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग ने कहा कि गुरुग्राम और पलवल के ऐतिहासिक स्मारकों का भी अन्य ऐतिहासिक स्मारकों की तरह संरक्षण किया जाएगा। मस्जिद, गुंबद और छत्तरी के उत्थान व जीर्णोद्धार की योजना पर काम किया जा रहा है। तीनों स्मारकों व आसपास की जगह का सर्वेक्षण व निर्माण कार्य के आंकलन के बाद लोक निर्माण विभाग को विवरण भेजा जाएगा। लाल गुंबद के आसपास के माहौल को देख लगता है कि पर्यटन की अच्छी संभावनाएं हैं। कुतुब खान की मस्जिद का भी दौरा किया गया है। उसके अंदर लोग रहने न लगे इसलिए सुरक्षा बढ़ाई गई है।     
                                                        

Edited By

vinod kumar