प्रदेश के परिवहन विभाग को 7 महीनों में 572 करोड़ का घाटा, 654 कर्मचारियों को किया ट्रांसफर

12/15/2019 10:35:56 AM

चंडीगढ़(गौड़) : हरियाणा के परिवहन विभाग को लाख कोशिशों के बावजूद हर माह करोड़ों रुपए का घाटा उठाना पड़ रहा है। यही वजह है कि राज्य परिवहन के निदेशक ने प्रदेश के कई डिपो में लिखित निर्देश भेजकर सरप्लस स्टाफ को तुरंत रिलीव कर उन जिलों में ट्रांसफर करने के लिए कहा है जहां चालक और परिचालकों की कमी है। इन निर्देशों में कहा गया है कि परिवहन विभाग को इस साल अप्रैल से नवम्बर तक 572 करोड़ रुपए का घाटा हो चुका है,जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में विभाग का घाटा 800 करोड़ रुपए से अधिक था। 

इसकी एक मुख्य वजह स्टाफ की रैशनेलाइजेशन न हो पाना भी है इसलिए सरकार द्वारा यह फैसला किया गया है कि जिन डिपो में अधिक स्टाफ उपलब्ध है, वहां से लंबी अवधि से कार्यरत कर्मचारियों को वहां भेजा जाए जहां चालक और परिचालकों की कमी है, जिससे बसों का संचालन ठीक ढंग से किया जा सके और विभाग में बढ़ रहे घाटे को कम किया जा सके। 

दरअसल, 11 दिसम्बर को राज्य परिवहन के वाणिज्यिक अधिकारियों की मीटिंग में परिवहन मंत्री मूल चंद शर्मा द्वारा डिपो के कार्य और लाभ व घाटे की समक्षा की गई थी। समीक्षा में कुछ महाप्रबंधकों ने बताया कि उनके पास बसें तो हैं लेकिन चालक व परिचालक उपलब्ध न होने से वे बसों का संचालन ठीक तरह नहीं कर पा रहे हैं। 

कर्मचारियों ने दी आंदोलन की चेतावनी
आल हरियाणा रोडवेज वर्कर्स यूनियन के राज्य प्रधान हरिनारायण शर्मा व महासचिव बलवान सिंह दोदवा ने कहा कि सरकार द्वेष भावना तहत रैशनेलाइजेशन के बहाने तबादला करके चालक व परिचालकों को घर से बेघर करने का काम कर रही है,जोकि अनुचित है। बेवजह अचानक तबादला होने से कर्मचारियों में अफरा-तफरी मची है।

यूनियन किसी भी सूरत में जबरदस्ती तबादलों को बर्दाश्त नहीं करेगी। नई बसें न आने व काफी संख्या में बसें कंडम होने से कर्मचारी सरप्लस दिखाकर 429 चालक व 225 परिचालकों का जबरदस्ती दूसरे डिपो में तबादला किया जा रहा है,जबकि कर्मचारी का इसमें कोई दोष नहीं है। यूनियन ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने जबरदस्ती किए जा रहे तबादलों पर तुरंत रोक न लगाई तो कर्मचारियों द्वारा बड़ा आंदोलन किया जाएगा।

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vinod kumar