Haryana में सख्ती आई काम, इस बार 72% तक घटे पराली जलने के मामले
punjabkesari.in Saturday, Nov 22, 2025 - 11:55 AM (IST)
चंडीगढ़: प्रदेश में इस बार पराली जलाने के मामलों में भारी कमी देखने को मिली है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के 20 नवंबर तक के आंकड़ों की बात करें तो इस बार पराली जलाने से अधिक गैर कृषि भूमि पर आग या फिर कचरे में आग के मामले सामने आए हैं। इस बार वर्ष 2020 की तुलना में 92 प्रतिशत और पिछले वर्ष की तुलना में 72 प्रतिशत तक पराली जलाने के मामलों में कमी देखने को मिली है।
कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक अभी 20 नवंबर तक एक्टिव फायर लोकेशन (एएफएल) के कुल 592 मामले चिश्नित किए गए। विभाग ने इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) के ब्योरे के बाद संबंधित जिलों में 590 मामलों की 19 नवंबर तक जांच को। इनमें सिर्फ 230 स्थानों पर पराली जलते हुए पाई गई और 356 अन्य प्रकार की आग से जुड़े मामले मिले व चार मामले समान स्थान (सेम लकिशन) के थे। विभाग ने जांच के बाद प्रत्येक घटना का ब्योरा भी तैयार किया है।
विभागीय ब्योरे के अनुसार अंबाला में जांच के दौरान 5 मामले जिले की सीमा के बजाय पंजाब मामले पुष्ट नहीं हो सके और हिस्सार के बांडाहेडी गांव के बजाय दूसरे जिले की सीमा में दोनों के विवाना में पाए गए। हिसार में 4 आग के मामले मिले। फरीदाबाद में 4 मामलों में कचरा जलते हुए मिला और सभी पर 25-25 हजार का जुर्माना लगाया गया। फतेहाबाद में 4 एक्सीडेंटल (पटना), 39 मामले चिहिनत नहीं हुए और 3 मामले गैर कृषि भूमि में पाए गए। कैथल में 43, जींद में 66, रोहतक में 33 स्थानों पर पराली के बजाय गैर कृषि भूमि पर आग के मामले मिले।
पिछले वर्षों की तुलना में इस बार प्रदेश में एक्टिव फायर लोकेशन (एएफएल) के मामलों में गिरावट की गई। 2020 में 15 सितंबर से नवंबर तक 3884 मामले थे। इस अवधि में 2021 में 6464, 202 3491 मामले चिह्नित किए थे। हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बो सेवानिवृत बैज्ञानिक रणबीर राठी कहना है कि कुल प्रदूषण में पराल जलाने से करीब 16 से 20 प्रतिश तक की हिस्सेदारी हो सकती है।" कम जलने से प्रदूषण भी कम होन