गुरुग्राम-फरीदाबाद में ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए 1 साल तक होगी स्टडी

11/25/2019 10:08:19 AM

चंडीगढ़(गौड़): वायु प्रदूषण के बाद अब प्रदेश में ध्वनि प्रदूषण को भी कंट्रोल करना हरियाणा सरकार के लिए गंभीर समस्या बनता जा रहा है। खासकर राज्य के दो शहरों गुरुग्राम और फरीदाबाद में ध्वनि प्रदूषण का स्तर तय सीमा से कई गुना बढ़ चुका है। यही वजह है कि अब हरियाणा स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (एच.एस.पी.सी.बी.) ने इन दोनों ही शहरों में ध्वनि प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए 1 साल तक स्टडी करवाने का फैसला किया है। बोर्ड ने स्टडी करवाने के लिए राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय स्तर के संस्थान से उनके प्रोपोजल मांगे हैं। इसके साथ ही नॉयस मैपिंग सर्वे करवाकर यह अनुमान लगाया जाएगा कि आने वाले वर्षों में लोगों को इस परेशानी से निजात दिलवाने के लिए कितनी राशि खर्च करनी होगी। 

यही नहीं, एजुकेशनल और रिसर्च संस्थान को यह भी जानकारी देनी होगी कि किस तरह से प्रदेश में ध्वनि प्रदूषण को कम किया जा सकता है। इनके अतिरिक्त इन दोनों शहरों में ध्वनि प्रदूषण फैलाने के लिए जिम्मेदार कारणों के बारे में भी बताना होगा। एक साल तक स्टडी होने के बाद एक ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार की जाएगी। ड्राफ्ट रिपोर्ट सैंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सी.पी.सी.बी.) के पास सबमिट करवाया जाएगा, जिसके बाद फाइनल रिपोर्ट पर बोर्ड काम शुरू करेगा। 

सी.पी.सी.बी. ने शामिल किया था 46 शहरों में
इस साल मार्च में सी.पी.सी.बी. की ओर से एक लिस्ट जारी की गई थी। इस लिस्ट में उन 46 शहरों के नाम थे, जहां ध्वनि प्रदूषण अधिक होने की वजह से वहां सर्वे करवाने की जरूरत है। इस लिस्ट में फरीदाबाद का नाम भी शामिल था। इस कारण बोर्ड ने पहले फरीदाबाद और फिर गुरुग्राम के ध्वनि प्रदूषण को कंट्रोल में रखने का फैसला किया। 

रिव्यू कमेटी देखेगी पूरा प्रोजैक्ट
एच.एस.पी.सी.बी. की ओर से एक रिव्यू कमेटी बनाई जाएगी, जो कि समय-समय पर इस प्रोजैक्ट को रिव्यू करती रहेगी। अधिकारियों के अनुसार सभी एजुकेशनल और रिसर्च इंस्टीच्यूट्स से 10 दिसम्बर से पहले अपने प्रोपोजल सबमिट करवाने के लिए कहा गया है। दरअसल, सी.बी.सी.बी. ने एक साल के भीतर यह प्रोजैक्ट कंप्लीट करने के निर्देश दिए हैं, जिससे जल्द रिपोर्ट तैयार होने के बाद भविष्य की प्लाङ्क्षनग हो पाए। 

ध्वनि प्रदूषण से होने वाले नुक्सान
पर्यावरण में किसी मनुष्य द्वारा किए जाने वाले शोर को ध्वनि प्रदूषण कहा जाता है, जिससे मनुष्य के साथ-साथ जानवरों को भी शारीरिक नुक्सान पहुंच सकता है।
वाहनों को ध्वनि प्रदूषण का मुख्य कारण माना जाता है। हवाई जहाज और इंडस्ट्रीयल मशीनरी भी इस सूची में शामिल हैं। 
मनुष्य के कानों का पीक रिस्पांस 2.5 से 3 किलोहट्र्ज (के.एच.जैड.) होता है, जिसका असर स्वास्थ्य के साथ-साथ मनुष्य के व्यवहार पर भी पड़ता है।
ध्वनि प्रदूषण की वजह से झुंझलाहट, आक्रामकता, उच्च रक्तचाप, उच्च तनाव का स्तर, नींद में गड़बड़ी और सुनने में परेशानी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

Edited By

vinod kumar