हौसलेे की उड़ान: कुदरत ने छीने हाथ, फिर भी दसवीं में हासिल किया 77% अंक (VIDEO)

5/19/2019 4:51:20 PM

मेवात (एके बघेल): कुदरत ने अपंग बनाया तो क्या हुआ पर हौंसला तो लक्ष्य भेदने का ही है। इस बात की मिसाल मेवात जिले के एक छात्र ने पेश की है। छात्र नाहर दोनों हाथों से दिव्यांग होने के बावजूद भी हरियाणा बोर्ड के दसवीं की परीक्षा में 77 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं। नाहर की इस उपलब्धि की चर्चा अब हर जुबान पर है। नाहर सिर्फ नाम का ही नहीं बल्कि हौंसलों का भी नाहर यानि शेर निकला।

नाहर ने यूं खोए अपने हाथ
नाहर पैदाईशी दिव्यांग नहीं था, बचपन में हुए बुरे हादसे में उसके हाथ चले गए। दरअसल, नाहर करीब छ: साल का रहा होगा, जब व खेतों पर जाते समय बिजली के करंट की चपेट में आ गया, जिससे उसे अपने दोनों हाथ कंधे से ही गंवाने पड़े। इसके अलावा शरीर का अधिकतर हिस्सा भी जल गया। एक पैर की उंगली और एक कान भी जल गया। 



हादसे के एक साल बाद फिर से स्कूल जाना किया शुरू
नाहर उस उम्र में भी स्कूल जाता था, लेकिन हादसे की वजह से उसका एक साल तक इलाज चला, जिसकी वजह से स्कूल नहीं जा सका। नाहर ने ठीक होते ही बस्ता कमर पर रखकर स्कूल जाना शुरू किया। गांव के स्कूल से आठवीं तक पढ़ाई करने के बाद वह करीब 3-4 किलोमीटर दूर राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय मांडीखेड़ा स्कूल जाने लगा।

दोस्तों ने दिया भरपूर सहयोग
स्कूल जाते समय उसका बस्ता उसकी दोस्त उठाते हैं। वहीं माता-पिता की हिम्मत और सहयोग की बदौलत वह दसवीं में 385 अंक पाने में कामयाब रहा। नाहर का कहना है कि वह अभी किसी भी हालत में पढ़ाई नहीं छोड़ेगा।



नाहर को उपेक्षाओं का भी शिकार होना
ऐसा नहीं कि नाहर को हर तरह से मदद मिली हो, उसके दोस्तों, परिवारों से मदद तो मिल रही थी। लेकिन नाहर के परिवार के आर्थिक रूप से तंग होने के बावजूद भी इस होनहार की स्कूल फीस माफ नहीं हुई और न ही सरकार से पेंशन मिली। मजदूरी कर दिव्यांग नाहर को पढ़ाने वाले पिता बशीर अहमद भी अब 60 साल की उम्र पार कर चुके हैं, लेकिन उन्हें भी बुढ़ापा पेंशन का इंतजार है।

सरकार की किसी भी योजनाओं का नहीं मिला लाभ
गरीबी के बावजूद सरकार की कोई भी स्कीम का लाभ इस परिवार को नहीं मिला। परिवार में दिव्यांग नाहर के बड़े चार भाई दसवीं-बारहवीं तक पढ़े लिखे हैं, लेकिन किसी को नौकरी नहीं मिली। अब परिवार दिव्यांग नाहर की नौकरी की मांग सरकार और सिस्टम से कर रहा है। 



स्कूल के अध्यापक अब्दुल वाहब ने बताया कि हाथ से लिखने वालों की इतनी स्पीड नहीं होती, जितनी स्पीड से नाहर पैर से लिखता है। नाहर की इस उपलब्धि पर हमें भी गर्व है। नाहर ने साबित कर दिया कि अगर हौंसलों में उड़ान हो तो उसे कोई कठिनाई आगे बढऩे से नहीं रोक सकती।

Shivam