80 के दशक में चढ़ा शूटिंग का जुनून, डॉक्टरी छोड़ अब ''एकलव्य'' तैयार कर रहे पुलसी

1/6/2020 4:42:09 PM

कुरुक्षेत्र (रणदीप): डॉक्टर से शूटर बने अंतरराष्ट्रीय शूटिंग कोच डॉक्टर राजपाल इन दिनों कुरुक्षेत्र में एकलव्य तैयार कर रहे हैं। डॉक्टर राजपाल पुलसी जो कभी दिल्ली में सीएमओ के पद पर काम करते थे, लेकिन 80 के दशक में उन्हें शूटिंग का ऐसा जुनून सवार हुआ कि 1986 एशियन खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया। रोचक यह है कि राजपाल उत्तर प्रदेश बागपत के रहने वाले हैं, जहां देसी कट्टा खेल खेल में बात बात में लोग उठा लेते हैं।

डॉ राजपाल सिंह वहां भी ऐसे युवक और युवतियों को शूटर बनाया और इसी के माध्यम से उनको राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाया। मेडिकल लाइन से हटकर शूटिंग निशानेबाजी की दुनिया में कद रखने वाले राजपाल का कहना है कि वे उत्तर प्रदेश के जिस इलाके के रहने वाले हैं, वहां पर देसी हथियार एक आम बात है। इसी से उनको ऐसा जुनून हुआ कि अवैध और देसी हथियार के बजाए जायज और देश का नाम चमकाने वाली स्पर्धा निशानेबाजी में जीवन समर्पित किया।



राहुल गांधी को दी ट्रेनिंग, फिर लगी राजनेताओं की कतार
डॉ राजपाल के इसी जुनून ने उनको एक अंतरराष्ट्रीय कोच की पहचान दिलाई। 80 के दशक में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के आग्रह पर राहुल गांधी को निशानेबाजी की कोचिंग दी। डॉक्टर राजपाल ने खुलासा किया कि शूटिंग की वजह से राहुल गांधी का सेंट स्टीफन कॉलेज में एडमिशन हो पाया था और उसके बाद नेता पुत्रों की उनके पास लाइन लग गई ताकि निशानेबाजी की वजह से ही उनके बच्चों को भी प्रवेश में कहीं न कहीं छूट मिल जाए।



मारीशस सेना को भी दे चुके हैं ट्रेनिंग
यही नही डॉ राजपाल सिंह नेपाल पुलसी पर मारीशस सेना को भी अपनी कोचिंग दे चुके हैं। वे आज कल कुरुक्षेत्र एक ट्रेनिग कैंप में निशानेबाजी के गुर सिखा रहे हैं।
डॉक्टर राजपाल का कहना है कि वह निशानेबाजी के अर्जुन नहीं पैदा करते बल्कि एकलव्य तैयार करते हैं। उनका कहना है कि जो साधन हीन और अभावग्रस्त इच्छुक युवक-युवती है वह उनको निशानेबाजी का एकलव्य बनाते हैं। 

युवाओं में लाया काफी सुधार
70 वर्षीय डॉक्टर राजपाल ने कहा कि उनके गृह क्षेत्र बागपत में निशानेबाजी को उन्होंने युवाओं का एक जुनून बना दिया है सैकड़ों लोग निशानेबाजी की वजह से अपना कैरियर बना चुके हैं। डॉक्टर राजपाल ने कहा कि उत्तर प्रदेश में जहां लोग देसी कट्टे से अपराध को अंजाम देते थे, वहीं अब अपराध में कमी आई है क्योंकि युवा निशानेबाजी को अपना कैरियर बना कर जीवन सुधार रहे हैं।

Shivam