सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने खोल डाली भाजपा के दम्भ की पोल

5/20/2018 8:14:46 AM

अम्बाला(रीटा): देश के सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर अपनी सर्वोच्चता सही व सटीक समय पर दिखा साबित कर डाला कि लोकतंत्र में धक्केशाही नहीं अपितु संविधान सर्वोपरि है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शनिवार को कर्नाटक विधानसभा में अढ़ाई दिन के भाजपा सी.एम. बहुमत नहीं जुटा पाए व वोटिंग से पहले ही हार मान त्यागपत्र दे गए। इस सारे घटनाक्रम ने कई संस्थाओं विशेषकर राज्यपाल के पद की गरिमा को तो कम किया ही है और साथ में इस हार ने भाजपा अध्यक्ष के देश में 50 वर्षो तक राज करने के दावे की भी हवा निकाल दी है। 

वहीं, तमाम कयासों कथित प्रयासों के बाद कांग्रेस व जे.डी.एस. विधायकों, यहां तक कि निर्दलीय विधायको की एकजुटता ने यह भी सिद्ध कर दिया कि दौर बेशक पैसे का हो लेकिन हर चीज बिकाऊ नहीं होती। 

न लहर रही, न काम आया दावा
भाजपा के पक्ष में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, कई दर्जन केंद्रीय मंत्रियों, भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों द्वारा धुआंधार प्रचार करने के बावजूद भाजपा की कथित मोदी लहर की लहरें बहुमत के जादुई आंकड़े को पार नहीं पा सकी। भाजपा अपने 2008 के इतिहास जब कर्नाटक में उन्हें 108 सीट मिली थी उससे भी पीछे ही रह गई इसलिए इस प्रदर्शन को मोदी लहर तो कतई नहीं कहा जा सकता। वहीं, भाजपा अध्यक्ष का यह दावा कि हम 50 वर्षों तक राज करेंगे की भी हवा निकल गई। उधर, दूसरी ओर जिस कांग्रेस से भारत को मुक्ति दिलाने की डींग भाजपा वाले भरते रहे वह कांग्रेस कर्नाटक में भाजपा से कम सीट लेने के बावजूद वोट प्रतिशत में आगे रही।

विधायकों ने बचाई पद की गरिमा
पिछले कुछ दिनों से जिस तरह विधायकों की सैंकडों करोड़ में कथित बोली लगने, मंत्री पद देने जैसी खबरे आ रही थी उससे लगता था कि क्या जनता इसलिए जनप्रतिनिधि चुनती है लेकिन जिस तरह कांग्रेस के 78, जे.डी.एस. के 37, कुमारस्वामी 2 सीट से हैं व 2 निर्दलीय एकजुट रहे व भाजपा के 104 पर भारी पड़े उसने दादा बड़ा न भैया सबसे बड़ा रुपैया की कहावत को झुठलाते हुए यह सिद्ध कर दिया कि हर चीज बिकाऊ नहीं होती।  इन विधायकों की एकजुटता इस पद की गरिमा को बचा गई।
 
 

Rakhi Yadav