‘धान बंदी’ की नादरशाही किसान को नहीं मंजूर, करेंगे निर्णायक संघर्ष: सुरजेवाला

5/28/2020 3:04:23 PM

कुरुक्षेत्र (रणदीप राेड): कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला धान बंदी काे लेकर लगातार खट्टर सरकार काे घेर रहे हैं। आज उन्हाेंने इस्माईलाबाद में धरना दिया। इस दाैरान राज्यपाल के नाम ज्ञापन साैंपते देते हुए सुरजेवाला ने कहा कि धान की खेती पर रोक लगाने के ‘हिटलरशाही हुक्मनामे’ के खिलाफ ‘आखिरी सांस’ तक लड़ेंगे।

खट्टर सरकार की नादरशाही अब सब हदें पार कर गई
सुरजेवाला ने कहा कि खट्टर सरकार की नादरशाही अब सब हदें पार कर गई है। 9 मई, 2020 को एक ‘हिटलरशाही हुक्मनामा’ जारी कर खट्टर सरकार ने इस्माईलाबाद - शाहबाद - बबैन - पीपली (जिला कुरुक्षेत्र), गुहला चीका - सीवन (जिला कैथल), रतिया (जिला फतेहाबाद), सिरसा (जिला सिरसा) में धान की खेती पर पाबंदी लगा दी है। अब उपरोक्त 8 ब्लॉक्स में किसान की व्यक्तिगत मल्कियत वाली 4,44,659 एकड़ भूमि में धान लगाने पर रोक लगा दी गई है।

किसानों को बरगलाने व गुमराह करने की खट्टर-चौटाला सरकार की साजिश साफ
उन्होंने कहा कि 25 मई को रतिया के हजारों किसान सैकड़ों ट्रैक्टरों के साथ ‘धान बंदी की नादरशाही’ के खिलाफ संघर्ष व विरोध प्रदर्शन करने पहुंचे। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने सरेआम झूठ बोलकर उन्हें बरगलाया व कहा कि निजी भूमि पर धान लगाने का कोई प्रतिबंध नहीं है। पर यह प्रतिबंध तो रतिया से शुरू कर पीपली तक उनकी खुद की सरकार द्वारा 9 मई, 2020 को लगाया गया है। किसानों को बरगलाने व गुमराह करने की खट्टर-चौटाला सरकार की साजिश साफ है। 

इस्माईलाबाद - शाहबाद - बबैन - पीपली - कुरुक्षेत्र - कैथल जिले के किसान के खिलाफ षडयंत्र का ताना-बाना का जिक्र करते हुए सुरजेवाला ने कहा कि 
1. कुरुक्षेत्र जिला के शाहबाद, पीपली, बबैन, इस्माईलाबाद तथा कैथल जिला के गुहला चीका व सीवन ब्लॉक में किसान धान की खेती नहीं कर सकता। यही पाबंदी फतेहाबाद जिला के रतिया ब्लॉक व सिरसा जिला के सिरसा में लगाई गई है। धान की खेती पर रोक लगाई गई उपरोक्त ब्लॉक्स की किसान के मल्कियत वाली कुल जमीन 1,79,951 हैक्टेयर या 4,44,659 एकड़ है।

अकेले इस्माईलाबाद में किसान की मल्कियत वाली जमीन, जिसमें धान उत्पादन पर रोक लगाई गई है, वो है, 16,246 हैक्टेयर या 40,144 एकड़। 9 मई, 2020 के आदेश के मुताबिक हरियाणा का किसान इस 4,44,659 एकड़ भूमि में से 2,22,330 एकड़ भूमि पर धान की खेती नहीं कर सकता। 

2. इस्माईलाबाद सहित उपरोक्त ब्लॉक्स में अगर किसान ने 50 प्रतिशत से अधिक भूमि में धान की खेती की, तो किसान को बिजली, खाद व बीज सहित सरकार की सब तरह की सब्सिडी से इंकार होगा व किसान का धान भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नहीं खरीदा जाएगा।

3.कुरुक्षेत्र-कैथल के 9 ब्लॉक्स में व प्रदेश के कुल 26 ब्लॉक्स में पंचायती भूमि पर धान की खेती पर रोक लगा दी गई है। संलग्न 23 अप्रैल 2020 की चिट्ठी व 9 मई 2020 का इश्तिहार देखें। कुरुक्षेत्र के थानेसर, बबैन, शाहबाद, पेहवा, पीपली व इस्माईलाबाद में तथा कैथल के पुंडरी, सीवन व गुहला ब्लॉक में पंचायती भूमि पर धान की खेती पर रोक लगा दी गई है। इन 9 ब्लॉक्स में लगभग 14,000 हैक्टेयर या 34,600 एकड़ में पंचायती भूमि में धान की खेती नहीं की जा सकेगी।

4. अब सबसे ताजा तुगलकी फरमान यह है कि 50इीच की मोटर वाले ट्यूबवेलों का कनेक्शन काटा जाएगा। लाखों नए ट्यूबवेल का कनेक्शन तो दे नहीं रहे, उल्टा किसान के मौजूदा ट्यूबवेल कनेक्शन को काटने की तैयारी कर ली है।  

किसान के मुंह का निवाला छीन लेना कदापि मंजूर नहीं
सुरजेवाला ने कहा कि भूजल का संरक्षण आवश्यक है पर भूजल संरक्षण के नाम पर उत्तरी हरियाणा, खासतौर से कुरुक्षेत्र- कैथल के किसान के मुंह का निवाला छीन लेना कदापि मंजूर नहीं किया जा सकता। वो भी एक ऐसी खट्टर सरकार के द्वारा जिन्होंने बनी बनाई ‘दादूपुर नलवी रिचार्ज नहर परियोजना’ की भी तालाबंदी कर दी तथा पूरे उत्तरी हरियाणा के किसान को न भरपाई होने वाला नुकसान पहुंचाया। एक तरफ तो खट्टर सरकार 400 करोड़ से अधिक लागत से बनी दादूपुर नलवी रिचार्ज नहर परियोजना को बंद करती है, तो दूसरी ओर गिरते भूजल की दुहाई दे किसान के मुंह का निवाला छीनती है। यह अपनेआप में किसान विरोधी चेहरे को उजागर करता है।

उन्होंने कहा कि पिछले साल भी खट्टर सरकार ने धान की फसल की जगह मक्का पैदा करने के लिए ‘जल ही जीवन’ स्कीम 7 ब्लॉक में शुरू की थी। इन 7 ब्लॉक्स में भी कैथल का पुंडरी ब्लॉक व कुरुक्षेत्र का थानेसर ब्लॉक शामिल किया गया था। इन इलाकों में धान की जगह मक्का की खेती करने के लिए 2000 रु. प्रति एकड़ कैश, 766 रु. प्रति एकड़ बीमा प्रीमियम व हाईब्रिड सीड देने का वादा किया था व 50,000 हेक्टेयर यानि 1,37,000 एकड़ में धान की बजाए मक्का की खेती होनी थी। परंतु न तो किसान को प्रति एकड़ मुआवज़ा मिला, न बीमा हुआ, हाईब्रिड सीड फेल हो गया और पूरी स्कीम केवल एक कागजी पुलिंदा बनकर रह गई। अब नाम बदलकर कैथल कुरुक्षेत्र के किसान की रोजी रोटी पर हमला बोलने के लिए खट्टर सरकार ‘मेरा पानी, मेरी विरासत’ स्कीम ले आई है, जो पूरी तरह तानाशाही व गैरकानूनी है।

भाजपा-जजपा के मंत्री, सांसद व विधायक हाथ पर हाथ धरे बैठे
उन्होंने कहा कि शर्म की बात यह है कि किसानों, आढ़तियों, राईस मिल मालिकों को उजाड़ने व उनका धंधा चौपट करने के इस षडयंत्र के बावजूद भाजपा-जजपा के मंत्री, सांसद व विधायक हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं व अपने मुंह पर पट्टी बांध ली है। अगर वह कैथल व कुरुक्षेत्र के किसान, आढ़ती व राईस मिल मालिकों के अधिकारों की रक्षा नहीं कर सकते, तो उन्हें अपने पदों से इस्तीफा दे देना चाहिए।

हरियाणा की भाजपा-जजपा सरकार से जवाब मांगते हुए सुरजेवाला ने कहा कि 
1. कुरुक्षेत्र-कैथल के 7 ब्लॉक के किसानों की रोजी रोटी छीन धान की खेती पर रोक क्यों लगाई जा रही है? क्या इस साल 50 प्रतिशत से अधिक धान बीजने पर लगाई गई पाबंदी अगले साल तक बढ़कर 100 प्रतिशत हो जाएगी? क्या यह किसान को उजाड़ने, आढ़ती का धंधा बंद करने व राईस मिलों पर तालाबंदी करने का कार्य नहीं है? 
2.क्या खट्टर सरकार द्वारा कुरुक्षेत्र-कैथल के 7 ब्लॉक में धान पैदा करने वाले किसानों की फसल की खरीद MSP पर न करने का निर्णय तानाशाहीपूर्ण नहीं?
3. क्या कुरुक्षेत्र-कैथल के 9 ब्लॉक में पंचायत की जमीन पर किसान द्वारा धान की खेती पर रोक लगाने का निर्णय अन्यायपूर्ण नहीं? 
4. क्या खट्टर सरकार द्वारा दादूपुर नलवी रिचार्ज नहर परियोजना को बंद करने के निरंकुश निर्णय की सजा अब उत्तरी हरियाणा, खासतौर से कुरुक्षेत्र-कैथल का किसान भुगत रहा है?
5. भाजपा-जजपा सरकार के मंत्री-विधायक-सांसद हाथ पर हाथ धरे क्यों बैठे हैं, जबकि किसानों, आढ़तियों व राईस मिल व्यापार को उजाड़ा जा रहा है? क्या यह कुरुक्षेत्र-कैथल के लोगों के अधिकारों की रक्षा करने में फेल साबित हुए हैं?

Edited By

vinod kumar