सुषमा स्वराज हरियाणा की बेटी... जिधर रुख किया उधर सफलताओं ने चूमे कदम

8/7/2019 3:35:32 PM

ब्यूरो : हरियाण की माटी में जन्मी पूर्व विदेश मंत्री और दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री रही सुषमा स्वराज हमारे बीच नहीं रही है। जानकारी के मुताबित उन्हें अचानक दिल का दौरा पड़ने से आनन-फानन में देर शाम AIIMS में भर्ती करवाया गया जहां लाख कोशिशों के बावजूद डॉक्टर उन्हें नहीं बचा सकें। सुषमा स्वराज के निधन पर दिल्ली के साथ-साथ हरियाणा में भी दो दिवसीय शोक का ऐलान किया गया है।



सुषमा स्वराज का हरियाणा के साथ गहरा नाता, जानें- उनके बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें
राजनीतिक करियर में हमेशा से हाजिर जवाब रहने वाली और संसद से लेकर संयुक्त राष्ट्र तक अपने भाषण का लोहा मनवाने सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी 1953 को पलवल में हुआ। वहीं सुषमा ने अंबाला कैंटोनमेंट एसएसडी कॉलेज से बीए करने के बाद उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से कानून में डिग्री ली। जिसके बाद 1973 में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपनी प्रैक्टिस शुरू की। जबकि उनका राजनीतिक करियर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ABVP के साथ शुरू हुआ था।



25 साल की उम्र में कैबिनेट मंत्री बनने का रिकॉर्ड
विरोधियों को करारा जवाब देने और बड़ी चर्चाओं में रहने वाली सुषमा स्वराज ने 70 के दशक में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को जॉइन कर लिया। जिसके बाद 13 जुलाई 1975 को उनकी शादी सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील स्वराज कौशल से हो गई। उनके पति स्वराज कौशल समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडीस के करीबी थे और जिसके कारण वह 1975 में वह फर्नांडीस की कानूनी टीम का हिस्सा बनी।



वहीं आपातकाल के दौरान उन्होंने जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया। आपातकाल की समाप्ति के बाद सुषमा स्वराज जनता पार्टी की सदस्य बन गईं। 1977 से 79 तक उन्होंने हरियाणा की चौधरी देवी लाल सरकार में श्रम मंत्रालय का कार्यभार संभाला था। उन्होंने अंबाला छावनी विधानसभा क्षेत्र से हरियाणा विधानसभा के लिए विधायक का चुनाव जीता और चौधरी देवी लाल की सरकार में 25 साल की उम्र में कैबिनेट मंत्री बनने का रिकॉर्ड बनाया।



जनता पार्टी में हरियाणा की अध्यक्ष बनी
हरियाणा में बीजेपी लोकदल के गठबंधन वाली सरकार सुषमा स्वराज को शिक्षा मंत्री का पद दिया। 27 वर्ष की उम्र में वह 1979 में जनता पार्टी में हरियाणा की अध्यक्ष बनाया।



'न्याय युद्ध' आंदोलन में सुषमा स्वराज ने निभाई अहम भूमिका
हरियाणा में चौधरी देवीलाल सरकार में दो बार मंत्री रहीं सुषमा स्वराज ने 1985-86 के न्याय युद्ध आंदोलन में भी हिस्सेदारी की थी। बता दें कि यह न्‍याय युद्ध एसवाईएल नहर निर्माण को लेकर चलाया गया था। जिसे चौ. देवीलाल और डा. मंगलसेन की जोड़ी के नेतृत्व में चलाया गया। इस आंदोलन में महिलाओं के नेतृत्व की जिम्मेदारी सुषमा स्वराज ने ली थी।



हरियाणा की राजनीति से दिल्ली की ओर रूख
अप्रैल 1990 में सांसद बनीं और 1990-96 के दौरान राज्यसभा में रहीं।1996 में वह 11वीं लोकसभा के लिए चुनी गई और अटल बिहारी वाजपेयी की 13 दिन की सरकार में सूचना प्रसारण मंत्री रहीं। 12वीं लोकसभा के लिए वह फिर दक्षिण दिल्ली से चुनी गईं और पुन: उन्हें सूचना प्रसारण मंत्रालय के अलावा दूरसंचार मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया।



1998 में वो दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। भाजपा की ओर से भी मुख्यमंत्री पद तक पहुंचने वाली वो पहली महिला नेता थीं। 2009 से 2014 के दौरान नेता प्रतिपक्ष रहते हुए सुषमा स्वराज ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर जमकर हमले किए। लगातार होते घोटालों को लेकर उन्होंने कई बार मनमोहन सिंह पर निशाना साधा था।

विपक्ष का दिए करारे जवाब
वहीं इस दौरान आतंकवाद पर राहुल गांधी को जवाब देते हुए उन्होंने पूछा कि अगर ये मुद्दा नहीं है तो आप क्यों SPG सुरक्षा लेकर घूमते हैं?  वहीं संयुक्त राष्ट्र में भी सुषमा ने काफी शानदार भाषण दिया था. उन्होंने पाकिस्तान की कारगुजारियों की धज्जियां उड़ाते हुए मंच से कुछ कठिन सवाल किए। सुषमा हमेशा टि्वटर काफी एक्टिव दिखाई देती थीं, इसको लेकर एक बार जब कांग्रेस ने उन पर निशाना साधा तो उन्होंने कुछ ऐसा करारा जवाब दिया।



संसद में जब विपक्ष ने उन पर और पार्टी पर सांप्रदायिक होने के आरोप लगाए तो उन्होंने अपने जवाब से सबको निरुत्तर कर दिया। टि्वटर पर सुषमा स्वराज यूजर्स का जवाब देने की हर संभव कोशिश करती थीं, चाहें वो गंभीर हों या मजाकिया। उन्होंने एक यूजर को कुछ ऐसा भी जवाब दिया था। उन्होंने विदेशों में रहने वाले भारतीयों की मदद करने वाली सुषमा स्वराज ने एक बार लिखा था कि अगर कोई मंगल पर भी फंसा हो तो विदेश मंत्रालय मदद के लिए तैयार है।

Edited By

Naveen Dalal