बर्बादी का मंजर देख नहीं रुक रहे किसानों के आंसू, सैंकड़ों एकड़ फसल तूफान से तबाह

punjabkesari.in Sunday, Oct 20, 2019 - 03:36 PM (IST)

जींद (ललित): जुलाना हलके के बुआना गांव में शुक्रवार देर रात आए तेज तूफान और बरसात के चलते धान की फसल पूरी तरह से चौपट हो गई है। बर्बादी का मंजर देखकर किसानों के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। धान उत्पादक किसान रतन सिंह का तो रो-रोकर बुरा हाल है। उसके आंसू रोके से भी नहीं रुक रहे हैं। किसान का कहना है कि धान से उसको काफी उम्मीदें थी। उसके कई सपने थे, लेकिन शुक्रवार देर सायं आए तूफान ने उसके अरमानों पर पानी फेर दिया है। 

बुआना गांव के धान उत्पादक किसानों के अनुसार उनको तूफान से लाखों रुपए का नुक्सान हुआ है। पक कर तैयार हुई धान की फसल पूरी तरह से बिछौने की तरह बिछ गई है और धान के दाने जमीन पर गिर गए हैं। ऐसे में प्रति एकड़ धान से बहुत ही कम जीरी का उत्पादन होगा। बुआना गांव के चंद्र सिंह ने पंजाब केसरी से बातचीत में कहा कि उसने 6 किल्ले जमीन ठेके पर ली हुई थी। इस जमीन में धान के भारी उत्पादन की उन्हें उम्मीद थी। यदि अच्छा उत्पादन होता तो वह कर्ज चुका सकता था। इसी प्रकार से किसान सुरेंद्र ने बताया कि उसने 15 किल्ले ठेके पर लिए थे। उसे उम्मीद थी कि इस बार अच्छा उत्पादन होगा और वह अच्छा मकान बना पाएगा। धान का उत्पादन हर प्रकार से अच्छा हो, उसके द्वारा समय पर खाद, स्प्रे और पानी की व्यवस्था की गई थी। भले ही राम इस बार मेहरबान मानसून की बारिश में नहीं हुआ हो, लेकिन फिर भी उसने फसल के उत्पादन में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। फसल पककर तैयार हो चुकी थी।

बस 15 दिन में इसकी कटाई होनी थी, लेकिन शुक्रवार को आए तेज तूफान ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया। किसान रणबीर ने बताया कि उसने भी धान बोई हुई थी। अच्छे उत्पादन की आस उसे भी थी। यदि अच्छा उत्पादन होता तो वह घर में भतीजे की शादी करता, लेकिन उसके अरमान भी तूफान के साथ उड़ गए हैं। किसान अजीत ने बताया कि उसने 10 किल्ल् ठेके पर लिए हैं। कर्ज लेकर उसने धान का उत्पादन किया था। उसे उम्मीद थी कि अच्छी फसल होने पर वह कर्ज चुका देगा, लेकिन शुक्रवार को भगवान ने जो किया, उसके बाद तो उसकी आस ही टूट गई है। उसका इस बार कर्ज उतारना मुश्किल है। किसान चांद सिंह ने कहा कि धान के अच्छे उत्पादन के बाद उसे अपने लड़के की शादी करनी थी। उसने भी जमीन ठेके पर ली हुई है। अब उत्पादन के बाद ही तय हो पाएगा कि उसे कितना लाभ होता है। तेज तूफान ने उसके अरमानों पर पानी फेर दिया है। किसान देवेंद्र और वजीर के अनुसार उन्होंने भी जमीन ठेके पर ली थी। कई किल्ले में धान को भारी नुक्सान हुआ है। किसानों के अनुसार उनके आस-पास की सैंकड़ों एकड़ फसल तूफान की भेंट चढ़ गई है। 

नहीं रुक रहे रतन सिंह के आंसू
बुआना गांव के रतन सिंह के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। रतन सिंह का कहना है कि उसे तो तूफान ने पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है। उसके तो सारे अरमान तूफान के साथ आई तेज हवाओं के साथ उड़ गए हैं। धान का इस बार अच्छा उत्पादन होने की उम्मीद उन्हें थी। कई महीने से मानसून भी दगा दे रही थी, लेकिन उसने अपने खर्च पर फसल को बचाने के लिए प्रयास किए थे। देर रात आए तूफान के आगे वह बेबस नजर आया। चाह कर भी वह कुछ नहीं कर सका। खेतों में खड़ा होकर वह बर्बाद हुई फसल को टकटकी नजर से निहारता हुआ नजर आया। 
पिल्लूखेड़ा के कई गांवों में शुक्रवार देर सायं तूफान और ओलावृष्टि से धान की फसल पूरी तरह से तबाह हो गई। कस्बे के कालवा, भूरायण, पिल्लूखेड़ा, अमरावली खेड़ा, मालसरीखेड़ा, मोरखी, गांगोली आदि गांवों में सैंकड़ों एकड़ फसल तूफान की भेंट चढ़ गई।  


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Isha

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