किसानों की सुरक्षा करने की बजाय अन्नदाता को खाकी से पिटवाने का घिनोना कार्य निंदनीय: राव दान सिंह

9/11/2020 1:01:01 PM

चंडीगढ़(चंद्र शेखर धरणी):  कांग्रेस के विधायक व् पूर्व सांसदीय सचिव राव दान सिंह ने  निहत्थे किसानों और व्यापारियों पर लाठी चार्ज करने और उन्हें हिरासत में लेने की कड़ी निंदा की है। निहथे किसानों पर पुलिस का यह व्यवहार अशोभनीय है क्योंकि किसान अन्नदाता है |किसानों की सुरक्षा करने की बजाय अन्नदाता को खाकी से पिटवाने का घिनोना कार्य निंदनीय है |  मंडी व्यापारियों-आढ़तियों की ये जबरन धर-पकड़ ना तो आवाज़ दबा पाएगी और न ही रोक पाएगी और किसान-आढ़ती-मज़दूर का कारवाँ चलता रहेगा। दान सिंह ने  कहा कि कुरुक्षेत्र की ‘मंडी बचाओ, किसान बचाओ’ रैली को विफल करने के लिए शांतिपूर्वक किसानों और व्यापारियों पर किये अत्याचार के लिए प्रदेश के लोग खट्टर-चौटाला को कभी माफ़ नहीं करेंगे। हरियाणवी किसी जुल्म और दमन से डरने वाले नहीं हैं और कुरुक्षेत्र रैली को विफल करने के लिए किसान-व्यापारी नेताओं की ग़ैरक़ानूनी धर-पकड़ के बावजूद हज़ारों-हज़ारों किसान और व्यापारियों ने पहुँच कर प्रदेश की राजनीति में एक नए अध्याय और खट्टर-चौटाला सरकार के पतन की शुरुआत है।

राव दान सिंह ने कहा की बीजेपी को अपना वादा पूरा करते हुए किसानों को स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के सी 2 फार्मूला के तहत एम् एस पी  देनी चाहिए। जब तक किसान की पूरी लागत को ध्यान में रखते हुए एम् एस पी तय नहीं होती, तब तक किसानों की आय नहीं बढ़ सकती।भूपिंदर सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार के दौरान अलग-अलग फसलों के एम् एस पी में रिकॉर्ड 2 से 3 गुना की बढ़ोतरी हुई थी। गन्ना, गेहूं, धान आदि के रेट में रिकॉर्ड बढ़ोतरी करते हुए किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए क़दम उठाए गए थे। लेकिन इस सरकार ने एम् एस पी देने की बजाए किसान के जले पर नमक छिड़कने का काम किया है। 3 कृषि अध्यादेशों को लेकर किसानों का सीधा आरोप है कि बिना  एम् एस पी और किसी तरह के सरकारी नियंत्रण वाले इन अध्यादेश के जरिए मंडी और  एम् एस पी व्यवस्था को ख़त्म करने की कोशिश की जा रही है। 

राव दान सिंह ने कहा की  बार-बार विरोध करने के बावजूद सरकार इन अध्यादेशों को तानाशाही तरीके से थोपना चाहती है। इसीलिए किसान को मजबूर होकर सड़कों पर उतरना पड़ रहा है। लेकिन सरकार कोरोना का डर दिखाकर उसकी आवाज़ को दबाना चाहती है। हुड्डा ने सवाल उठाया कि अगर सरकार को कोरोना या किसान की इतनी ही चिंता है तो इन 3 अध्यादेशों को लागू करने के लिए कोरोना काल को ही क्यों चुना गया? क्यों नहीं स्थिति के सामान्य होने का इंतज़ार किया गया? क्यों नहीं इन बिलों को लागू करने से पहले संसद और विधानसभा में चर्चा करवाई गई?

राव दान सिंह ने कहा की सरकार शुरुआत से ही एम् एस पी  विरोधी रही है। क्योंकि इन बिलों से पहले भी मौजूदा सरकार किसानों को एम् एस पी  दने में नाकाम थी। किसान को उसकी फसल का भाव देने के बजाय सरकार धान, चावल, सरसों और बाजरा ख़रीद जैसे घोटालों को अंजाम देने में लगी थी। आज भी मंडियों में 1509 और परमल धान पिट रही है। हमारी सरकार के दौरान 1509 धान 4000 से 5000 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बिकती थी, लेकिन आज उसकी बिकवाली सिर्फ 1800 से 2100 रुपये के बीच हो रही है। परमल के लिए तो किसान को  एम् एस पी  भी नहीं मिल पा रही है और मजबूरी में उसे अपना पीला सोना 1100 से 1200 रुपये में बेचना पड़ रहा है। धान ही नहीं बाजरा किसानों के साथ भी ऐसा ही अन्याय हो रहा है। 2150 रुपये  एम् एस पी  वाला बाजरा 1200 से 1300 रुपये में बिक रहा है। राव दान सिंह ने कहा की  किसानों-आढ़तियों को पीट कर, पगड़ियाँ उछाल, दमन कर भाजपा सरकार के तीनों किसान-व्यापारी विरोधी अध्यादेशों के ख़िलाफ़ लोगों की आवाज़ दबा नही सकते। आज ना किसान को एम् एस पी  मिल रहा है, ना वक्त पर पेमेंट और ना ही फसल बीमा योजना का मुआवज़ा। पहले से बदहाल किसान को सरकार 3 अध्यादेशों के जरिए पूरी तरह पूंजी पतियों के हवाले करना चाहती है। लेकिन कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष भूपिंदर सिंह हुड्डा के नेतृत्व में  ऐसा नहीं होने देगी। 

 

 

Isha